Gold Investment Tips: सरकार ने सोने पर कस्टम ड्यूटी 15% से घटाकर 6% कर दी है। इसके बाद घरेलू स्तर पर सोने की कीमतों में भारी गिरावट आई है। ऐसे में निवेशकों के सामने सवाल है कि सोने में नया निवेश करें या नहीं और पुराने निवेश का क्या करें।
सोना आमतौर पर लंबी अवधि का निवेश होता है और महंगाई से सुरक्षा प्रदान करता है। इसलिए, छोटी अवधि में किसी भी गिरावट से प्रभावित नहीं होना चाहिए। सोने के लिए आउटलुक सकारात्मक बना हुआ है।
जिन निवेशकों के पास फिजिकल गोल्ड और गोल्ड ईटीएफ में होल्डिंग है, उन्हें निवेश बनाए रखना चाहिए। सोने की कीमतों में हालिया गिरावट को भी खरीदारी के मौके के तौर पर देखा जा सकता है।
कीमतों में गिरावट से घबराएं नहीं
सोने में हमेशा उतार-चढ़ाव का दौर रहता है लेकिन लंबी अवधि में सोने ने हमेशा अच्छा रिटर्न दिया है। पिछले 30 सालों में सोने ने औसतन 8-10% सालाना रिटर्न दिया है। यह बैंक एफडी से काफी बेहतर है।
अप्रैल से पहले के साल में सोने ने करीब 26% रिटर्न दिया है। इसलिए मौजूदा गिरावट से घबराने की जरूरत नहीं है। सोने में लंबी अवधि के रिटर्न को लक्ष्य बनाएं और फिलहाल निवेश को बनाए रखें।
बढ़त के संभावित कारण
त्योहारी सीजन की खरीदारी, डॉलर में कमजोरी, अमेरिकी चुनाव, अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ब्याज दर में कटौती की अनिश्चितता और मध्य पूर्व में तनाव, यूक्रेन और रूस के बीच चल रहा युद्ध, इसके अलावा बढ़ती मांग और महंगाई से बचने के लिए सुरक्षित निवेश विकल्प के तौर पर सोने की खरीद जैसी स्थितियों के कारण सोने की अंतरराष्ट्रीय और घरेलू कीमतों में तेजी आ सकती है।
निवेश का अच्छा मौका
इस समय तुलनात्मक रूप से कम कीमत पर सोने में निवेश करने का मौका है। क्योंकि सरकार की ओर से सोने पर कस्टम ड्यूटी कम कर दी गई है, लेकिन अभी भी कई ऐसी चुनौतियां बनी हुई हैं जो भविष्य में सोने की कीमतों में गिरावट के बजाय बढ़ोतरी की ओर इशारा करती हैं। अगले 2 से 5 साल में सोने से 7-19% का स्थिर रिटर्न मिलने की उम्मीद है।
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