अमित शर्मा,श्योपुर। मध्यप्रदेश के श्योपुर कूनो पालपुर अभ्यारण में अफ्रीकन और नामीबिया दोनों ही देशों से चीतों को लाने की तैयारियां पूर्ण हो चुकी है। चीता की बसाहट के लिए कूनो पालपुर में 5 वर्ग किलोमीटर का सेफ जोन भी बनाया गया है। जिस पर फिलहाल से तेंदुओं ने कब्जा कर लिया है। जिन्हें निकालने के लिए वन विभाग की टीम कड़ी मेहनत कर रही है। फिलहाल तीन तेंदुआ अभी भी मौजूद हैं जिनके लिए सतपुड़ा टाइगर रिजर्व से दो हाथियों को मंगाया गया है। अब वन विभाग की टीम इन हाथियों की मदद से तेंदुओं को निकालने का काम करेगी। दरअसल, कूनो पालपुर अभ्यारण में लंबे इंतजार के बाद टूरिज्मों को चीतों का इंतजार आगामी 2 से 3 हफ्तों में खत्म होने की जा रहा है।

बता दें कि, 41 बर्ष साल पुराना कूनो 26 साल से ऐशियाई शेरों के लिए विकसित हो रहा राष्ट्रीय कूनों पालपुर अभ्यारण्य 750 वर्ग किमी में फैला हुआ है। जिसमें तेंदुआ, भालू, हाइना, जंगली सूअर, कई प्रजातियों की जंगली बिल्ली जैसे खतरनाक जंगली जानवरों के अलावा, हजारों की संख्या में हिरण, सांभर, नीलगाय, चीतल, बारहसिंहा, चिंकारा, खरगोश सहित कई अन्य प्रजातियों के वन्य जीव भारी संख्या में हैं। भारत सहित दूसरे देशों के वन्य जीव एक्सपर्ट कूनो के बातावरण को ऐशियाई शेरों के अलावा चीतों के लिए बेहद खास बता चुके हैं।

कूनो वन्य प्राणी वन मंडल कैंपस वॉच टावर

इसके बाद आगामी 5 साल के भीतर कूनों में आधा सैकड़ा चीतों को बसाए जाने की तैयारी है, अफ्रीका और नामीबिया दोनों ही देश कूनो में चीते भेजने के लिए तैयार हैं। पहली बार में दोनों देशों से कुल 20 चीते कूनों लाए जाएंगे, जिनमें 10 नर और 10 मादा चीते शामिल रहेंगे। जिन्हें लाए जाने की तैयारी लगभग पूरी हो चुकी है लेकिन, कूनों के बाड़े में घुसे हुए तेंदुआ कूनों प्रबंधन के लाख प्रयासों के बाद भी बाहर नहीं निकल सके हैं। बताया जा रहा है कि, बारिश की वजह से कीचड़ और बड़ी घास होने की वजह से उन्हें बाड़े से निकालने में दिक्कत आ रही है। इसे देखते हुए अब कूनो प्रशासन ने सतपुड़ा टाइगर रिजर्व से दो हाथियों को मंगवाया है, जिनकी मदद से तेंदुआओं को तलाशकर बाड़े से बाहर निकालने का काम किया जाएगा।

तेंदुआ और चीता दोनों एक ही जॉन में रहना नामुमकिन है क्योंकि तेंदुआ वजन में लगभग 100 किलो तक का होता है और चीता महज 70 किलो तक का ही होता है। दौड़ के मामले में बात की जाए तो चीता के मुकाबले अन्य कोई वन्य जीव तेज गति से नहीं दौड़ सकता है। चीता की रफ्तार 100 किलोमीटर प्रति घंटा से भी अधिक होती है। इस बारे में कूनो वन मंडल के डीएफओ प्रकाश वर्मा का कहना है कि, तेंदुओं को बाड़े से निकालने के लिए हाथी मंगवाए हैं। जल्द ही तीनों तेंदुओं को बाड़े से बाहर निकाल दिया जाएगा।

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