रायपुर.प्रदेश सरकार के राजस्व मंत्री प्रेम प्रकाश पांडेय ने स्पष्ट किया है कि सरकार ने रबी की धान फसल पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया है. विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान बसपा विधायक केशव चंद्रा द्वारा पूछे गये सवाल का जवाब देते हुए पांडेय ने कहा कि प्रदेश में अल्पवर्षा की स्थिति को देखते हुए रबी की धान बोआई को हतोत्साहित करने के निर्देश मुख्य सचिव कार्यालय द्वारा जारी किये गयें हैं.उन्होनें सदन में बताया कि जिला दंडाधिकारी की अनुमति लेकर किसान स्वयं के साधन के पानी का इस्तेमाल कर सकता है.
राजस्व मंत्री ने केशव चंद्रा द्वारा जांजगीर-चांपा जिले में रबी की धान फसल के बारे में विस्तृत आंकड़े भी प्रस्तुत किये.उन्होनें कहा कि जिले में कुल 47992 हेक्टेयर क्षेत्र में रबी की फसल ली जाती है,जिसमें 27680 हेक्टेयर क्षेत्र में विभिन्न सिंचाई स्त्रोतों से सिंचाई होती है. ग्रीष्मकालीन धान का रकबा 7840 हेक्टेयर क्षेत्र है,जिसमें 6120 हेक्टेयर क्षेत्र में नलकूपों से सिंचाई होती है..
मुख्य सचिव ने कमिश्नरों -कलेक्टरों को भेजा परिपत्र, कहा- जहां पेयजल संकट नहीं, वहां धान फसल पर रोक नहीं
इधर राज्य सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि पर्याप्त भूमिगत जल स्तर वाले ऐसे इलाकों में जहां पेयजल संकट की स्थिति निर्मित होने की आशंका नहीं है, ऐसे क्षेत्र विशेष अथवा गांव विशेष में ग्रीष्मकालीन धान लगाए जाने और उसके लिए नलकूप से सिंचाई के लिए पानी लेने पर किसी प्रकार का प्रतिबंध नहीं है, लेकिन दलहन-तिलहन की फसल को प्रोत्साहित किया जाना है. मुख्य सचिव विवेक ढांड ने इस आशय का परिपत्र राज्य के समस्त संभागीय कमिश्नरों और जिला कलेक्टरों को जारी किया है. परिपत्र में खरीफ वर्ष 2017 में कम वर्षा के कारण सूखे की स्थिति को ध्यान में रखते हुए ग्रीष्मकालीन धान को हतोत्साहित करने और प्रभावित इलाकों में संरक्षित जल के दक्षतापूर्ण उपयोग के बारे में स्थिति स्पष्ट की गई है. मुख्य सचिव ने आज के परिपत्र में पिछले महीने की 18 तारीख को जारी अपने परिपत्र का उल्लेख किया है और कहा है कि उस पत्र के माध्यम से खरीफ 2017 में प्रदेश के अधिकांश क्षेत्रों में कम वर्षा के फलस्वरूप ग्रीष्मकालीन धान को हतोत्साहित करने के निर्देश जारी किए गए हैं. ढांड ने आज के परिपत्र में लिखा है- राज्य शासन द्वारा विचारोपरांत निर्णय लेकर यह स्पष्ट किया जा रहा है कि प्रदेश के ऐसे क्षेत्र जहां पर्याप्त भूमिगत जल स्तर है और जिन क्षेत्रों में पेयजल संकट की स्थिति निर्मित होने की आशंका नहीं है, ऐसे क्षेत्र विशेष अथवा ग्राम विशेष में ट्यूबवेल के माध्यम से ग्रीष्मकालीन धान लगाने पर किसी भी प्रकार का प्रतिबंध या रोक नहीं है, लेकिन दलहन-तिलहन की फसल को प्रोत्साहित किया जाना है. तथापि किसानों को ऐसे क्षेत्रों में दलहन-तिलहन के स्थान पर ग्रीष्मकालीन धान लगाए जाने के संबंध में पेयजल की स्थिति को ध्यान में रखते हुए निर्णय लेने के लिए जिला कलेक्टरों को अधिकृत किया गया है. मुख्य सचिव ने अधिकारियों को इन निर्देशों का कड़ाई से पालन करने के लिए कहा है.