रायपुर। राज्यपाल अनुसुईया उइके ने इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में कुलपति के रूप में देश के प्रख्यात पौध प्रजनक एवं जैव प्रौद्योगिकी वैज्ञानिक डॉ. गिरीश चंदेल को नियुक्त किया है. इसके साथ ही करीबन महीनेभर से विश्वविद्यालय में स्थानीय कुलपति की नियुक्ति को लेकर प्रदर्शन कर रहे प्राध्यापक और छात्रों की मांग पूरी हो गई है.
सिमगा में हथबंद के पास ग्राम कुकराचुन्दा के मूल निवासी डॉ गिरीश चंदेल, रायपुर के प्रतिष्ठित अधिवक्ता स्व. मनसुख लाल चंदेल के ज्येष्ठ पुत्र हैं. कालीबाड़ी स्कूल के बाद कृषि महाविद्यालय, रायपुर से हुई है. इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के मेरिट स्कॉलर रहे पौध प्रजनक एवं जैव प्रौद्योगिकी वैज्ञानिक डॉ गिरीश चंदेल के पास कृषि शिक्षा, अनुसंधान एवं विस्तार प्रबन्धन का 30 वर्षों का अनुभव है, जिसमें 7 वर्षों का अनुभव विशेष रूप से सूखे और पोषण अनुसंधान के लिए अत्याधुनिक स्टेट ऑफ आर्ट बुनियादी सुविधाओं के निर्माण एवं पोषण प्रबंधन पर रहा है.
डॉ. चंदेल वर्तमान में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के जैव प्रौद्योगिकी विभाग में विभागाध्यक्ष हैं, साथ में विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी-कृषि एवं जैव प्रौद्योगिकी विभाग, छग शासन एवं राज्य के जैव प्रौद्योगिकी प्रोन्नत सोसाइटी के मुख्य कार्यपालन अधिकारी का भी कर्तव्य निर्वहन कर रहे थे.
उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अनुसंधान एवं विकास कार्यों का वृहद अनुभव है, इंटरनेशनल जेनेटिक इंजिनीरिंग एवं बायोटेक्नोलॉजी सेन्टर में पी एच डी फेलो तथा इंटरनेशनल राइस रिसर्च इंस्टीट्यूट में विजिटिंग वैज्ञानिक के रूप में जुड़े रहे. यही नहीं कृषि अनुसंधान एवं प्रबन्धन में फसल जैव विविधता का उपयोग, बायो-फोर्टिफिकेशन, फसल उन्नयन हेतु आधुनिक उपकरण, अनुवांशिक संशोधित फसलें एवं जैव सुरक्षा जैसे विषयों के साथ मानव स्वास्थ्य के लिए पोषण युक्त कृषि उत्पाद में आपकी विशेष योग्यता है.
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भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद एवं जैव प्रौद्योगिकी विभाग भारत सरकार की विभिन्न अनुसंधान परियोजनाओं का संचालन डॉ. चंदेल ने किया है, अभी तक 5 अंतर्राष्ट्रीय और 6 राष्ट्रीय परियोजनाओं को विशेष उपलब्धियों के साथ पूर्ण किया है, जिसमें सूखा एवं सूखे से संबंधित विभिन्न लक्षणों, अनाज बीजों में सूक्ष्म पोषक तत्त्वों एवं विभिन्न प्रकार के भोजन के नमूनों में ग्लायसेमिक इंडेक्स मैन के जांच की तकनीक विकसित किया है.
भारत वर्ष की सर्वप्रथम अधिक ज़िंक युक्त एवं मधुमेह पीड़ित व्यक्तियों के लिए धान की छगज़िंक-1, छगज़िंक-2, छग मधुराज, प्रोटोज़िंक इत्यादि किस्में विकसित की है जिसका उत्पादन किसानों द्वारा किया जा रहा है. इंटरनेशनल राइस रिसर्च इंस्टीट्यूट, फिलीपींस द्वारा आपको “डॉक्टरल फ़ेलोशिप” एवं बेलोर मेडीसिन कॉलेज के चिल्ड्रेन न्यूट्रिशन रिसर्च सेन्टर, ह्यूस्टन यू एस ए द्वारा न्यूट्रिशनल जीनोमिक्स पर कार्य हेतु प्रख्यात “एन ई बोरलॉग फेलोशिप” से सम्मानित किया जा चुका है.
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भारत सरकार द्वारा इंडो-जर्मन तथा इंडो-नीदरलैंड जैसी सहयोगी परियोजनाओं में समीक्षा दल में विशेषज्ञ सदस्य के रूप मे कार्य कर चुके हैं. साथ ही छत्तीसगढ़ शासन ने राज्य में जैव प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने हेतु राज्य के युवकों हेतु “स्टार्टअप इंडिया” एवं “इनक्यूबेशन सेंटर” के माध्यम से इस क्षेत्र में स्वरोजगार एव रोजगार के अवसर उत्त्पन्न करने के लिये जैव प्रौद्योगिकी प्रोन्नत सोसाइटी के मुख्य कार्यपालन अधिकारी का भी कार्य कर रहे थे.
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