शिखिल ब्यौहार, महाकुंभ नगर. महाकुंभ के दौरान संगम में श्रद्धालुओं का स्नान लगातार जारी है. कुंभ मेले के भव्यता की चर्चा न सिर्फ भारत में बल्कि पूरी दुनिया में हो रही है. इस आयोजन में देशभर से तो लोग आ ही रहे हैं. साथ ही सात समंदर पार के लोग भी संगम नगरी में पधार रहे हैं. जहां लाखों की संख्या में लोग संगम स्नान कर रहे हैं. साथ ही यहां पर पधारे साधु-संतों का भी दर्शन कर रहे हैं. इस बीच कुंभ में एक से बढ़कर एक चीजें देखने को मिल रही है. महाकुंभ महाकवरेज की सीरिज में लल्लूराम डॉट कॉम आज सोने का सिंहासन दिखाने जा रहा है. जिसकी पूरे कुंभ में चर्चा है.

ये सिंहासन है आवाहन अखाड़े के पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर अवधूत महराज का. अवधूत गिरी जी महराज यूं तो इनवायरमेंट बाबा के नाम से जाने जाते हैं. लेकिन अब कुंभ में इनका नाम गोल्डन बाबा पड़ गया है. अब वे इसी नाम से मशहूर हैं. खास बात ये है कि ये बाबा ना कोई दान लेते हैं और ना ह कोई दक्षिणा. इसे देखते हुए उनके भक्तों ने उन्हें ये सिंहासन भेंट किया है.

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ये बाबा पहले इनवायरमेंट बाबा के नाम से प्रख्यात थे. इसके पीछे कारण था पर्यावरण के प्रति इनका प्रेम. बाबा ने 1 करोड़ पेड़ लगाने का संकल्प लिया था. जिसे उन्होंने पूरा भी किया. गोल्डन बाबा मीडिया से दूर रहते हैं. लिहाजा अखाड़े के महामंडलेश्वर प्रकाशानंद जी महाराज ने lalluram.com से बातें साझा की.

भक्तों से भाव से होता है संत का श्रृंगार

महामंडलेश्वर ने बताया कि यह सोने का सिंहासन भक्तों के भावों की देन. संन्यासी को सोने चांदी से कोई लेनदेना नहीं है. स्वर्ण धातु शास्त्रगत परम पवित्र है. भगवान श्री राम ने मां सीता की स्वर्ण मूर्ति बनवाकर यज्ञ कराया था. भक्तों के भाव से संत का श्रृंगार होता है. प्रकाशानंद जी महाराज का दावा है कि उनका अखाड़ा सबसे पुराना है. अखाड़े का तीन प्रमुख उद्देश्य है. जो इस प्रकार है-

  • पहला – वक्फ बोर्ड नहीं अब बने सनातन बोर्ड.
  • दूसरा – हिंदू राष्ट्र घोषित हो पुण्यधरा भारत.
  • तीसरा – सनातन के साथ पर्यावरण और प्रकृति के संरक्षण के लिए विश्व जागरण का अभियान.