लोकेश साहू, धमतरी। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने किसान और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने गोधन न्याय योजना शुरू की है. जहां पशुपालकों से दो रुपए किलो की दर से गोबर खरीदा जाएगा, वहीं गौठानों में इसका वर्मी खाद तैयार कर किसानों को जैविक खाद के रूप में उपलब्ध कराया जाएगा. यह बात विधानसभा उपाध्यक्ष मनोज सिंह मंडावी ने ‘हरेली‘ पर जिले के छिंदीटोला, उमरगांव गोठान से गोधन न्याय योजना की शुरुआत करते हुई कही.
सिहावा विधायक डॉ. लक्ष्मी ध्रुव ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कहा कि पशुपालकों को गोबर बेचने से सीधे–सीधे आर्थिक लाभ होगा, साथ ही किसानों को भी वर्मी खाद की उपलब्धता सुनिश्चित हो सकेगी. उन्होंने कहा कि अभी गोठान प्रारंभिक अवस्था में है, लेकिन इसे और बेहतर करने का प्रयास होगा, ताकि गांव की ज्यादा से ज्यादा गतिविधियां यहां से संचालित कर ग्रामीणों को आर्थिक रूप से सशक्त किया जा सके. इस मौके पर पूर्व विधायक गुरुमुख सिंह होरा ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सराहना की कि किसानों के हित में योजना की शुरुआत करने का निर्णय काफी उत्साहवर्धक है. स्वागत भाषण उमरगांव सरपंच सुरेश मरकाम ने दिया.
गोधन न्याय योजना को लेकर लल्लूराम डॉट कॉम ने हर वर्ग के लोगों से चर्चा की. ग्राम पंचायत गंगरेल निवासी भागी निषाद का कहना है कि गोधन योजना से किसानों और पशुपालकों के साथ आम लोगों को भी लाभ मिलेगा. अब लोग गोबर के महत्व को समझेंगे और इससे होने वाले फायदे को करीब से जान सकेंगे. गोबर को बेचकर लोगों की आमदनी तो होगी ही साथ ही इससे जैविक खेती को भी बढ़ावा मिलेगा. किसानों को रसायनिक खाद व दवाइयों का इस्तेमाल नहीं करना पड़ेगा. बल्कि कम लागत में जैविक खाद से किसान खेती किसानी कर सकेंगे. जैविक खेती से होने वाले फसल से लोगों के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर नहीं पड़ेगा.
योजना से बढ़ेगा मवेशियों का महत्व
शहर के वरिष्ठ नागरिक विनोद जैन का कहना है कि अभी तक लोग मवेशियों को सिर्फ दूध और खेतों में हल चलाने के लिए ही पाला करते थे. जरूरत की पूर्ति होने के बाद लोग मवेशियों को खुले में छोड़ दिया जाता था. ये मवेशी सड़क में खुद भी दुर्घटना का शिकार होते थे. सड़क में चलने वाले लोग भी इनसे टकराकर अपनी जान गंवा रहे थे. गोधन न्याय योजना लागू होने के बाद अब मवेशियों का महत्व और बढ़ जाएगा. अब मवेशी सड़कों पर नजर नहीं आएंगे बल्कि घरों या गौठान में ही दिखाई देंगे.
दाह संस्कार में लकड़ियों की होगी बचत
ग्राम संबलपुर के मनीष चंद्राकर का कहना है कि पहले तक ग्रामीण अंचलों में किसी की मौत होने पर उसके शव का दाह संस्कार गोबर के कंडे से ही किया जाता था. लेकिन गोबर की कमी के कारण कंडे से दाह संस्कार की परंपरा टूटने लगी है. वर्तमान में ज्यादातर लकड़ी का ही उपयोग दाह संस्कार के लिए किया जाता है. जिसके लिए जंगल की कटाई करने मजबूर होना पड़ता है. गोधन न्याय योजना से अब ज्यादा से ज्यादा कंडों का निर्माण होगा और ग्रामीणों ग्रामीण अंचलों में फिर से पुरानी परंपरा लौट आएगी. साथ ही जंगलों का कटाव कम होने से पर्यावरण का संरक्षण भी होगा.