रायपुर. विशेष पिछड़ी जनजाति के लोगों को राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहा जाता है लेकिन आजादी के कई साल बाद भी ये विकास की मुख्यधारा से नहीं जुड़ पाये थे. छत्तीसगढ़ के पांच विशेष पिछड़ी जनजातियों बैगा,पहाडी कोरबा,बिरहोर, कमार और अबूझमाडिया के लिए भी योजनाओं की भरमार होने के बाद भी इनके जीवनस्तर में उल्लेखनीय सुधार नहीं आ रहा था, लेकिन जनजातीय समुदाय से विष्णुदेव साय के मुख्यमंत्री बनने के बाद इन जनजातियों के उत्थान के लिये विशेष प्रयास शुरू किये गये हैं. इसके बेहद सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने विशेष संरक्षित जनजातियों (PVTGs) के कल्याण और सशक्तिकरण के लिए कई महत्वपूर्ण पहल की है. उनके नेतृत्व में निम्नलिखित कार्य संपन्न हुए हैं.
1.जनजातीय परंपरा के संरक्षकों का सम्मान- मुख्यमंत्री साय ने जनजातीय परंपरा के संरक्षक बैगा, गुनिया और
सिरहा को सम्मानित किया है.. यह सम्मान जनजातीय समाज की सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण और उनके
योगदान की सराहना के रूप में दिया गया है.
2. जनजातीय गौरव दिवस का आयोजन- सीएम साय ने भगवान बिरसा मुंडा की जयंती के अवसर पर 15 नवंबर
को छत्तीसगढ़ के हर जिले में जनजातीय गौरव दिवस मनाने की पहल की है.. इस आयोजन का उद्देश्य जनजातीय
समाज के गौरवशाली अतीत को सम्मानित करना और उनकी सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करना है.
3. शिक्षा के क्षेत्र में विशेष प्रयास-मुख्यमंत्री साय की सरकार आदिवासी बच्चों की शिक्षा के लिए विशेष प्रयास कर
रही है.. इसके तहत आदिवासी क्षेत्रों में स्कूलों की स्थापना, छात्रवृत्ति योजनाएं और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित
करने के लिए कदम उठाए गए हैं.
4. सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षण- विष्णुदेव साय की सरकार आदिवासी समुदायों की सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण
के लिए भी प्रयासरत है..इसमें जनजातीय कला, संगीत, नृत्य, और परंपराओं के संरक्षण और प्रोत्साहन के लिए
विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं.
उपरोक्त प्रयासों से मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने छत्तीसगढ़ की विशेष संरक्षित जनजातियों के जीवन स्तर में सुधार
और उनके सशक्तिकरण के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया है.. इन योजनाओं का उद्देश्य इन जनजातियों को
उनकी सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक स्थिति में सुधार प्रदान करना है.. यहाँ प्रमुख कल्याणकारी योजनाओं
का विवरण दिया गया है.
आवास योजना
प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना: जनजातीय क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाएं, जैसे आवास, सड़क, पानी, और बिजली
प्रदान करना..आदिवासी आवास योजना: विशेष रूप से संरक्षित जनजातियों के लिए पक्के मकान बनाए जाते हैं.
शिक्षा से संबंधित योजनाएं
आश्रम एवं छात्रावास योजना: बच्चों के लिए नि:शुल्क शिक्षा और आवास की व्यवस्था..
सुपोषण शिक्षा अभियान: विशेष जनजातीय क्षेत्रों में बच्चों को पौष्टिक भोजन और प्राथमिक शिक्षा देना..
जनजातीय छात्रवृत्ति योजना: उच्च शिक्षा के लिए वित्तीय सहायता
स्वास्थ्य सुविधाएं
मोबाइल चिकित्सा इकाई: दूरस्थ क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराई जाती हैं..
सुरक्षित मातृत्व योजना: गर्भवती महिलाओं को स्वास्थ्य सेवाएं और पोषण संबंधी सहायता..
टीकाकरण अभियान: बच्चों और महिलाओं को गंभीर बीमारियों से बचाने के लिए टीकाकरण..
आजीविका संवर्धन
वन धन विकास केंद्र: विशेष जनजातियों को उनके उत्पादों (जैसे महुआ, तेंदूपत्ता) के मूल्य संवर्धन और विपणन
में मदद…मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम): रोजगार के अवसर प्रदान करना..
लघु वनोपज संग्रहण: वन उत्पादों के संग्रहण और बिक्री से आय..
संस्कृति और परंपरा संरक्षण
जनजातीय सांस्कृतिक केंद्र और संग्रहालयों का निर्माण…
पारंपरिक कला और शिल्प को प्रोत्साहन देने के लिए विशेष योजनाएं..
पोषण एवं खाद्य सुरक्षा
सुपोषण अभियान: बच्चों और महिलाओं के लिए पोषण योजनाएं..
मुफ्त राशन वितरण योजना: अत्यधिक गरीब परिवारों को खाद्य सामग्री दी जाती है..
विशेष विकास परियोजनाएं
बैगा, कमार, अबुझमाड़िया और पहाड़ी कोरवा जैसी संरक्षित जनजातियों के लिए विशेष विकास कार्यक्रम..
उनके आवास, स्वास्थ्य, और शिक्षा के लिए अलग बजट आवंटित..
पुनर्वास योजनाएं
यदि विशेष संरक्षित जनजातियों को विस्थापित किया जाता है, तो उनके पुनर्वास और रोजगार की व्यवस्था की
जाती है..छत्तीसगढ़ सरकार और केंद्र सरकार के इन प्रयासों से विशेष संरक्षित जनजातियों को समाज की
मुख्यधारा से जोड़ने और उनकी जीवनशैली में सुधार लाने में मदद मिल रही है.
सीएम साय ने उपरोक्त सभी कल्याणकारी योजनाएं पीएम जनमन योजना के तहत चलाई और इस एक योजना से उजाले की किरण विशेष पिछड़ी जनाजातियों के इन बस्तियों में फैल गई है.. पक्के घरों में बिजली पहुंच रही है.. बच्चों के लिए स्कूल खोले गये हैं और इन तक पहुंचने के लिए सड़कें भी बनाई जा रही हैं. पीएम जनमन योजना को शुरू हुए अभी एक साल का अरसा भी नहीं बीता है कि इस योजना के प्रभावी कार्यान्वयन से विशेष पिछड़ी जनजातियों के रहवासी इलाकों में विकास का उजियारा साफ-साफ दिखाई देने लगा है.. इस उजियारे से विशेष पिछड़ी जनजातीय समुदाय के लोगों में शासन के प्रति एक नया विश्वास जगा है और उनके चेहरे पर एक चमक दिखाई देने लगी है.
पीएम जनमन योजना का उद्देश्य विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूहों के बीच विकास, समावेशिता और सशक्तिकरण को बढ़ावा देना है..प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन और मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार जनजातीय समुदाय के लोगों की स्थिति को बेहतर बनाने और उनके रहवासी इलाकों में बुनियादी सुविधाएं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए पूरी शिद्दत से जुटी हुई है..छत्तीसगढ़ में डबल इंजन की सरकार है,जिसके चलते पीएम जनमन के क्रियान्वयन में छत्तीसगढ़ देश के अग्रणी राज्यों में से एक है..शासन की विभिन्न योजनाओं के कन्वर्जेस के चलते छत्तीसगढ़ के जनजातीय समुदायों का जीवन स्तर और उनके रहवासी क्षेत्रों में तेजी से बदलाव दिखाई देने लगा है.
पीएम जनमन योजना के तहत विशेष पिछड़ी जनजाति परिवारों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पक्के मकान की स्वीकृति एवं निर्माण का काम तेजी से शुरू कर दिया गया हैं.. भारत सरकार ने छत्तीसगढ़ के लिए पांच जनजातियों को विशेष पिछड़ी जनजाति घोषित किया है, जिसमें बैगा, कमार, पहाड़ी कोरवा,बिरहोर और अबूझमाडिया जनजाति आते हैं.. छत्तीसगढ़ में विशेष पिछड़ी जनजाति की कुल जनसंख्या 3,10,625 है. इनमें से पहाड़ी कोरवा जनजाति की कुल जनसंख्या 1,29,429 है. छत्तीसगढ़ में पहाड़ी कोरवा जनजाति मुख्य रूप से जशपुर, सरगुजा, बलरामपुर, कोरबा, और रायगढ़ ज़िलों में पाई जाती है.इसी प्रकार बैगा जनजाति छत्तीसगढ़ राज्य की एक विशेष पिछड़ी जनजाति है..राज्य में बैगा जनजाति के लोग मुख्य रूप से कवर्धा और बिलासपुर जिलों में पाए जाते हैं.
छत्तीसगढ़ में कमार जनजाति भी विशेष पिछड़ी जनजातीय समुदाय के अंतर्गत आते हैं,जो गरियाबंद, मैनपुर, छुरा, नगरी. मगरलोड, महासमुंद एवं बागबाहरा विकासखंडो के छोटे-छोटे ग्रामों में निवासरत हैं..इसी प्रकार बिरहोर जनजाति छत्तीसगढ़ राज्य की एक विशेष पिछड़ी जनजाति है,जो रायगढ़ जिले के लैलुंगा, तमनार व धरमजयगढ़, कोरबा जिला के पोंडी, पाली व उपरोड़ा, बिलासपुर जिला के मस्तूरी व कोटा, जशपुर जिला के बगीचा, दुलदुला, पत्थलगाँव व कंसाबेल में ज्यादातर निवास करते हैं..अबूझमाड़िया जनजाति का निवास क्षेत्र छत्तीसगढ़ राज्य के नारायणपुर जिले के अबूझमाड़ क्षेत्र में है,जिसके कारण इन्हें स्थानीय बोली में अबूझमाड़िया कहा जाता है.
पीएम जनमन पहल ने विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूहों (PVTG) की ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए छत्तीसगढ़ में कई प्रभावशाली गतिविधियाँ शुरू की हैं..कार्यक्रम ने PVTG समुदाय के लिए कुल 24,079 घरों को मंज़ूरी दी है, जिनमें से 1,108 घर पूरे हो चुके हैं.. 21,553 घरों के लिए पहली किस्त जारी की गई है, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि इन परिवारों को सुरक्षित और स्थायी आश्रय मिल सके. बेहतर कनेक्टिविटी की आवश्यकता को समझते हुए, 1,044.78 करोड़ रूपए के बजट के साथ 398 सड़कों के निर्माण को मंजूरी दी गई है..वर्तमान में, इनमें से 328 सड़कें निर्माणाधीन हैं, जो आदिवासी समुदायों के लिए आवश्यक सेवाओं और बाजारों तक पहुँच को बढ़ाएँगी..प्रारंभिक बचपन की देखभाल और शिक्षा में सुधार के लिए, वर्तमान में 80 आंगनवाड़ी केंद्र संचालित हैं.. इनमें से 54 को निर्माण के लिए मंजूरी मिल गई है, जिसके लिए 8.48 करोड़ रूपए आवंटित किए गए हैं.. 10 भवनों का निर्माण पहले ही शुरू हो चुका है.
16 वन धन केंद्रों की स्थापना की गई है, इन केंद्रों का उद्देश्य वन उपज के संग्रह और प्रसंस्करण के माध्यम से स्थायी आजीविका को बढ़ावा देना है.. इस पहल में 43.80 करोड़ रूपए के बजट के साथ 73 बहुउद्देश्यीय केंद्रों की मंजूरी शामिल है.. इनमें से 9 केंद्रों का निर्माण कार्य शुरू हो चुका है, जो विभिन्न सेवाओं के लिए सामुदायिक केंद्र के रूप में काम करेंगे. बिजली की पहुँच सुनिश्चित करने के लिए 7,067 पीवीटीजी घरों के विद्युतीकरण के लिए स्वीकृति दी गई है, जिनमें से 3,693 घरों में पहले ही बिजली पहुँच चुकी है.. इन समुदायों में जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए यह कदम महत्वपूर्ण है..कार्यक्रम ने आदिवासी बस्तियों के लिए 31 छात्रावासों को मंजूरी दी है, जिसमें कुल 68.24 करोड़ रूपए का निवेश किया गया है..इन सुविधाओं का उद्देश्य दूरदराज के क्षेत्रों के छात्रों के लिए आवास उपलब्ध कराना है.
जल जीवन मिशन के तहत, 17,372 घरों में पाइप से जलापूर्ति शुरू की गई है, जबकि 9,473 और घरों के लिए स्वीकृति दी गई है… स्वच्छ पेयजल तक यह पहुँच स्वास्थ्य और स्वच्छता के लिए आवश्यक है..स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच बढ़ाने के लिए 57 मोबाइल मेडिकल इकाइयों को मंजूरी दी गई है,जिनकी परिचालन लागत 33.88 लाख रूपए प्रति इकाई है…ये इकाइयाँ दूरदराज के आदिवासी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने में महत्वपूर्ण हैं. इस पहल ने विभिन्न व्यावसायिक शिक्षा और कौशल विकास कार्यक्रमों में पीवीटीजी समुदाय के 199 युवाओं को सफलतापूर्वक प्रशिक्षित किया है, जिससे उनके रोजगार के अवसर बढ़े हैं..पीएम जनमन अभियान ने आदिवासी क्षेत्रों में आधार कार्ड, आयुष्मान कार्ड, पीएम किसान कार्ड और जाति प्रमाण पत्र जैसे महत्वपूर्ण दस्तावेजों के वितरण पर भी ध्यान केंद्रित किया है.. कुल 976 शिविर आयोजित किए गए हैं, जिनमें 107,649 से अधिक प्रतिभागियों को लाभ मिला है.
पीएम जनमन योजना भारत में आदिवासी समुदायों की सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है..आवास, स्वास्थ्य, शिक्षा और आजीविका को संबोधित करने वाले अपने व्यापक दृष्टिकोण के साथ यह पहल समावेशी विकास के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है…जैसे-जैसे यह योजना लोगों तक पहुंच रही है, वैसे-वैसे वे समाज के हाशिए पर पड़े वर्गों के लिए एक उज्जवल और अधिक न्यायसंगत भविष्य का वादा करती हैं, जो अधिक समावेशी भारत का मार्ग प्रशस्त करती हैं.
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में राज्य सरकार द्वारा प्रधानमंत्री जनमन योजना के तहत किए गए प्रयासों से छत्तीसगढ़ के जनजातीय समाज में एक नई रोशनी आई है..यह योजना न केवल सामाजिक न्याय की दिशा में एक ठोस कदम है, बल्कि विकास के उन सपनों को साकार करने का भी एक महत्वपूर्ण माध्यम है, जो अब तक अधूरे थे.. प्रधानमंत्री जनमन योजना के अंतर्गत विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों को मुख्यधारा से जोड़ने और उन्हें बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए ठोस कदम उठाए गए हैं..
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई यह योजना जनजातीय समुदायों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास कर रही है, जो उन्हें सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है..पीएम नरेन्द्र मोदी ने इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ और देश के जनजाति बाहुल्य गांवों तथा वहां निवासरत परिवारों के शत् प्रतिशत विकास के दृष्टिकोण से हाल ही मेें भगवान बिरसा मुंडा के 150वीं जयंती के अवसर पर बिहार केे जमुई में आयोजित समारोह से धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान की शुरूआत की है.. यह अभियान निश्चित ही इन वर्गों के लिए मील का पत्थर साबित होगा.
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