सुशील खरे,रतलाम। मप्र के लगभग 480 कॉलेजों में से बहुत से ऐसे कॉलेज हैं, जिनको उनके नाम से नहीं जाना जाता है. अब ऐसे सभी शासकीय महाविद्यालय को उनके नाम से जाना जाएगा. इसकी घोषणा आज प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव ने रतलाम से की है. यह प्रदेश के लिए सबसे बड़ा गौरव का दिन होगा, जब सभी सरकारी कॉलेजों को एक न एक नाम मिलेगा. जिसकी तैयारी बहुत जल्दी शुरू हो जाएगी. हालांकि इसका काम राज्य शासन द्वारा कैबिनेट और तमाम काग़ज़ी कार्रवाई से होकर गुजरना होगा.

दरअसल रतलाम के शासकीय कला एवं विज्ञान महाविद्यालय में 451 करोड़ की लागत से बने भवन का लोकार्पण समारोह था. जिसके मुख्य अतिथि के रूप में मप्र के उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव आये थे. उन्होंने जैसे ही बोलना शुरू किया पहला शब्द था कि अभी तक इस कॉलेज का कोई नाम क्यों नहीं है. कब तक यहां शासकीय लिखा रहेगा. आज से मैं यह घोषणा करता हूं कि प्रदेश के जितने भी सरकारी कॉलेज हैं, उनका नामकरण होना जरूरी है. शहर जिला एवं स्थानीय लोग तय करें कि क्या नाम होना चाहिए, जो संस्था से शिक्षा से जुड़े हो उनका योगदान हो.

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बता दें कि प्रदेश का पहला कॉलेज जबलपुर का जॉर्ज कॉलेज है. जिसमे सर डॉ हरिसिंह गौर जी ने पढ़ाई की है और यह कालेज लगभग 1880 का बना हुआ है. उसके बाद सागर का सागर कॉलेज है, फिर इन्दोर का होलकर महाविद्यालय, लेकिन अभी तक सागर जिले में ही कई ऐसे महाविद्यालय हैं, जिनको कोई नाम नहीं मिला. जबकि प्रदेश में 470 शासकीय महाविद्यालय हैं और उनमें से विश्वविद्यालय अलग हैं. हालांकि मप्र की यूनिवर्सिटी के नाम हैं.

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प्रदेश के सरकारी महाविद्यालय का नामकरण होना अपने आप में एक बड़ी और नई बात है, लेकिन कॉलेज के टेक्निकल प्रोफेसर स्टाफ बताते हैं कि इसमें हमें जो फंड एवं ग्रांड मिलता है, वो डेढ़ 2 साल तक रुक जाएगा, क्योंकि अभी हमें ये सब यूजीसी, रुषा, केंद्र एवं प्रदेश सरकार के अलावा वर्ल्ड बैंक से भी पैसा मिलता है. वो तब तक नहीं मिलेगा, जब तक कि नया नाम गजट नोटिफिकेशन में नहीं आ जाता है.

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