ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) इन दिनों कई राज्यों के सरकारी कर्मचारियों के लिए मुख्य मुद्दा बन गया है. जिसे लेकर देशभर के शासकीय कर्मचारी अब आंदोलन के मूड में आ गए हैं. इसी कड़ी में आगामी 8 दिसंबर को सभी कर्मचारी दिल्ली के जंतर-मंतर के सामने ओल्ड पेंशन स्कीम (Old Pension Scheme) लागू करने को लेकर धरना देंगे.

दरअसल, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और पंजाब में ये स्कीम लागू है. अब गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनावों में भी ये एक अहम मुद्दा बन गया है. जिसके चलते कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने भी सरकार बनने पर ओल्ड पेंशन स्कीम (Old Pension Scheme) लागू करने का वादा किया है. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो अब झारखंड सरकार भी ओपीएस लागू करने की तैयारी में है. नतीजन बाकी राज्यों के सरकारी कर्मचारी भी पूरे देश में एक साथ ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने की मांग कर रहे हैं.

राजस्थान के कर्मचारी भी होंगे शामिल

जानकारी के मुताबिक इस प्रदर्शन में राजस्थान के सरकारी कर्मचारी संगठन भी हिस्सा लेने वाले हैं. हालांकि यहां ओल्ड पेंशन स्कीम लागू है, लेकिन इसमें अभी भी पेंशन फंड रेग्युलेटरी एंड डवलपमेंट अथॉरिटी (PFRDA) के तहत आने वाला पैसा रुका हुआ है. चूंकि ये अथॉरिटी केंद्र सरकार के अंडर काम करती है तो इसके तहत मिलने वाला पैसा केंद्र से राज्य सरकार के पास आना है. जिसकी मंजूरी फिलहाल राजस्थान सरकार को नहीं मिली है. दरअसल, केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पहले ही इस पर असहमति जता दी है. उन्होंने ओपीएस लागू करने वाले राज्यों को PFRDA के तहत मिलने वाली राशि देने से इंकार कर दिया है. बता दें कि राजस्थान को PFRDA के तहत करीब 41 हजार करोड़ रुपया मिलना है.

क्या है ओल्ड पेंशन स्कीम ?

31 मार्च 2004 तक ओल्ड पेंशन स्कीम पूरे देश में लागू थी. फिर 1 अप्रेल 2004 से पूरे देश में केंद्रीय और राज्य कर्मचारियों के लिए नई पेंशन स्कीम लागू की गई. इसके लिए तत्कालीन एनडीए सरकार ने संसद में एक बिल पेश कर देश में ओल्ड पेंशन स्कीम को खत्म कर दिया। जिसे मई-2004 में केंद्र में आई यूपीए सरकार ने लगातार 2014 तक जारी रखा. 2014 से अब तक केंद्र की भाजपा सरकार ने भी इसे जारी रखा हुआ है. इस स्कीम के तहत कर्मचारी को रिटायरमेंट के बाद भी हर महीने पेंशन राशि मिलती है. जबकि नई पेंशन स्कीम में सेवानिवृत्ति के बाद हर महीने मिलने वाली पेंशन राशि बंद हो जाती है.

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