संदीप भम्मरकर, भोपाल. कोरोना संक्रमण रोकने जीवन रक्षक इंजेक्शन को जिस तेजी से राज्य शासन ने मंगवाने की व्यवस्था की थी, उसी गति से वितरण की नीति फेल होते दिख रही है. राज्य शासन द्वारा इंजेक्शन के वितरण में सही मॅानिटरिंग नहीं होने से मरीजों तक नहीं पहुंच पा रहा है. इससे मरीज और परिजन परेशान है.
जीवन रक्षक इंजेक्शन को भेजने में सरकारी इंतजाम फेल
बता दें कि भारत सरकार की ओर से मध्यप्रदेश को रेमडेसिविर के कुल 9264 इजेंक्शन भेजी गई थी. जिसे हेलीकॅाफ्टर से प्रदेश विभिन्न जिलों में भेजे गए. सरकार ने जीवन रक्षक इंजेक्शन को मंगवाने में जिस तेजी से तत्परता दिखाई उस तेजी से वितरण नहीं कर पाई. एक तरह से रेमडेसिविर डिस्ट्रीब्यूशन का सरकारी इंतजाम फेल साबित हुआ है. इंजेक्शन के लिए मरीजों के अलावा 3 दिन से अस्पतालों के प्रतिनिधि भी भटक रहे है. गंभीर मरीजों के परिजनों में इंजेक्शन को लेकर हाहाकार के हालात है.
भोपाल में ही 7 हजार से ज्यादा संंक्रमित
बता दें कि एमपी में आए 9264 रेमडेसिविर में से 2016 भोपाल को मिले थे. पूरे प्रदेश में 55 हजार कोरोना के मरीज है. सिर्फ भोपाल में ही 7 हजार से ज्यादा संंक्रमित लोग सामने आए हैं.
सीधे अस्पतालों को पहुंचाने का दावा
रेमेसिविर इंजेक्शन की कमी पर सरकारी दावे हकीकत से उलट हैं. चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग कहते हैं कि मेडिकल स्टोर से रेमडेसिविर इंजेक्शन की बिक्री पर पाबंदी लगा दी गई है. अब सरकारी वितरण व्यवस्था से सीधे अस्पतालों को इंजेक्शन पहुंचाए जा रहे हैं.