इलेक्ट्रिक टू व्हीलर (electric two wheeler) के लिए सब्सिडी (subsidy) कुछ हफ्तों में खत्म हो सकती है. दरअसल, सरकार उद्योग मंत्रालय द्वारा देश में इलेक्ट्रिक दो पहिया वाहनों की मांग में बढ़ोतरी करने के लिए चलायी जा रही, फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ इलेक्ट्रिक व्हीकल यानी FAME III को शुरू करने के मूड में नहीं है. हालांकि वित्त मंत्रालय इस स्कीम का विरोध कर चुका है, यही रवैया कई अन्य मंत्रालय का भी है.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सरकार ने इस साल की शुरुआत में सब्सिडी (subsidy) में कमी की थी. जिसका असर ईवी की मांग में कमी के रूप में देखने को मिला था. लेकिन अब इसमें स्टेबिलिटी देखने को मिल रही है. जिसके पीछे सरकारी अधिकारियों का तर्क है कि ग्रीन एनर्जी व्हीकल में बदलाव नेचुरल तरीके से भी होगा.
फेम II (FAME III), जो सार्वजनिक परिवहन के लिए उपयोग किए जाने वाले दो, तीन और चार-पहिया वाहनों के लिए सब्सिडी प्रदान करता है, आने वाले कुछ हफ्तों में ये खत्म होने वाला है. सरकार को उम्मीद है कि तब तक वह लगभग 10 लाख दोपहिया वाहनों के लिए सब्सिडी प्रदान कर चुकी होगी. यह धनराशि पुनर्वितरित करके की जाएगी. ताकि स्थानीय कंपनियों की मांग को पूरा किया जा सके. इस योजना का शुरुआती आवंटन 10,000 करोड़ रुपये का था.
भारी उद्योग मंत्रालय ने फेम III (FAME III) के लिए एक ज्यादा महत्वाकांक्षी योजना का प्रस्ताव रखा था. लेकिन अभी तक इसे पर्याप्त समर्थन नहीं मिला है. तीसरे चरण के खिलाफ यह निर्णय ऐसे समय में आया है जब सरकार टेस्ला जैसे हाई-एंड इलेक्ट्रिक कार निर्माताओं को घरेलू और निर्यात बाजार दोनों के लिए भारत में उत्पादन सुविधाएं स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए एक नई योजना शुरू करने की ओर देख रही है.
यह नई योजना प्रॉडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव मैकेनिजम या फेज्ड मैन्युफेक्चरिंग प्लान (चरणबद्ध विनिर्माण योजना) के जैसी हो सकती है. इस नई योजना की डिटेल्स के बारे में सरकार के भीतर चर्चा हो रही है. इसके अलावा, सरकार का फैसला कुछ कंपनियों द्वारा फेम के क्रियान्वयन में पाई गई अनियमितताओं से प्रभावित हो सकता है.
इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर निर्माताओं को उम्मीद है कि सब्सिडी बंद होने से उनके वाहनों को नया जीवन मिलेगा और पूरे भारत में उनकी मौजूदगी बढ़ाने में मदद मिलेगी. यह खास तौर पर महत्वपूर्ण है क्योंकि चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने और इलेक्ट्रिक वाहनों के बारे में जागरूकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण निवेश किया जा रहा है.
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