छत्तीसगढ़ में होने वाली औसत वर्षा इतनी तो होती ही है कि वर्षा के इस जल को अगर बह जाने से रोका जा सके तो राज्य में जल के सारे संसाधन साल-साल भर लबालब रखे जा सकते हैं. वर्षा जल संरक्षण का व्यापक स्तर पर लाभ पर्यावरण, जैवविविधता के साथ किसानों और आम नागरिकों को मिलता है. नरवा संरक्षण की पहल करके राज्य सरकार ने अपनी उस मंशा को स्पष्ट किया है कि जल से जीवन की सुरक्षा को लेकर वह कितनी गंभीर है. भूपेश सरकार ने अपने अस्तित्व में आने के साथ ही साथ नरवा विकास की जो महत्वाकांक्षी योजना बनाई है वो आज अपनी सार्थकता साबित कर रही है समझी सी बात है कि उन्हीं शासकीय योजनाओं को जन-जन की दुआए मिलती है, जो अंतिम पंक्ति में खड़ी जनता तक भी राहत और सुकून की सुखदायी हवा पहुंचा दे. छत्तीसगढ़ के मुखिया की कीर्ति को बढ़ाने वाली भूपेश सरकार के द्वारा बनाई गई बहुत सी ऐसी योजनाएं हैं जो आज राष्ट्रीय स्तर के चर्चाओं में विशेष स्थान पा रही है.

नदी नालों का पुनर्जीवन का कृषि विकास में दिख रहा असर

नदी, नालों के पुनर्जीवन से जहां जल संरक्षण और भू-जल स्तर में वृद्धि हुई है, वहीं नरवा में बने जल संरक्षण संरचनाओं से किसानों की सिंचाई सुविधा में बढ़ोत्तरी हुई है. प्रदेश के सुदूर दक्षिण कोण्डागांव वनमंडल द्वारा बोटी कनेरा उप परिक्षेत्र में किये गये चियोर बहार नरवा विकास कार्य ने क्षेत्र के किसानों की खुशहाली और समृद्धि के द्वार खोल दिये हैं.

चियोर बहार नाला का सफलता पूर्वक हुआ नरवा उपचार

जनहित में कैम्पा मद का इस्तेमाल बहुत ही दानिशमंदी के साथ किया गया है कैंम्पा मद की वार्षिक कार्य योजना 2021-22 से वनाच्छादित क्षेत्र के चियोर बहार नाले का इस तरह से कायाकल्प किया गया है. जिसने आसपास के क्षेत्र में न सिर्फ हरियाली बिखेर दी है बल्कि वन्य पशुओ का गला भी तर कर रहा है, नरवा उपचार से लाभान्वित हुए चियोर बहार नाले की उपयोगिता कई गुना बढ़ाने में वन प्रबन्धन समिति के माध्यम से काकड़गांव के ग्रामीणों ने भी सक्रिय सहभागिता की. आज चियोर बहार नाले के नवजीवन का लाभ आसपास के सभी ग्रामीणों को मिल रहा है, सुलभ सिचाई योग्य जल की उपलब्धता ने उनके कृषि कार्य को कई गुना लाभ देने वाला कर्म बना दिया है, आस-पास के ग्रामीणों की सुधरती माली हालत योजना की सफलता पर मुहर लगा रही है.

नरवा उपचार से क्षेत्रीय किसान हुए निहाल

किसान सोमीराम इस बात के पुख़्ता गवाह है कि नरवा में बनाए जल संरक्षण संरचना किसी किसान को कितने प्रकार से लाभ पहुंचा सकती है. उपचारित नाले के पास स्थित अपने 2 हेक्टेयर कृषि भूमि पर वे अब खरीफ में उड़द और रबी में मक्का सहित साग-सब्जी की पैदावार भी ले रहे हैं. सिंचाई साधन के सुलभ हो जाने से सोमीराम गदगद हैं. क्योंकि पहले वे कास्तकारी के लिए पूरी तरह से बरसाात पर निर्भर रहते थे, जिसकी वजह से वे सिर्फ मक्के की खेती ही कर पाते थे मगर अब तो बात ही अलग है, नरवा से सिंचाई सुविधा मिलने के बाद सोनीराम ने अपने खेत में 3 हार्सपॉवर का विद्युत पंप लगवा लिया है. आज वो रबी की फसल में मक्का के अलावा भिन्डी, बैंगन, कद्दू, ग्वारफल्ली जैसी साग-सब्जी भी लगा रहे हैं. अपनी इस बढ़ती आय के साथ सोनीराम गांव और आसपास के क्षेत्र के किसानों के लिए एक प्रेरणा स्त्रोत बन गए है और उनके ही तर्ज में अब गांव के किसान महेश और फगनू के साथ ही करीब 10 किसानों द्वारा रबी में मक्का एवं सब्जी की खेती की जा रही है. वन प्रबंधन समिति नरवा में बनी जल संरचनाओं में ग्रामीणों के सहयोग से मछली पालन का काम भी प्रारंभ कर गांव वालों केा आय का एक अतिरिक्त जरिया दिया है.

जल प्रबंधन की दिशा में युद्ध स्तर पर किए गए प्रयासों के कुछ साक्ष्य

वन प्रबन्धन समिति काकड़गांव के अध्यक्ष विजय नाग ने बताया कि चियोर बहार नरवा विकास कार्यों ने आसपास के गांव में कृषि कार्य को बहुत बल दिया है. जिसका कि परिणाम ये सामने आ रहा है कि ग्रामीण क्षेत्र में एक निश्चिंता और खुशहाली का माहौल व्याप्त है. डीएफओ आर.के. जांगड़े ने चियोर बहार नाला-2 में किए गए नरवा उपचार कार्यों का ब्यौरा कुछ इस तरह से दिया है 2 करोड़ 45 लाख रुपये की लागत से कुल 40,919 जलसंरक्षण और जल संवर्धन संरचनाओं का निर्माण कराया गया है. इससे नाले के 7 किलोमीटर परिधि क्षेत्र में 1100 हेक्टयर जल संग्रहण क्षेत्रफल को मद्देनजर रखते हुए 298 लूज बोल्डर चेकडेम, 143 ब्रशवुड चेकडेम, 11 गैबियन संरचना, 35680 कन्टूर ट्रैंच के साथ ही 9 डाइक, तालाब गहरीकरण, परकोलेशन टैंक निर्मित किए गये हैं. जिससे नाले में निर्मित जल संरक्षण संरचनाओं में उपलब्ध पानी का उपयोग सिंचाई के लिए किया जा रहा है. इसके साथ ही इस नाले में निर्मित 15 मीटर लम्बी 60 मीटर ऊंची कांक्रीट डाईक में लगभग 1800 क्यूबिक मीटर जल संग्रहित है.

भू-जल संरक्षण क्यों है जरूरी ?

पिछले कुछ सालों मौसमीय असंतुलन और अनिश्चित वर्षा विश्व व्यापी समस्या की शक्ल में सामने आ रही है ऐसी परिस्थियॉ विशेष रूप से किसानों के लिए चिंता का विषय होती है, उस पर जल के अंधाधुध दोहन से तेजी से गिरता भू-जल स्तर भावी जलीय संकट की ओर प्रकृति का सीधा-सीधा इशारा समझी जा सकती है. छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार ने आगे बढ़ के इस समस्या को आड़े हाथ लिया और वर्षा जल के संचयन और भू-जल स्तर में वृद्धि के लिए बड़े पैमाने पर जल संग्रहण संरचनाओं का निर्माण का कार्य प्रारंभ किया, वहीं नदी-नालों के पुनर्जीवन के लिए नरवा योजना की शुरूआत की.

बस्तर जिले भू-जल संरक्षण की है भरपूर संभावनाएं

छत्तीसगढ़ सरकार ने पहले ही चरण में बस्तर जिले के सभी विकासखण्डों में 40 बरसाती नालों के पुनर्जीवन का काम हाथ में लेकर इन सभी नालों के कमाण्ड क्षेत्र में जल संग्रहण संरचनाओं का निर्माण किया गया,जिससे आस-पास के क्षेत्रों में जलस्तर में वृद्धि होने के साथ-साथ ये नाले बारहमासी नालों में परिवर्तित हो गए हैं. लगभग 624.65 किमी की कुल लम्बाई वाले इन 40 नालों से आसपास के लगभग 11 हजार हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में किसानों को सिंचाई सुविधा मिल रही है.

नरवा विकास से किसानों के जीवन में आई खुशहाली

कावड़गांव में सिंचाई सुविधा बढ़ने से खुले आय के नए रास्ते मक्का और साग-सब्जी बढ़ा उत्पादन जल संरक्षण का व्यापक स्तर पर फायदा पर्यावरण, जैवविविधता के साथ किसानों और आम नागरिकों को मिल सकता है.

बस्तर का कोंडागांव जिला भी होगा भरपूर लाभान्वित

कोंडागांव जिले में भरपूर छोटे-छोटे नदी नाले है जो ग्रीष्म ऋतु में सूख जाया करते हैं लेकिन अब राज्य शासन के नरवा योजना के क्रियान्वयन से इन जल स्त्रोतों के संरक्षण एवं संवर्धन की संभावनाएं बढ़ गई है. इसी क्रम में जिले के पांच ब्लॉक जिनमें है कोंडागांव, केशकाल, बड़ेराजपुर, फरसगांव और माकड़ी ब्लॉक, इनमें बहने वाले नालों को नरवा कार्यक्रम के तहत शामिल कर लिया गया है. जिले में 35 लघु योजना और उद्वहन सिंचाई योजना निर्मित है. जिसकी कुल निर्मित सिंचाई क्षमता 7144 हेक्टेयर हैं. जबकि वास्तविक सिंचाई 1158 हेक्टेयर है. जीर्ण-शीर्ण जलाशय और खस्ता हाल नहर ही कोंडागांव जिले में सिंचाई की कमी का मुख्य कारण है ऐसा पाया गया. इसीलिए सिंचाई के अन्तर को कम करने के उद्देश्य से 14 योजनाओं का जीर्णोद्धार, नहर निर्माण कार्य और स्टॉपडैम निर्माण कार्य वर्ष 2018-19 एवं 2019-20 में नवीन मद के तहत शामिल किया गया है.

झोड़ी जतन अभियान भी लहरा रहा सफलता का परचम

छत्तीसगढ़ के 66 ग्रामीण नरवा का चुनाव झोड़ी जतन अभियान के तहत किया है. 5 हजार 423 कार्यो को स्वीकृति देकर नालों के पुर्नजीवन के कार्य को और भी त्वरण दिया जा रहा है. जिसमें 2 हजार 504 कार्य पूर्ण भी किए जा चुके हैं. साथ ही 211 नरवा के आसपास जल संग्रहण संरचनाएं बनाने के लिए 27 करोड़ 56 लाख रुपये की लागत के लगभग 4,106 कार्यों की स्वीकृति दी गई है, जिसमें लगभग 9.76 करोड़ रुपये व्यय कर 2,346 कार्य पूरा कर लिया गया है.

नरवा योजना की सफलता संबंधित विभाागों को भी बना रही उत्साही

नालों का पुनर्जीवन क्षेत्रीय किसानों के लिए नव-जीवन बन गया है उपचारित नालों से मिलने वाले उत्साहजनक और धनात्मक परिणाम संबंधित विभाग को भी उत्साहित बना रहा है. नरवा के उपचार के बाद नरवा के कैचमेंट और कमांड एरिया के औसत भू-जल स्तर में 8.4 प्रतिशत वृद्धि देखी गई है. कृषि कार्यो के लिए कृषकों को अब मानसून का इंतजार नहीं रहेगा क्योंकि हर मौसम में किसानों को सिंचाई के लिए पर्याप्त जल मिलने लगा है. मानसून सीजन के पश्चात ग्रामीणों और किसानो को अब दूसरी फसल लगाने के लिए पर्याप्त पानी मिलने लगा है. सिंचाई सुविधा उपलब्ध होने से किसान खरीफ के साथ-साथ रबी की भी फसल ले रहे हैं.