विप्लव गुप्ता, पेण्ड्रा। हरेली त्योहार पर इस बार नवगठित जिले गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही जिले के किसानों को तोहफा मिल रहा है. पशुपालकों और कृषकों को ध्यान में रखकर बनाई गई गोधन न्याय योजना का उत्सुकता के साथ किया जा रहा इंतजार आज खत्म हो गया. इस योजना से किसानों-पशुपालकों को चौपायों की देखभाल में मदद मिलेगी, वहीं दूसरी ओर कृषि भी रसायनिक खाद से मुक्त होगी.

भूपेश बघेल सरकार की इस महत्वकांक्षी योजना को लेकर लल्लूराम डॉट कॉम ने गौरेला पेण्ड्रा मरवाही जिले के ग्रामीण और शहरी क्षेत्र के लोगों की राय ली. पेण्ड्रा के कृषक व पशुपालक रवि गुप्ता की माने तो शासन की ओर से जमीनी स्तर पर कृषकों को फायदा पहुंचाने के लिए शुरू की गई योजनाओं में से यह योजना विशेष है. इससे पशुपालकों को सीधे लाभ तो मिलेगा ही, वहीं गोधन की सुरक्षा भी होगी. इसके अलावा जैविक कृषि के अवसर भी बनेंगे.

ओमप्रकाश बंका बताते हैं कि जिले के हर एक गौठान में ग्राम गौठान समिति क्रय प्रबंधन का काम करेगी. इसके लिए हर गोठान में नोडल नियुक्त किए गए हैं. वर्मी कम्पोस्ट बनाने के लिए NRLM और केवीके में किसानों को प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है. किसानों और पशुपालकों से सीधे परिवहन सहित 2 रुपए किलो के हिसाब से गोबर खरीदा जाएगा, जिससे किसानों को आर्थिक रूप से फायदा मिलेगा. इसके साथ ही जो पशुपालक आर्थिक रूप से कमजोर थे और अपने मवेशियों को खुला छोड़ देते थे, जिससे वो सड़क पर हादसों का शिकार भी होते थे, और ट्रैफिक व्यवस्था भी चरमरा जाती थी, उससे भी निजात मिलेगी.

जिला कांग्रेस उपाध्यक्ष शंकर पटेल मानते हैं कि गौवंश से प्राप्त हर एक वस्तु दूध से लेकर गोबर तक किसानों के लिए हितकारी है, और भूपेश बघेल की सरकार ने इसे समझा है. जिसे गोबर को पहले फेंकना मुसीबत समझा जाता था, उसे ही खरीदने के लिए शासन तैयार है. छत्तीसगढ़ के किसानों को इस योजना से खासा फायदा तो मिलेगा वही उच्च स्तर का वर्मी कम्पोस्ट प्राप्त होने से रसायनिक खादों से की जा रही खेती पर भी विराम लगेगा. खेतों का स्तर नहीं बिगड़ेगा और हमे पोषकतत्वों से युक्त अनाज प्राप्त होगा.

पेण्ड्रा के ही कृषक वीरेंद्र मिश्र कहते हैं कि यह योजना पहले से शुरू होती तो बेजुबान मवेशी सड़क हादसे में इतनी संख्या में नहीं मरते, क्योंकि मवेशी मालिक गायों को तब तक ही चारा-पानी देते हैं, जब तक वह दूध देती है, इसके बाद छोड़ देते हैं. इस योजना से पशु मालिक मवेशी को घर पर रखेंगे और आर्थिक लाभ भी अर्जित करेंगे. लेकिन इस योजना के बाद पशुपालकों को गाय के गोबर से भी आर्थिक लाभ प्राप्त होगा, जिससे वे अपने मवेशियों को खुला नही छोड़ेंगे, वहीं खुले मवेशियों के सड़कों पर बैठे रहने से प्रभावित होने वाली यातायात व्यवस्था में भी सुधार होगा.

गौरेला ब्लॉक के किसान श्रीकांत मिश्रा ने बताया कि यह योजना किसानों के लिए मील का पत्थर साबित होगी. मेक इन इंडिया बोलने और करने में जो फर्क है, उसका आगाज इसी योजना से होगा. गोधन और गोवंश को इतना सम्मान आज से पहले कभी प्राप्त नहीं हुआ है, और ना होगा. किसानों में जागरूकता आएगी, आवारा मवेशी की संख्या में कमी के साथ-साथ किसानों की आर्थिक मदद भी मिलेगी. आज के समय में मवेशियों को पालना सबसे कठिन काम हो गया है. गांव में चरवाहे गायों को चराने में दिलचस्पी नहीं लेते, ऐसे में किसानों के लिए उन्हें खुला छोड़ने के अलावा कोई चारा नहीं बचता है, वहीं दूसरी ओर चरवाहों को मवेशियों को चराने का उचित मूल्य नहीं मिलता है, जिसकी वजह से इसमें दिलचस्पी नहीं लेते हैं. इस योजना के आने से स्थिति में आमूलचूल बदलाव की उम्मीद है.