रायपुर. सरकार हाऊसिंग बोर्ड और आरडीए का विलय कर सकती है. दोनों संस्था करोड़ों के कर्ज में डूबी हुई है. सरकार कर्ज से उबरने के लिए यह प्रयास कर रही है. जानकारी के मुताबिक सरकार कैबिनेट में इसका फैसला ले सकती हैं. बता दें कि वर्तमान में हाऊसिंग बोर्ड को खर्च चलाना मुश्किल हो गया है. किसी तरह अभी काम चलाया जा रहा है. बता दें कि कुछ साल पहले हाऊसिंग बोर्ड और आरडीए को अच्छा संस्था माना जाता था. उस दौरान हाउसिंग बोर्ड का काम बेहतर था. लेकिन पिछले 5 सालों में यह संस्था भी भारी कर्ज में डूब गई. इस हालात के लिए पिछली सरकार के जनप्रतिनिधियों को जिम्मेदार माना जाता है.

आरडीए की बात करे तो वह दिवालिया होने की कगार पर है. उसने कमल विहार बसाने के लिए 1 हजार करोड़ रुपए का कर्ज लिया था. यह योजना फेल हो गई. कई प्रोजेक्ट आज भी अटके हुए हैं. आरडीए पर करीब 5 सौ करोड़ कर्ज है.

पिछले दिनों मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आवास पर्यावरण विभाग की समीक्षा बैठक ली थी. बैठक में आरडीए और हाऊसिंग बोर्ड के कार्यों पर चर्चा की थी. दोनों ही संस्थाओं के भारी कर्ज और भ्रष्टाचार को लेकर भूपेश बघेल ने चिंता जताई थी. इस दौरान विभागीय मंत्री मोहम्मद अकबर भी मौजूद थे.

जानकारों का कहना है कि दोनों संस्थाओं को एक करने से खर्च में कमी आएगी. दोनों का काम एक ही है तो संस्था को चलाने में कोई परेशानी नहीं आएगी. वहीं हाऊसिंग बोर्ड के ऐसे मकान व दुकानें, जो नहीं बिक रही हैं, उसकी कीमत कम करने की तैयारी चल रही है.

संपत्तियों की कीमत कम करने की तैयारी

हाउसिंग बोर्ड के 12 सौ करोड़ के 7 हजार से अधिक मकान व दुकानें नहीं बिक पाई हैं. इनमें से 27 सौ मकान व दुकानें ऐसी हैं, जिन्हें बने एक साल से ज्यादा हो गया है, फिर भी खरीददार नहीं मिल रहे हैं. कीमत कम करने से लोग बड़ी संख्या में मकान लेने के लिए आगे आने की उम्मीद है और इससे बोर्ड को कर्ज से उबरने में भी मदद मिलेगी. कुछ इसी तरह आरडीए को भी कर्ज से उबारने के लिए रणनीति तैयार की जा रही है.