हेमंत शर्मा, इंदौर। होली के दहन को लेकर देश भर में उल्लास का माहौल देखने को मिलता है। आसमान रंगों से सराबोर नजर आता है। होलिका दहन के बाद रंग लगाकर होली मनाई जाती है। इंदौर में भी एक अलग परंपरा के साथ राजवाड़ा पर होलकर वंश लगातार 1728 से होलिका दहन करते हुए आ रहा है। जिसमें होलकर वंश के वंशज पहले देव दर्शन करते हैं। उसके बाद होलिका दहन होता है।
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वहीं इस बार होली के दहन करने के लिए 14वें यशवंत राव होलकर के पुत्र शिवाजी राव हॉल कर रिचर्ड महाराज महेश्वर से इंदौर पहुंचेंगे। इसके बाद राजवाड़ा में स्थित देव दर्शन करने के बाद होली का दहन करेंगे। इस होली के दहन के समय बड़ी संख्या में शहर वासी राजवाड़ा पर एकत्रित होते हैं। और होली दहन होने के बाद यहां से होली से अग्नि ले जाकर चौराहों और मोहल्ले में होलिका का दहन किया जाता है।
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यह होली सबसे पहले शाम 7:00 बजे जला दी जाती है। इसके बाद शहर भर की दूसरी होली जलाई जाती हैं। यह पुरानी परंपरा मां अहिल्या की नगरी में 296 साल से चली आ रही है। जिसमें होलकर वंश होली का दहन करते है। इसके बाद रंग लगाया जाता है। इस होली को इंदौर में सरकारी होली भी कहा जाता है।
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