Gold–Silver Price: तीन दिन की तेज रैली के बाद सोने की कीमतों में हल्की नरमी देखने को मिली है. सोना 4,500 डॉलर प्रति औंस के अपने अब तक के सबसे ऊंचे स्तर से नीचे आ गया है. वहीं प्लैटिनम में भी 6 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई है और यह भी अपने रिकॉर्ड हाई से फिसल गया है.
कीमती धातुओं के बाजार में जोरदार तेजी के बाद अब कई ट्रेडर्स साल खत्म होने से पहले मुनाफावसूली कर रहे हैं. हालांकि इसके बावजूद सोना इस साल अब तक करीब 70 फीसदी चढ़ चुका है. प्लैटिनम की कीमतें तो एक साल में दोगुनी से भी ज्यादा हो गई हैं.
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टेक्निकल संकेत फिलहाल बिकवाली की ओर इशारा कर रहे हैं. बुधवार को सोने का 14 दिन का रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स ओवरबॉट जोन में पहुंच गया था, जो कीमतों में ठहराव या गिरावट का संकेत देता है.
सोने में हालिया तेजी की एक बड़ी वजह वेनेजुएला में बढ़ता तनाव है. अमेरिका द्वारा तेल टैंकरों को ब्लॉक किए जाने के बाद से सोने की सेफ हेवन मांग बढ़ी है. इसके अलावा ट्रेडर्स को उम्मीद है कि अगले साल फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में और कटौती कर सकता है, जो बिना यील्ड वाली कीमती धातुओं के लिए फायदेमंद माना जाता है.
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सोना और चांदी दोनों ही 1979 के बाद अपने सबसे अच्छे सालाना प्रदर्शन की ओर बढ़ रहे हैं. इस तेजी के पीछे सेंट्रल बैंकों की मजबूत खरीदारी और एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स में बढ़ता निवेश अहम कारण रहा है. वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के आंकड़ों के मुताबिक, मई को छोड़कर इस साल हर महीने गोल्ड ईटीएफ में निवेश बढ़ा है.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के वैश्विक व्यापार से जुड़े आक्रामक फैसले और फेड की स्वतंत्रता को लेकर दिए गए बयानों ने भी साल की शुरुआत में सोने को समर्थन दिया था.
निवेशक तथाकथित डिबेसमेंट ट्रेड से भी प्रभावित हुए हैं. इसमें निवेशक सरकारी बॉन्ड और उनसे जुड़ी मुद्राओं से पैसा निकाल रहे हैं. बढ़ते कर्ज के कारण बॉन्ड की वैल्यू घटने की आशंका इस ट्रेंड की बड़ी वजह मानी जा रही है.
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सिडनी स्थित बुलियन डीलर गार्जियन वॉल्ट्स के बिजनेस डेवलपमेंट मैनेजर जॉन फीनी का कहना है कि सोने और चांदी में मौजूदा तेजी की वजह मजबूत फिजिकल डिमांड और वैश्विक आर्थिक जोखिमों को लेकर बढ़ती चिंता है.
अक्टूबर में 4,381 डॉलर प्रति औंस के पिछले शिखर से गिरने के बाद सोने की कीमतों में फिर से तेज उछाल देखने को मिला है. अक्टूबर की तेजी को उस समय ओवरहीट माना गया था.
गोल्डमैन सैक्स समेत कई बड़े बैंकों का मानना है कि आने वाले समय में सोने की कीमतें और बढ़ सकती हैं. बेस केस में 2026 तक सोना 4,900 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच सकता है और इससे ऊपर भी जा सकता है.
इस हफ्ते चांदी पहली बार 70 डॉलर प्रति औंस के पार पहुंची है. चांदी ने हाल के महीनों में सोने से बेहतर प्रदर्शन किया है. इसके पीछे बड़े ट्रेडिंग हब में बढ़ी सट्टेबाजी गतिविधि और अक्टूबर के ऐतिहासिक शॉर्ट स्क्वीज के बाद सप्लाई को लेकर चिंता रही है.
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चांदी के ट्रेडर्स अब अमेरिकी वाणिज्य विभाग की जांच रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं, जिसमें यह देखा जा रहा है कि जरूरी खनिजों का आयात राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा तो नहीं है. अगर ऐसा पाया गया, तो चांदी पर टैरिफ या व्यापार प्रतिबंध लग सकते हैं.
फीनी का कहना है कि पिछली रैलियों के उलट यह तेजी लेवरेज की वजह से नहीं, बल्कि चांदी की असली मांग से आई है. उनका मानना है कि यह ट्रेंड जल्दी खत्म होता नहीं दिख रहा है.
इस बीच बुधवार को प्लैटिनम पहली बार 2,300 डॉलर प्रति औंस के पार पहुंचा. इस मेटल को सीमित सप्लाई और ऊंची ब्याज दरों से सपोर्ट मिल रहा है. ब्लूमबर्ग के आंकड़ों के अनुसार, इस साल प्लैटिनम में करीब 140 फीसदी की बढ़त दर्ज की गई है, जो अब तक की सबसे बड़ी सालाना तेजी है.
प्लैटिनम की कीमतों में यह उछाल ऐसे समय आया है, जब लंदन बाजार में सप्लाई की कमी के संकेत मिल रहे हैं. वहीं बैंक संभावित टैरिफ जोखिम से बचने के लिए अमेरिका में प्लैटिनम का स्टॉक जमा कर रहे हैं, ठीक वैसे ही जैसे चांदी के मामले में देखा गया है. (Gold–Silver Price)
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