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रायपुर। छतीसगढ़ में साय सरकार के सुशासन से समृद्धि हर एक वर्ग तक पहुंच रही है. छत्तीसगढ़ राज्य सरकार मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में छोटे दुकानदारों और कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा करने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठा रही है. इसी तारतम्य में “छत्तीसगढ़ दुकान एवं स्थापना (नियोजन एवं सेवा की शर्तों का विनियमन) अधिनियम, 2017” और नियम 2021 को पूरे राज्य में लागू कर दिया गया है. यह अधिनियम न केवल व्यापारियों के लिए राहत लेकर आया है बल्कि इससे कर्मचारियों के भी अधिकारों और हितों की सुरक्षा सुनिश्चित हुई है.
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छत्तीसगढ़ में दुकानदारों और कर्मचारियों के लिए नई पहल
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व वाली छत्तीसगढ़ सरकार ने छत्तीसगढ़ दुकान एवं स्थापना (नियोजन एवं सेवा की शर्तों का विनियमन) अधिनियम, 2017 और नियम 2021 को पूरे राज्य में लागू कर नगरीय निकाय क्षेत्रों में प्रभावी पुराने अधिनियम 1958 और नियम 1959 को निरस्त भी कर दिया गया है. श्रम विभाग के अनुसार, यह नया अधिनियम पूरे राज्य में लागू होगा, इस बदलाव से छोटे दुकानदारों को राहत मिलेगी, क्योंकि नया कानून केवल 10 या अधिक कर्मचारियों वाली दुकानों और स्थापनाओं पर ही लागू होगा. पहले बिना किसी कर्मचारी वाली दुकानें भी इस अधिनियम के दायरे में आती थीं.
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छत्तीसगढ़ दुकान एवं स्थापना अधिनियम, 2017 की पृष्ठभूमि
भारत में दुकानों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को नियंत्रित करने के लिए राज्य सरकारें अपने-अपने कानून बनाती हैं. इसी परिप्रेक्ष्य में छत्तीसगढ़ सरकार ने वर्ष 2017 में “छत्तीसगढ़ दुकान एवं स्थापना अधिनियम” पारित किया था. इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य दुकानों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में काम करने वाले कर्मचारियों को उचित कार्य परिस्थिति, निश्चित कार्य समय, अवकाश और अन्य सुविधाएं प्रदान करना होता है. इस पर छत्तीसगढ़ की साय सरकार ने जो परिवर्तन किया है वो इस अधिनियम के उद्देश्यों को और भी कुशलता से पूरा करने वाला साबित होगा. नए नियमों के तहत दुकान और स्थापनाओं के पंजीयन शुल्क को कर्मचारियों की संख्या के आधार पर तय किया गया है. न्यूनतम शुल्क 1,000 रुपये और अधिकतम 10,000 रुपये होगा. पहले यह शुल्क 100 रुपये से 250 रुपये तक था.
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श्रम विभाग ने स्पष्ट किया है कि नए अधिनियम के लागू होने के 6 महीने के भीतर सभी पात्र दुकानों और स्थापनाओं को पंजीयन कराना अनिवार्य होगा.. यह प्रक्रिया श्रम विभाग के पोर्टल shramevjayate.cg.gov.in के माध्यम से ऑनलाइन भी पूरी की जा सकेगी. इस नए अधिनियम में कर्मचारी राज्य बीमा और भविष्य निधि के लाभ के दायरे में पहले से पंजीकृत दुकानें स्वतः शामिल हो जाएंगी. पहले से पंजीकृत दुकानों को 6 महीने के भीतर श्रम पहचान संख्या प्राप्त करने के लिए आवेदन करना होगा, लेकिन इसके लिए उन्हें कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं देना होगा. यदि 6 महीने बाद आवेदन किया जाता है,तो नियमानुसार शुल्क देना अनिवार्य होगा.
पुरानी व्यवस्था में दुकानों को सप्ताह में एक दिन बंद रखना अनिवार्य था लेकिन अब दुकानें 24 घंटे और पूरे सप्ताह खुली रह सकती हैं, बशर्ते कर्मचारियों को साप्ताहिक अवकाश दिया जाए. नई व्यवस्था के तहत कुछ सुरक्षा शर्तों के साथ महिला कर्मचारियों को रात में भी काम करने की अनुमति होगी. सभी नियोजकों को अपने कर्मचारियों के रिकॉर्ड इलेक्ट्रॉनिक रूप से मेंटेन करने होंगे. हर साल 15 फरवरी तक सभी दुकान और स्थापनाओं को अपने कर्मचारियों का वार्षिक विवरण ऑनलाइन पोर्टल पर अपलोड करना होगा. नए अधिनियम में जुर्माने की राशि बढ़ाई गई है, लेकिन अपराधों के कम्पाउंडिंग की सुविधा भी दी गई है, जिससे नियोजकों को कोर्ट की कार्रवाई से बचने का विकल्प मिलेगा. निरीक्षकों की जगह फैसिलिटेटर और मुख्य फैसिलिटेटर नियुक्त किए जाएंगे, जो व्यापारियों और नियोजकों को बेहतर मार्गदर्शन देंगे.
पहले दुकान और स्थापनाओं का पंजीयन कार्य नगरीय निकायों द्वारा किया जाता था लेकिन अब 13 फरवरी 2025 की अधिसूचना के अनुसार यह कार्य श्रम विभाग द्वारा किया जाएगा. नए नियमों से छोटे दुकानदारों को राहत मिलेगी, पंजीयन प्रक्रिया सरल होगी और कर्मचारियों के अधिकारों का बेहतर संरक्षण किया जा सकेगा..यह अधिनियम सभी दुकानों, वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों, होटल, रेस्तरां, थिएटर और अन्य स्थानों पर लागू होता है, जहां कर्मचारी कार्यरत हैं.. प्रत्येक दुकान और व्यावसायिक प्रतिष्ठान को इस अधिनियम के अंतर्गत पंजीकरण कराना अनिवार्य है. पंजीकरण प्रक्रिया को ऑनलाइन और सरल बनाया गया है जिससे छोटे व्यापारियों को परेशानी न हो. कर्मचारी एक दिन में अधिकतम 8 घंटे और सप्ताह में 48 घंटे से अधिक कार्य नहीं करेंगे, लगातार 5 घंटे कार्य करने के बाद कम से कम 30 मिनट का विश्राम अनिवार्य होगा.
महिलाओं के लिए रात 9 बजे के बाद कार्य करने पर विशेष प्रतिबंध लागू किया गया है.. प्रत्येक कर्मचारी को साप्ताहिक अवकाश मिलेगा. प्रत्येक कर्मचारी को वार्षिक रूप से न्यूनतम 12 दिन का अवकाश दिया जाएगा. राष्ट्रीय एवं राजपत्रित अवकाशों का प्रावधान किया गया है. कार्य क्षेत्र में महिलाओं को सुरक्षित वातावरण देने के लिए नियोक्ताओं पर विशेष दायित्व डाला गया है. 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों के काम करने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है. न्यूनतम वेतन अधिनियम के अनुसार ही कर्मचारियों को वेतन दिया जाएगा और वेतन का भुगतान समय पर करने की अनिवार्यता सुनिश्चित की गई है. यदि कोई कर्मचारी निर्धारित समय से अधिक कार्य करता है, तो उसे ओवरटाइम भत्ता मिलेगा. ओवरटाइम दर सामान्य वेतन से दोगुना होगा. बिना किसी उचित कारण के कर्मचारी को नौकरी से नहीं निकाला जा सकता. यदि किसी कर्मचारी को नौकरी से हटाया जाता है, तो उसे उचित मुआवजा और नोटिस दिया जाएगा. श्रमिकों की समस्याओं के समाधान के लिए शिकायत निवारण तंत्र स्थापित किया गया है.
नियोक्ताओं और कर्मचारियों के विवादों को सुलझाने के लिए श्रम न्यायालय का प्रावधान किया गया है. इस अधिनियम के अंतर्गत पंजीकरण प्रक्रिया को आसान बना दिया गया है. छोटे दुकानदारों के लिए सरकार ने नियमों को सरल किया है ताकि वे बिना किसी बाधा के व्यापार कर सकें. श्रमिकों को कार्यस्थल पर उचित सुरक्षा और सुविधाएं मिलेंगी. न्यूनतम वेतन और ओवरटाइम का भुगतान सुनिश्चित किया गया है. कार्यस्थल पर महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक प्रावधान किए गए हैं. महिलाओं को रात में कार्य करने से संबंधित विशेष सुविधाएं दी गई हैं.
आर्थिक विकास में योगदान
व्यापार को आसान बनाने से राज्य की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा. संगठित क्षेत्र में अधिक रोजगार उत्पन्न होंगे. छत्तीसगढ़ दुकान एवं स्थापना अधिनियम, 2017 और नियम 2021 का कार्यान्वयन राज्य में व्यापार और श्रमिकों के हितों को संतुलित करने का एक सराहनीय प्रयास है. इस अधिनियम के सफल क्रियान्वयन से छत्तीसगढ़ में व्यापारिक माहौल सुधरेगा, रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा होगी. यह कदम राज्य की अर्थव्यवस्था और सामाजिक संरचना को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है.
क्या है नया नियम?
छत्तीसगढ़ में विष्णुदेव साय सरकार ने व्यापारिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण फैसला लिया है. नए नियमों के तहत अब दुकानें और व्यावसायिक प्रतिष्ठान 24 घंटे खुले रह सकते हैं. यह निर्णय राज्य की अर्थव्यवस्था को गति देने के साथ-साथ छोटे दुकानदारों और कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा की दिशा में भी एक अहम कदम माना जा रहा है. सरकार द्वारा किए गए संशोधनों के तहत, दुकानों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को अब बिना किसी बाधा के चौबीसों घंटे संचालित करने की अनुमति होगी. इससे न सिर्फ व्यापार को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि उपभोक्ताओं को भी अधिक सुविधा मिलेगी.
व्यापारियों को क्या लाभ होगा?
- आय में वृद्धि: 24×7 संचालन से व्यापारियों की बिक्री बढ़ेगी और उनका मुनाफा भी बढ़ सकता है.
- रोजगार के अवसर: अधिक समय तक दुकानें खुलने से रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे.
- प्रतिस्पर्धात्मक माहौल: राज्य में व्यापारिक माहौल बेहतर होगा, जिससे निवेश आकर्षित किया जा सकेगा.
छोटे दुकानदारों को कैसे मिलेगा लाभ?
छोटे व्यापारियों के लिए यह निर्णय कई मायनों में फायदेमंद साबित हो सकता है:
- आय में वृद्धि: दुकानें लंबे समय तक खुली रहने से उनकी बिक्री बढ़ सकती है.
- प्रतिस्पर्धा में टिके रहने का मौका: बड़े रिटेल स्टोर्स और शॉपिंग मॉल के मुकाबले छोटे दुकानदारों को अधिक लचीलापन मिलेगा.
- ग्राहकों की सुविधा: ग्राहक अपनी सुविधानुसार खरीदारी कर सकेंगे, जिससे छोटे व्यापारियों का ग्राहक आधार बढ़ सकता है.
कर्मचारियों के अधिकारों की सुरक्षा
हालांकि, चौबीसों घंटे दुकानें खुली रहने की नीति कर्मचारियों पर अतिरिक्त कार्यभार बढ़ा सकती है, लेकिन सरकार ने उनकी सुरक्षा के लिए भी आवश्यक कदम उठाए हैं:
- श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा: कर्मचारियों के लिए उचित पारिश्रमिक, शिफ्ट-आधारित काम और साप्ताहिक अवकाश सुनिश्चित किए जाएंगे.
- ओवरटाइम भुगतान: अतिरिक्त घंटों के काम के बदले श्रमिकों को उचित ओवरटाइम मिलेगा.
- सुरक्षा उपाय: देर रात काम करने वाले कर्मचारियों, विशेषकर महिलाओं की सुरक्षा के लिए नियम बनाए गए हैं.
उपभोक्ताओं को क्या फायदा होगा?
समय की लचीलापन: ग्राहक अपनी सुविधा के अनुसार कभी भी खरीदारी कर सकते हैं.
रात्रि में भी सेवाएं उपलब्ध: नाइट शिफ्ट में काम करने वाले लोगों को विशेष रूप से फायदा होगा.
भीड़भाड़ से राहत: दिन के समय भीड़ भाड़ से बचने के लिए लोग रात में भी खरीदारी कर सकेंगे.
सरकार की व्यापारिक नीतियों में नया दृष्टिकोण
विष्णुदेव साय सरकार के इस निर्णय को राज्य के आर्थिक विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है. सरकार की मंशा राज्य में व्यापार को सरल और सुगम बनाने की है, जिससे औद्योगिक और व्यापारिक गतिविधियों को गति मिल सके.
सरकार का विजन: संतुलित व्यापारिक नीति
इस फैसले के पीछे सरकार का मुख्य उद्देश्य व्यापार को सरल बनाना और राज्य की अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों तक ले जाना है. लेकिन साथ ही, सरकार यह भी सुनिश्चित कर रही है कि छोटे दुकानदारों और श्रमिकों को किसी प्रकार की असुविधा न हो.
निष्कर्ष
छत्तीसगढ़ सरकार का यह निर्णय व्यापारिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के साथ-साथ छोटे दुकानदारों और कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा करने वाला कदम है. यदि इसे प्रभावी ढंग से लागू किया गया, तो यह राज्य में आर्थिक समृद्धि और रोजगार सृजन को नई दिशा दे सकता है.
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