सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह(Manmohan Singh) के स्मारक के लिए उनके परिवार को जमीन की पेशकश की है. जो पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी(Prnab Mukharjee) का स्मारक बनने के लिए निर्धारित भूमि के पास आवंटित की गई है. इसके बाद आधिकारिक तौर पर जमीन का आवंटन होगा. इस मामले में सरकार मनमोहन सिंह के परिवार से ट्रस्ट बनाने की उम्मीद कर रही है. मनमोहन सिंह स्मारक के लिए जमीन को शहरी विकास मंत्रालय और CPWD ने मिलकर चुना है. मनमोहन सिंह के निधन के बाद से सरकार जमीन की तलाश में थी, इसके लिए सर्वे भी हुआ था. सरकार की तरफ से ट्रस्ट को 25 लाख रुपये की रकम भी दी जाएगी. इस राशि को स्मारक के निर्माण में खर्च किया जाएगा.

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2013 में यूपीए सरकार ने राष्ट्रीय स्मृति स्थल का प्रस्ताव लाकर इसे बनाया था, जहां अटल बिहारी वाजपेयी का स्मारक भी है. जनवरी की शुरुआत में सीपीडब्ल्यूडी के अधिकारियों ने संजय गांधी की समाधि के पास जमीन देने की चर्चा की. मनमोहन सिंह के निधन के बाद उनके अंतिम संस्कार पर भी राजनीति छिड़ गई थी. खबर है कि उनके परिवार को कुछ जगहों का प्रस्ताव दिया गया था, जिनमें से एक पर अब सहमति बन गई है.

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने मनमोहन सिंह के निधन के बाद होम मिनिस्टर अमित शाह को पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने मांग की थी कि उनका अंतिम संस्कार उसी स्थान पर कराया जाए, जहां उनका स्मारक बन सके. सरकार ने उत्तर दिया कि हम सभी नेताओं की तरह मनमोहन सिंह का स्मारक भी अच्छे से बनाया जाएगा.

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परिवार बताएगा किस तरह का हो मनमोहन सिंह का स्मारक

सूत्र ने कहा कि मनमोहन सिंह परिवार को बताएगा कि उन्हें किस तरह का स्मारक चाहिए.  इसमें समय लग सकता है. परिवार इस पर विचार करेगा कि वे किस तरह का स्मारक बनाना चाहते हैं, और फिर सरकार को सूचित करेगा. राष्ट्रीय स्मारक यमुना किनारे बनाया गया है. वर्तमान में परिसर में 7 नेताओं (पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, पी वी नरसिम्हा राव, चंद्रशेखर और आई के गुजराल) के स्मारक हैं, जिनमें राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और पूर्व राष्ट्रपति, पूर्व उपराष्ट्रपति और पूर्व प्रधानमंत्रियों के अंतिम संस्कार और स्मारक भी शामिल हैं. परिसर में फिलहाल दोमात्र स्मारक मनमोहन सिंह और प्रणब मुखर्जी के लिए निर्धारित हैं.

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हालांकि कांग्रेस समेत विपक्ष के कई दलों ने उनका अंतिम संस्कार निगम बोध घाट पर करने पर आपत्ति जताई थी, लेकिन सरकार ने कहा कि पूरे प्रोटोकॉल का पालन किया गया था और जहां स्मारक बनना था, वहाँ पर अंतिम संस्कार नहीं किया जा सकता था क्योंकि अभी जगह की खोज की जानी है. अकाली दल और आम आदमी पार्टी के नेताओं ने भी आपत्ति जताई थी और कहा था कि उनकी स्मृतियों का अपमान किया गया है.

स्मारक का उद्देश्य पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह (प्रसिद्ध अर्थशास्त्री और 2004 से 2014 तक भारत के प्रधानमंत्री) के योगदान को याद रखना और सम्मानित करना है. स्मारक राष्ट्रीय स्मृति परिसर में बनाया जाएगा, जिससे लोगों को उनके जीवन और कार्यों को जानने का अवसर मिलेगा. यह दिल्ली में स्थित है और अन्य महत्वपूर्ण नेताओं के स्मारकों का घर भी है, इसलिए यह एक शांत और सम्मानजनक स्थान है जहाँ लोग श्रद्धांजलि अर्पित कर सकते हैं. यह उनके योगदान को याद रखने और भावी पीढ़ियों को प्रेरित करने का एक तरीका होगा.