भोपाल। Govardhan Puja: मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इंदौर में रेशम केंद्र स्थित नगर निगम की गौ-शाला में गोवर्धन पूजा कर कार्यक्रम को सम्बोधित किया। मुख्यमंत्री ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में देश में सनातन संस्कृति और सांस्कृतिक विकास के अनेक कार्य हुए हैं।

सीएम डॉ. मोहन यादव ने कहा, गौमाता स्वदेशी जीवन शैली की प्रतीक है। संसार में हमारा जन्म भले ही माता-पिता के माध्यम से हुआ हो, लेकिन गौमाता अपने बच्चों के साथ संपूर्ण मानव जाति का लालन-पालन करती है। गौमाता और मनुष्य कभी अलग नहीं हो सकते, दोनों एक दूसरे पर परस्पर निर्भर हैं। घरों में पहली रोटी गाय के लिए और आखिरी रोटी काल भैरव के प्रतीक श्वान के लिए निकलती थी।

सीएम ने आगे कहा, आज प्रदेश में गोवर्धन, गौ संरक्षण और गौसंवर्धन का एक भी भाव है गाय की रक्षा। बदलते दौर में जियो और जीने दो की भावना से सबकी चिंता करना चाहिए। गौपाल कृष्ण ने अपने सिर पर मोर मुकुट धारण कर गांवों की संस्कृति को सर्वोपरि रखने का संदेश दिया है। व्यक्ति चाहे कितने बड़े स्थान पर चला जाएं, लेकिन गांवों से रिश्ते कभी खत्म नहीं करना चाहिए। गांवों की संस्कृति के साथ सभी तीज-त्योहार मनाए जाने चाहिए।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा, आज खेती में रासायनिक खादों यूरिया और डीएपी का प्रयोग बढ़ता जा रहा है, जिससे किसानों के लिए खेती का बजट बिगड़ता जा रहा है। उत्पादन की अपेक्षाकृत लागत बढ़ती जा रही है। अब जो किसान प्राकृतिक खेती के लिए पंजीयन कराएगा। उन्हें एमएसपी के साथ अलग से राशि दी जाएगी। प्राकृतिक खेती से जीवन में बड़े बदलाव आएंगे। गोमूत्र से चिकित्सा, गोबर से खाद और गोबर के दिये जैसे अनेक कल्याणकारी व्यवस्थाएं संचालित हो रही हैं। कहा जाता है कि गोबर से लिपे घर में परमाणु विकिरण का असर नहीं होता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के किसी भी नगर निगम में कोई भी पिंजरा पोल नहीं चलेगा। इन्हें बड़ी गोशालाओं बदला जा रहा है। इंदौर की यह गोशाला बड़ी गोशाला निर्माण का अनोखा उदाहरण है। जिस घर में गौमाता होती है, वहां कोई कुपोषित नहीं रहता है। गाय के दूध और घी से ही शरीर में सभी पोषक तत्व मिल जाते हैं। प्रतिदिन गाय के दूध और घी का सेवन करने से कई प्रकार की बीमारियां पास नहीं आती हैं। गौशालाओं के विकास और गोसेवा के लिए समाज और सरकार को सहकार्य की आवश्यकता है। दोनों मिलकर प्रदेशभर में गोशालाओं को गोमंदिर के रूप में विकसित करेंगे। अगर किसी को गोमाता को रखने में परेशानी है तो वे गाय को यहां-वहां न छोड़कर उन्हें गोशालाओं में पहुंचाएं। गोमाता को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी हमारी है। 

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