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रायपुर. भारत के जनजातीय समाज ने सदियों से अपनी विशिष्ट पहचान, परंपराओं और सांस्कृतिक धरोहर को सहेज कर रखा है, जिसे बढ़ावा देने के लिए छतीसगढ़ की भाजपा सरकार ने पिछले एक सालों में कई सराहनीय कदम उठाए हैं। आधुनिकता और विकास की दौड़ में यह समाज खासकर बैगा जनजाति, लंबे समय तक विकास के लाभों से वंचित रही. विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह” (PVTG) में वर्गीकृत की गई बैगा जनजाति मुख्य रूप से मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में निवास करती है। बैगा जनजाति समुदाय पारंपरिक रूप से जंगलों पर निर्भर रहा है, लेकिन औद्योगिकीकरण और जंगलों की कटाई ने इनकी आजीविका पर गहरा प्रभाव डाला है.
शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं, आवास, बिजली, पानी,सड़क जैसी और भी बुनियादी सुविधाओं की कमी ने जनजातीय समुदाय को अब तक गरीबी, कुपोषण, अशिक्षा, बीमारी, पिछड़ेपन और रोजगार की कमी जैसी समस्या से कभी उबरने ही नहीं दिया था, मगर अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा विशेष रूप से पिछड़ी जनजातियों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने के लिए संचालित पीएम जनमन योजना के चलते छत्तीसगढ़ राज्य अति पिछड़े जनजातीय समुदाय की तकदीर और तस्वीर तेजी से बदलने लगी है. इस योजना के लागू करने में राज्य की विष्णु देव साय सरकार ने जिस तरह से बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया, वो अन्य राज्यों के लिए अनुकरणीय है। बैगा जनजाति के रहवासी क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं का तेजी से विकास हो रहा है. आवास, स्वच्छ पेयजल, शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, बिजली जैसी बुनियादी सुविधाओं से हमेशा से वंचित रहने वाली इस जनजाति को अब तमाम बुनियादी सुविधाएं सुभल होने लगी है. छत्तीसगढ़ की साय सरकार के प्रयास और प्रधानमंत्री जनमन योजना से बैगा परिवारों के जीवन को नया आयाम मिल रहा है वो अब बहुत तेज़ी से समाज की मुख्यधारा से जुड़ने लगे हैं.
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मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा पीएम जनमन योजना के सफल क्रियान्वयन से राज्य के न सिर्फ़ बैगा जनजाति बल्कि सभी विशेष पिछड़ी जनजातीय इलाकों में बुनियादी विकास एवं निर्माण के कार्य तेजी से कराये जा रहे है। महज़ एक ही साल में राज्य में पीएम जनमन योजना के प्रति छत्तीसगढ़ सरकार की प्रतिबद्धता के चलते इसके सार्थक परिणाम दिखाई देने लगे है। छत्तीसगढ़ राज्य में विशेष पिछड़ी जनजाति बैगा समुदाय के लोग उत्तर-पश्चिम भाग में स्थित कबीरधाम, राजनांदगांव, मुंगेली, बिलासपुर और कोरिया जिले में निवास करते है। जनसंख्या की दृष्टि से बैगा जनजाति ,छत्तीसगढ़ राज्य की विशेष पिछड़ी जनजातियों में सर्वाधिक आबादी वाला जनजाति समुदाय है। छत्तीसगढ़ राज्य में बैगा समुदाय के 24 हजार 589 परिवार निवास करते है, जिसमें से लगभग 46 प्रतिशत यानि 11 हजार 261 परिवार अकेले कबीरधाम जिले में ही रहते हैं।
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कबीरधाम जिले के बोड़ला और पंडरिया में बैगा समुदाय के लोग निवास करते हैं। इस समुदाय की 38 बसाहटों में निवास करने 255 परिवारों के घरों तक विद्युत सुविधा पहुँच चुकी है,सोलर पैनल और एलईडी लाइट्स के माध्यम से भी ऊर्जा की बहुत सी समस्याओं को हल किया जा रहा है। 56 बैगा बसाहटों को आबादी और आधुनिकता से जोड़ने के लिए 186.20 किलोमीटर लम्बी 47 सड़कों के निर्माण के लिए 135.72 करोड़ रूपए की स्वीकृति दी गई है जिनमे से 42 सड़कों का निर्माण काम आरम्भ भी हो चुका है इसमें पक्की डामरीकृत सड़क और नदी-नालों पर पुल-पुलियों का निर्माण कार्य भी शामिल है।
कबीरधाम के पंडरिया विकासखंड के ग्राम भागड़ा, जामुनपानी, कामठी, कुई, मंगली सारपानी टाकटाईयां, बदना, गुडा, छिरहा, मुनमुना, नेउर और लालपुर में विशेष शिविर लगाकर बैगा समुदाय के लोगों के स्वास्थ्य एवं सिकलसेल की जांच के साथ ही लगभग 1870 बैगा परिवारों को आयुष्मान कार्ड जारी किए गए हैं। इन गांवों की अब तक लगभग 100 गर्भवती माताओं का सुरक्षित प्रसव कराया जा चुका है।विष्णुदेव साय सरकार के सुशासन से बैगा समुदाय की स्वास्थ के प्रति जागरूकता इतनी बढ़ चुकी है कि अब बैगा समुदाय की महिलाएं प्रसव के लिए सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य केन्द्रों में बिना झिझक स्वमेव आने लगी है बैगा समुदाय की नारी शक्ति का ये बदलाव जन्मन योजना की सफलता का परिचय देती है। इतना ही नही बैगा परिवारों को स्वास्थ्य बीमा के तहत कवर किया जा रहा है ताकि वे मुफ्त इलाज की सुविधा का लाभ उठा सकते हैं। गर्भवती महिलाओं और बच्चों के लिए टीकाकरण और पोषण कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। बैगा समुदाय के लिए नियमित स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन किया जा रहा है।
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बैगा जनजाति अपनी पारंपरिक जीवनशैली के लिए प्रसिद्ध है। यह समुदाय जंगलों पर आधारित कृषि, जड़ी-बूटी संग्रह, और शिकार पर निर्भर रहता आया है। जंगल को अपनी मां के रूप में पूजने वाले बैगा समुदाय के लोग एक स्थान पर स्थायी तौर पर निवास नही करते यही वजह है क़ि ये लोग बेवर यानी झूम खेती (shifting cultivation) किया करते थे। मगर समय के साथ बहुत से परिवर्तन हुए जंगलों की कटाई और शहरीकरण के कारण उनके पारंपरिक संसाधन सीमित हो गए, मगर अब जनमन योजना के बाद छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा खेती-किसानी के लिए दी जा रही मदद के चलते बैगा समुदाय के लोग बेवर खेती को छोड़ परंपरागत तौर-तरीकों से खेती-किसानी करने लगे है। बिना ब्याज के कृषि ऋण, अनुदान पर कृषि यंत्रों सहित अन्य सुविधाएं मिलने की वजह से बैगा समुदाय के लोग अब बेवर खेती को छोड़ स्थायी खेती करने लगे है। कबीरधाम जिले में शासन द्वारा बैगा समुदाय के लोगों को किसान क्रेडिट कार्ड एवं खेती-किसानी के लिए इस वर्ष 11.70 लाख रूपए का कृषि ऋण दिया जा चुका है।कबीरधाम जिले के राम दमगढ़ निवासी समेलाल बैगा, ग्राम रोखनी के राजकुमार बैगा जैसे किसानो की संख्या बढ़ते क्रम में है जिन्होंने पीएम-जनमन योजना से सहायता पाकर आज अपना जीवन संवार रहे हैं।
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छत्तीसगढ़ की साय सरकार के सामने बैगा समुदाय के लिए आजीविका के साधन विकसित करना एक बड़ी चुनौती बनकर सामने आई मगर प्रधानमंत्री जनमन योजना और अपनी संकल्प शक्ति से राज्य के मुखिया ने उन चुनौतियों का समाधान भी निकाल लिया है। आज बैगा समुदाय के सदस्यों को उनके पारंपरिक कौशल, जैसे कि जंगल उत्पाद संग्रहण जैसे महुआ, तेंदू पत्ता, शहद इत्यादि को बाजार में बेचने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है।बैगा समुदाय के युवाओं को आधुनिक उद्योगों में रोजगार के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है।बैगा समुदाय की महिलाओं को स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से आर्थिक रूप से सशक्त किया जा रहा है। कबीरधाम ज़िले की सुरेखा, जो पहले जंगल से महुआ और तेंदू पत्ते बेचकर मुश्किल से गुजारा करती थी, अब एक स्वयं सहायता समूह की सदस्य बनकर शहद उत्पादन का काम कर रही है। उसकी आय में ज़बरदस्त वृद्धि हुई है और वह अपनी बेटी को स्कूल भेज रही है आज ऐसे उदाहरणों से बैगा समुदाय भरा हुआ है।
पीएम-जनमन योजना के चलते कबीरधाम जिले की 260 बैगा बसाहटों में सोलर पंप, पानी टंकी, पाईप लाईन के माध्यम से बैगा परिवारों के घरों में नल से जल की आपूर्ति का काम तेजी से कराया जा रहा है। वर्तमान में विकासखंड बोड़ला के 181 बसाहटों में से 62 बसाहटों में सोलर पंप, पानी टंकी, पाईप लाईन के माध्यम से जलापूर्ति शुरू कर दी गई है, शेष 119 बसाहटों में नल कनेक्शन दिए जाने का काम जारी है। पंडरिया ब्लॉक अंतर्गत 78 बैगा बसाहटों में से 18 बसाहटों में नल से जल प्रदाय करने का काम पूरा हो चुका है, जबकि शेष बसाहटों में पानी टंकी निर्माण कार्य, पाईप लाईन बिछाने का काम जारी है। बैगा बसाहटों में पेयजल के लिए पहले से हैण्डपंप स्थापित है।
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प्रधानमंत्री आवास योजना और ग्रामीण विकास योजनाओं के तहत बैगा परिवारों को पक्के मकान प्रदान किए जा रहे हैं। कबीरधाम जिले में 8 हजार 596 विशेष पिछड़ी जनजाति के तहत बैगा समुदाय के परिवारों का सर्वे किया गया जिसमें 8 हजार 440 परिवार बैगा परिवार आवास के लिए पात्र पाए गए है, जिनमें से 7853 का परिवारों का पंजीयन आवास पोर्टल में किया गया है एवं 7394 परिवारों को आवास की स्वीकृति प्रदान की जा चुकी है। स्वीकृत परिवारों में से 6 हजार 678 हितग्राहियों को प्रथम किश्त, 3031 हितग्राहियों को द्वितीय किश्त और 1081 हितग्राहियों को तीसरे किश्त की राशि ऑनलाईन डी.बी.टी. के माध्यम से सीधे उनके बैंक खातों में ट्रांसफर की जा चुकी है। बैगा समुदाय के रहवासी इलाकों में 4 छात्रावास, 39 आंगनबाड़ी केन्द्र, 2 वनधन केन्द्र, 13 बहुद्देशीय केन्द्र सहित कुल 370 कार्यों की स्वीकृति दी गई हैं, उस पर भी काम समाप्ति की ओर है।
प्रधानमंत्री जनमन के तहत शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है बैगा समुदाय, जो शिक्षा से सबसे अधिक वंचित रहा है, उनके लिए राज्य की साय सरकार ने आवासीय स्कूल और आश्रम शालाएं खोले दिए हैं। एकलव्य मॉडल स्कूल में बैगा समुदाय के बच्चों को शिक्षा, भोजन, ड्रेस और किताबें सबकूछ मुफ्त में दी जाती हैं।जनजातीय बच्चों को आगे की शिक्षा के लिए छात्रवृत्ति दी जा रही है, ताकि वे उच्च शिक्षा पा सकें। इतना ही नही इन स्कूलों में बैगा बच्चों को उनकी परंपरागत संस्कृति और आधुनिक शिक्षा के बीच संतुलन भी सिखाया जा रहा है।
प्रधानमंत्री जनमन योजना के तहत छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव साय सरकार ने वनाधिकार अधिनियम के तहत बैगा समुदाय को उनके पारंपरिक जंगलों पर अधिकार दिलाने के लिए उल्लेखनीय प्रयास किया है। बैगा समुदाय को वन उत्पाद संग्रहण और उसकी बिक्री का अधिकार दिया गया है।वन उत्पादों की बिक्री और कौशल विकास से बैगा परिवारों की आय में अच्छी वृद्धि हो रही है।पारंपरिक ज्ञान और जैव विविधता को संरक्षित करने के लिए सरकार ने बैगा समुदाय के साथ काम करना भी शुरू किया है। छत्तीसगढ़ के बैगा जनजाति की ये प्रगति न केवल उनके समुदाय के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारत के समग्र विकास और समावेशी समाज की दिशा में एक बड़ा कदम है इस सफलता के लिए भी राज्य की विष्णु देव साय सरकार साधु वाद की हक़दार है।
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