Google Lawsuit: ब्रिटेन में गूगल के खिलाफ 5 बिलियन पाउंड यानी लगभग 55 हजार करोड़ रुपये का क्लास एक्शन मुकदमा दायर किया गया है. टेक कंपनी पर ऑनलाइन सर्च और विज्ञापन बाजार में एकाधिकार के दुरुपयोग और प्रतिस्पर्धा-विरोधी गतिविधियों का आरोप लगाया गया है.
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गूगल के खिलाफ केस किसने किया? (Google Lawsuit)
इस मुकदमे की अगुवाई प्रोफेसर ऑर ब्रूक कर रही हैं, जो यूनिवर्सिटी ऑफ लीड्स में एसोसिएट प्रोफेसर हैं. उन्होंने बताया कि यह दावा ब्रिटेन के लगभग 2,50,000 व्यवसायों की ओर से किया जा रहा है, जिन्होंने 1 जनवरी 2011 से अप्रैल 2025 तक गूगल की सर्च विज्ञापन सेवाओं का उपयोग किया. इस दावे को Geradin Partners और अन्य कानूनी फर्मों का भी समर्थन प्राप्त है.
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गूगल पर क्या हैं आरोप? (Google Lawsuit)
- गूगल पर आरोप है कि उसने मोबाइल कंपनियों के साथ समझौते कर गूगल सर्च और क्रोम को डिफ़ॉल्ट ऐप के रूप में शामिल कराया, जिससे अन्य सर्च इंजन को सही तरीके से चलने का अवसर नहीं मिला.
- गूगल ने Apple को अरबों पाउंड का भुगतान किया ताकि Safari ब्राउज़र में गूगल ही डिफ़ॉल्ट सर्च इंजन बना रहे. इससे Yahoo, Bing जैसे प्रतिद्वंद्वी प्लेटफॉर्म iOS उपयोगकर्ताओं तक नहीं पहुंच पाए.
- आरोप यह भी है कि गूगल ने अपने एकाधिकार का इस्तेमाल कर ब्रिटिश कंपनियों को कई गुना कीमत पर विज्ञापन देने के लिए मजबूर किया, जिसके चलते मुआवजे की मांग की जा रही है.
गूगल के बिजनेस मॉडल की पारदर्शिता पर सवाल (Google Lawsuit)
इस मामले के चलते गूगल के बिजनेस मॉडल की पारदर्शिता पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं. अगर कोर्ट गूगल के खिलाफ फैसला सुनाता है, तो कंपनी को कई व्यवसायों को मुआवज़ा देना पड़ सकता है, जिनसे गूगल ने विज्ञापन सेवाओं के बदले ज्यादा राशि वसूली थी.
डिजिटल विज्ञापन के लिए कड़े नियम संभव (Google Lawsuit)
यदि अदालत का फैसला गूगल के खिलाफ जाता है, तो भविष्य में डिजिटल विज्ञापन को लेकर कड़े नियमन लागू किए जा सकते हैं, ताकि प्रतिस्पर्धा बनी रहे और बाजार में पारदर्शिता सुनिश्चित हो.
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