रायपुर। कोरोना वायरस का असर चीन के वुहान शहर से हजारों मील दूर छत्तीसगढ़ के शहरों तक भी देखने को आ रहा है. वायरस के बचने के लिए हर स्तर पर प्रयास किया जा रहा है, ऐसे में इस खतरनाक वायरस को लेकर की जाने वाली रिपोर्टिंग को लेकर भी सावधानी बरते जाने की जरूरत है.
कोराना वायरस की रिपोर्टिंग करते समय पत्रकारों के लिए कुछ सुझाव दिए गए हैं –
डब्ल्यूएचओ के अनुसार बीमारी वाले लोगों के लिए “कोविड-19 मामले”, “कोविड-19 पीड़ित” या “कोविड-19 रोगग्रस्त” शब्दों का प्रयोग न करें जैसा विश्व भर के पत्रकार कर रहे हैं. इसके स्थान पर यह ऐसे लोग हैं `जिन्हें कोविड-19 हुआ है’, `जिनका कोविड-19 का इलाज चल रहा है’ या `जो कोविड-19 से ठीक हो रहे हैं.’
सनसनीखेज भाषा का उपयोग से बचें : भावनात्मक वाक्यांश जैसे `कोई अंत नज़र में नहीं’ , `उथल-पुथल’, `घातक’ और `तबाही’ जैसे शब्द जो अक्सर प्रयोग किए जा रहे हैं, आकर्षक हो सकते हैं लेकिन अफवाहों से बीमारी के प्रति भय पैदा करने में सहायक होते हैं. इसलिए इन शब्दों या वाक्यांशों से हमें बचना चाहिए.
स्टॉक फोटो के इस्तेमाल से बचें : किसी भी स्टॉक फोटो को इस्तेमाल करने से पहले अच्छी तरह से सोच लें. कोशिश करें कि स्टॉक इमेज का उपयोग न करें जो रूढ़िवादी छवियों को बढ़ा सकती हैं. यही बात उन फोटो के लिए भी है जो अनुचित भय पैदा कर सकता है. गलत संदेश फैलाने से बचने के लिए फोटो का सावधानी से उपयोग करें .
सबसे खराब स्थिति का अनुमान लगाने से बचें: विशेषज्ञों या स्त्रोतों को सनसनीखेज शब्दों या वाक्याशों को बोलने के लिए प्रोत्साहित करने से पाठकों की कोई मदद नहीं होगी, बल्कि भय पैदा होगा. जो जानकारी सही हैं और ज्ञात हैं, उस पर ध्यान केंद्रित करें. मुख्य समाचार पर ध्यान दें, उसका भयावह रूप में विश्लेषण करने से बचें.
पाठकों को विशेष और सटीक जानकारी प्रदान करें : विशेषज्ञ स्रोत जैसे विश्व स्वास्थ्य संगठन, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार और स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग, छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा दी गई विश्वसनीय जानकारी पाठकों तक पहुंचाएं.
जानकारी के लिए आधिकारिक स्त्रोतों की उपलब्धता बताएं: कोविड-19 के लिए स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग, छत्तीसगढ़ सरकार, विश्व स्वास्थ्य संगठन, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा प्रमाणिक जानकारी उपलब्ध करा रहे हैं. पाठकों को बताएं कि केवल गूगल पर निर्भर होने की बजाय प्रामाणिक स्रोतों का इस्तेमाल करें एवं उनकी वेबसाइटों का उपयोग करें. पाठकों को सेंट्रल हेल्पलाइन नंबर- 011-23978046 और छत्तीसगढ़ हेल्पलाइन नंबर- 0771-2235091 और 104 के बारे में बताएं.
कोरोनावायरस के लिए हेल्पलाइन ईमेल आईडी: [email protected] की जानकारी दें .छत्तीसगढ़ सरकार: ईमेल: [email protected], Website: cghealth.nic.in
एक से अधिक विशेषज्ञ से बात करें: एक से अधिक विशेषज्ञों से बातचीत और सटीक जानकारी को ही अपनी रिपोर्टिंग का आधार बनाएं. क्योंकि विभिन्न विशेषज्ञों की अलग-अलग राय हो सकती है. ऐसे व्यक्ति से सावधान रहें जो यह दावा करता है वह सबकुछ जानता है. एक से अधिक विशेषज्ञों से चर्चा कर सही जानकारी पाठकों तक पहुंचाएं.
हर अफवाह कवरेज की हकदार नहीं: कवरेज करने में अफवाहों पर ध्यान केन्द्रित करने से बचें. ऐसी अफवाहों को कवर न करें जो चुनिन्दा समुदाय में घूम रही हैं या उन तक ही सीमित हैं. पत्रकारों को अपनी सुर्खियों में अफवाह वाली भाषा का उपयोग नहीं कर उसके विस्तार से बचना चाहिए. समाचार की हेडिंग महत्वपूर्ण होती है. इसे सनसनीखेज बनाने से बचना चाहिए. आपने विस्तृत समाचार में यह लिखा भी हो कि यह अफवाह है पर कुछ लोग विस्तृत समाचार को नहीं पढ़ते हैं, केवल हेडिंग ही पढ़ते हैं. इसलिए इसे सरल और संक्षिप्त रखें.
अपमानजनक भाषा से बचें: कवरेज या रिपोर्टिंग में व्यक्तिपरक विशेषणों का उपयोग कम करें – उदाहरण के लिए “घातक” रोग, कोविड-19 से कई देशों के लोगों के प्रभावित होने की आशंका है. किसी भी जातीयता या राष्ट्रीयता से इसे नहीं जोड़ें. जो प्रभावित हुए हैं उनके प्रति सहानुभूति रखें, चाहे वो किसी भी देश के हों, क्योंकि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया है.
मानचित्र और ग्राफिक्स को दर्शाते समय डेटा स्रोत में दिनांक और संदर्भ को भी शामिल करें: याद रखें सांख्यिकीय रूप से दर्शाई गई स्टोरी लोग आसानी से समझते हैं . सामान्य लेख की तुलना में इसकी भयानकता कम होती हैं. इसका उपयोग करें क्योंकि इसे समझना आसान है.
`क्या करें और क्या न’ और ज़रूरी जानकारी – को लेखों में बार बार दोहरायें
ऐसा करने से ज़रूरी जानकारी ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचेगी. यह इस लिए भी आवश्यक है क्योंकि समुदाय जानकारी चाहता हैं.