रायपुर. छत्तीसगढ़ की लगभग 3 करोड़ आबादी में एक तिहाई जनसंख्या आदिवासी समुदाय की है। आदिवासी समुदाय के विकास , शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के लिए छत्तीसगढ़ में विष्णु देव साय सरकार ने पिछले एक साल में जो काम किया है ऐसा पहले की सरकारों में कभी भी नहीं देखा गया. विष्णुदेव साय सरकार के सुशासन में आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में विकास का नया सूरज उगा है. केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही पीएम जनमन योजना और राज्य सरकार की नियद नेल्ला नार योजना आदिवासियों का जीवन बदलने वाली साबित हो रही है.
राज्य शासन की नियद नेल्ला नार योजना जिसका शाब्दिक अर्थ होता है आपका अच्छा गांव योजना, अपने नाम को सार्थक करती हुई ये योजना आदिवासी गांव के लिए भाग्य विधाता बनी हुई है. मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में राज्य सरकार द्वारा बस्तर के सुदूर गांवों में विकास की गति तेज करने राज्य शासन द्वारा शुरू की गई नियद नेल्ला नार योजना से दूरस्थ आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में बड़ा बदलाव आ रहा है.
नियद नेल्ला नार योजना से छत्तीसगढ़ के दूरस्थ इलाकों में स्वास्थ्य, सड़क, संचार और सुरक्षा नेटवर्क में होने वाले सुधार से आदिवासी समाज के जीवन स्तर में गुणवत्ता का संचार हो रहा है। छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव साय सरकार ने प्रदेश में वामपंथी उग्रवाद की समस्या पर बहुत ही कुशलता से अंकुश लगाया है। आज नियद नेल्ला नार योजना के तहत स्थापित सोलर हाईमास्ट से कांकेर के माओवाद प्रभावित गांवों की रातें पहली बार रोशन हो रही है ये उजाला किसी नए दिन के आगम की सूचना के जैसा महसूस होता है । सौर ऊर्जा से ही ड्यूल पंपों का संचालन हो रहा है सोलर एनर्जी से गाँव वाले उजली रातें और निर्मल जल पा रहे हैं। कांकेर के कोयलीबेड़ा विकासखंड के पानीडोबीर, आलपरस, जुगड़ा, गुन्दूल (मर्राम), अलपर, हेटाड़कसा और चिलपरस गांव के चौक-चौराहों को रात में रोशन करने सोलर हाईमास्ट संयंत्रों की स्थापना की गई है।
रात में रौशनी की अच्छी व्यवस्था हो जाने से इन माओवादी प्रभावित क्षेत्रो में रात्रिकालीन बैठक और सामुदायिक-सांस्कृतिक कार्यक्रम की शुरुआत हो गई हैं। प्रकाश व्यवस्था के आ जाने से ग्रामीण जंगली जानवरों से खुद को ज्यादा सुरक्षित भी महसूस कर रहे हैं। विष्णुदेव साय सरकार की नियद नेल्ला नार योजना आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र से हर तरह के अंधकार को मिटा रही है। केन्द्र और राज्य सरकार की योजनाएं आदिवासी समुदाय के अंतिम पंक्ति के व्यक्ति तक भी पहुँच रही है ऐसा पहली बार महसूस हो रहा है। आदिवासी समुदाय के सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक उत्थान के लिए चलाई जा रही नियद नेल्ला नार योजना से आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र का वातावरण पूरी तरह से बदलने लगा है।
साय सरकार ने पिछले 1 साल में आदिवासी समुदाय की आवास, पेयजल, विद्युत और सड़क जैसी सभी बुनियादी जरूरतों पर जो भी काम किया गया है उसका अब असर दिखने लगा है। नियद नेल्ला नार से संवेदनशील और दूरस्थ माओवाद प्रभावित गांवों तक भी शासन की जनकल्याणकारी योजनाएँ अब आसानी से पहुंचने लगी है। माओवाद प्रभावित गांवों में वृहद स्तर पर सौर संयंत्रों का सफलता पूर्वक स्थापना सभी को सुखद आश्चर्य से भर रहा है। घुप्प अंधेरे में डूबा गाँव जब रौशन होता है तो रहवासियों की मानसिकता में भी धनात्मक परिवर्तन होता है। प्रकाश व्यवस्था के आभाव में दूसरी बहुत सी बुनियादी सुविधाओं और योजनाओं के क्रियान्वयन में भी बाधा महसूस की गई, राज्य की विष्णु देव साय सरकार ने इस समस्या को मूल से समाप्त करने की दिशा में अपनी यात्रा आरम्भ कर दी है।
दूरस्थ गांवों तक बुनियादी सुविधाएं पहुंचाने के लिए सौर ऊर्जा का दूरदर्शीता पूर्वक इस्तेमाल से मिल रही रौशनी के लिए सोलर हाईमास्ट, शुद्ध पेयजल की आपूर्ति के लिए सोलर पेयजल संयंत्र की स्थापना की जा रही है। सौर सुजला योजना के तहत सौर ऊर्जा से संचालित विभिन्न उपकरण स्थापित किए जा रहे हैं इन सब के बाद अब बस्तर के दूरस्थ और दुर्गम गांवों बहुत तेज़ी से विकास की मुख्य धारा से जुड़ रहे हैं।
कांकेर के ग्राम पानीडोबीर स्थित बालक आश्रम के अधीक्षक समरथ ने बताया कि पहले आश्रम परिसर में लाइट की व्यवस्था नहीं होने से बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ अन्य गतिविधियों में परेशानियों का सामना करना पड़ता था, लेकिन अब आश्रम परिसर में सोलर लाइट लगने से रात में उजाले की व्यवस्था हो गई है। इससे बच्चे अब रात में भी पढ़ाई कर रहे हैं। अच्छी प्रकाश व्यवस्था से रात में सब खुद को ज्यादा सुरक्षित भी महसूस कर रहे हैं।
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