रवि गोयल, जांजगीर। हरेली त्योहार के मौके पर 20 जुलाई को राज्य सरकार गोधन न्याय योजना का राज्यव्यापी शुभारंभ करने जा रही है. कलेक्टर यशवंत कुमार के मार्गदर्शन में जांजगीर-चांपा जिले में पहले चरण में 149 गौठानों में गोधन न्याय योजना की शुरुआत होगी. योजना के जरिए जिले की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति मिलने की उम्मीद जताई जा रही है. इसके साथ जैविक खेती को बढ़ावा, ग्रामीण एवं शहरी स्तर पर रोजगार के नए अवसर, गौपालन एवं गौसुरक्षा को प्रोत्साहन के साथ-साथ पशुपालकों को आर्थिक लाभ मिलेगा.

वही इस योजना को लेकर लल्लूराम डॉट कॉम ने जांजगीर-चांपा जिले के अलग-अलग क्षेत्र के लोगों से राय ली. सभी ने इस योजना को लेकर अलग-अलग नजरिया प्रस्तुत किया. जिला पंचायत सीईओ तीर्थराज अग्रवाल ने बताया कि गोधन न्याय योजना से ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सकारात्मक परिवर्तन आएगा. पशुपालकों की आय में वृद्धि होगी, पशुधन विचरण एवं खुली चराई पर रोक लगेगी, जैविक खाद के उपयोग को बढ़ावा मिलेगा, खरीफ एवं रबी फसल सुरक्षित रहेगी. इसके अलावा स्थानीय स्तर पर स्व-सहायता समूहों को रोजगार के अवसर मुहैया होगा.

सामाजिक कार्यकर्ता दीनानाथ यादव का कहना है कि पशुधन के संरक्षण के लिए गोधन न्याय योजना बहुउद्देशीय कार्यनीति है, जो छत्तीसगढ़ में रोजगार व कृषि अर्थव्यवस्था के लिए मजबूत पहल कर रही है. इससे ग्रामीण आत्म निर्भर होंगे, आम जन को अपने पशुधन, गोमूत्र, गोबर व संबंधित संसाधनों के बेहतर प्रबंध व रखरखाव के लिए ही रोजगार मिलेंगे, सामुदायिक विकास को अत्यधिक मजबूती मिलेगी. इसके साथ जैविक खाद व कृषि के माध्यम से स्वास्थ्य एवं पर्यवारण को भी फायदा होगा.

किसान दिलीप सिंह का योजना को लेकर कहना है कि लोगों की आय और खेत की सुरक्षा को ध्यान में रखकर बनाई गई सरकार की अच्छी योजना है. इसके सफल क्रियान्वयन से न केवल किसानों को लाभ मिलेगा, बल्कि दिनोंदिन बढ़ती जा रही पलायन की समस्या पर भी रोक लगेगी. योजना के सफल संचालन के लिए निगरानी समिति ओर समूहों को पार्टी ओर राजनीति से हटकर चयन करना होगा, जिससे योजना भ्रष्टाचार की भेंट न चढ़े.

योजना को लेकर किसान रामेश्वर राठौर का कहना है कि गोधन न्याय योजना से सरकार की सोच ग्रामों की व्यवस्था सुधारने के साथ किसानों के आर्थिक हितों को मजबूत करने की नजर आ रही है, लेकिन जमीनी स्तर पर साकार हो तो काम का है. कहीं ऐसा न हो कि नेता-अधिकारियों की फोटो खिंचाकर कर अखबार में सुर्खियां बटोरने का काम आ जाये. वहीं ग्रामीणों को भी इसमें सक्रिय भूमिका निभाते हुए जनप्रतिनिधियों को योजना की खामियों से अवगत कराते रहना होगा. इसी में किसानों की भी भलाई है.

व्यवसायी अजय चंद्रा का कहना है कि योजना ग्रामीण क्षेत्रों के साथ साथ शहरी क्षेत्र के लिए भी लाभदायक है.शहरी क्षेत्रों में प्रायः देखा गया है. गौवंश सड़कों पर घूमते हैं, जिससे गोबर पड़े रहते हैं, वहीं आये दिन दुर्घटना भी होती रहती है. इस योजना के क्रियान्वयन से पशुपालक अपने गायों को घर-गौठान में रखेंगे, जिससे इस तरह की घटनाएं नहीं होंगी.

योजना पर एक नजर

जिला पंचायत मुख्य कार्यपालन अधिकारी तीर्थराज अग्रवाल ने बताया कि राज्य की महत्वकांक्षी योजना नरवा, गरूवा, घुरूवा व बारी का जिले में संरक्षण एवं संवर्धन कलेक्टर यशवंत कुमार के मार्ग निर्देशन में सुचारू तरीके से किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि प्रथम चरण में जिले में 149 गौठानों में गोधन न्याय योजना का शुभारंभ किया जाएगा. इस संबंध में सभी जनपदों के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों को आवश्यक तैयारी सुनिश्चित करने के लिए दिशा-निर्देश दिए गए हैं.

गौठान में बनाए गए वर्मी कम्पोस्ट में गोबर से खाद बनाने का काम किया जाएगा. जिले में 2 हजार 319 वर्मी कम्पोस्ट शेड की स्वीकृति दी गई है, इन वर्मी कम्पोस्ट टैंक में महात्मा गांधी नरेगा से 438, कृषि विभाग से 410, वर्मी बेड कृषि विभाग से 270 एवं मनरेगा एवं एसबीएम से 1181 वर्मी कम्पोस्ट टैंकों की स्वीकृति दी गई है. इन टैंक के समुचित उपयोग के लिए गोठान संचालन समिति, एनआरएलएम के स्व सहायता समूह अथवा अन्य चयनित संस्थाओं को आर्थिक गतिविधियों से जोड़ने के लिए आंवटित किया जाएगा,