लखनऊ. गोमती नगर विस्तार में हुए 3000 करोड़ से ज्यादा के जमीन घोटाले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने इस घोटाले के पीछे राजनीतिक ताकतों का हाथ होने की आशंका जताई है. कोर्ट ने पुलिस की जांच को असंतोषजनक बताते हुए इस केस की जांच अब यूपी विजिलेंस टीम को सौंप दी है. अगली सुनवाई में विजिलेंस के डायरेक्टर अदालत में पेश होंगे. न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की एकल पीठ ने कहा कि समिति की लाखों की नहीं, करोड़ों की संपत्तियों को गैरकानूनी तरीके से बेचा गया और बिक्री की राशि समिति के खाते में एक पैसा भी जमा नहीं हुआ. कोर्ट ने इस मामले की जांच विजलेंस को सौंपते हुए एक हफ्ते के भीतर प्रारंभिक रिपोर्ट तलब की है.
दरअसल, बहुजन निर्बल वर्ग सहकारी गृह निर्माण समिति के चुनाव 19 मार्च 2023 को हुए, जिसमें याचिकाकर्ता पक्ष विजयी रहा. जीत के बाद भी उन्हें पुराने पदाधिकारियों ने कार्यभार नहीं सौंपा. इन पदाधिकारियों में प्रमुख रूप से प्रतिवादी संख्या 9 – प्रवीन सिंह उर्फ प्रवीन सिंह बफिला और प्रतिवादी संख्या 10 – लखन सिंह बलियानी शामिल हैं.
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कोर्ट के रिकॉर्ड से पता चला कि लखन सिंह बलियानी ने 11 अप्रैल 2023 को 1.31 करोड़ रुपये में एक रजिस्ट्री कर दी, जबकि वह निर्वाचित नहीं हुए थे और समिति के खाते में उस रजिस्ट्री की एक भी पाई जमा नहीं की गई. इतना ही नहीं, उन्होंने कुल 98 रजिस्ट्रियां कीं, और समिति के खाते में एक भी पैसा नहीं जमा किया. अदालत ने पाया कि प्रवीन सिंह और लखन सिंह ने विकास शुल्क के नाम पर 8.34 करोड़ वसूल लिए, लेकिन इसका कोई ऑडिट नहीं हुआ और न ही कोई रसीद या लेन-देन अभिलेख है. लखनऊ विकास प्राधिकरण की सात सदस्यीय जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट (27 अगस्त 2024) में दोनों प्रतिवादियों को धोखाधड़ी और निधियों के गबन का दोषी माना था, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई.
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