सीजीएमएससी से खरीदी गई जिला गरियाबंद के लिए दवाइयों को खुले में फेंक दिया गया है. जहां ये दवाइयां फेंकी गई है वहां बेजुबान जानवर उन दवाइयों को खा रहे है, जिससे उनकी जान का खतरा बना हुआ है.

पुरुषोत्तम पात्र.गरियाबंद. जिला अस्पताल से महज 4 किमी की दूरी पर स्थित कोडोहरडी के जंगल में लाखों की सरकारी दवाइयां फेंक दी गई है. फेंकी गई दवाइयां में से ज्यादातर एक्सपाइरी हो चुकी है. सूत्रों के मुताबिक इन दवाइयों की कीमत लगभग 7 लाख रुपए है. फेंकी गई दवाइयों में ज्यादातर आयरन, कैल्शियम, बुखार, जुकाम व विटामिन के टॉनिक के अलावा केंद्र सरकार से चल रहे स्वाथ्य विभाग के कई सरकारी कार्यक्रम के तहत निःशुल्क वितरण किये जाने वाले दवाएं शामिल है. ऐसा अनुमान है कि इन दवाइयों का वितरण किया जाना था जो समय पर नहीं किया गया, जिसके कारण दवाइयां एक्सपायर हो गई और उन्हें फेंक दिया गया.

वहीं जिला अस्पताल गरियाबंद में जरूरत से ज्यादा खरीदी गई दवाई के मामले में भ्रष्टाचार का मामला सामने आ चुका है. कहा जा रहा था कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत दवा खरीदी में मनमानी की गई थी. चर्चा थी कि पूर्व स्वास्थ्य मंत्री के करीबी वाले धमतरी के एक फर्म से निविदा में गड़बड़ी कर दवाओं का क्रय किया गया था, मामले की जांच कलक्टोरेट से हो रही थी, तत्कालीन सीएमएचओ को हटाए जाने के बाद से मामला ठंडे बस्ते में चला गया. वहीं दवा खरीदी घोटाले की जांच से लेकर खरीदी की प्रक्रिया के दस्तावेज सूचना के अधिकार के तहत 8 से भी ज्यादा आरटीआई एक्टिवेट ने मांगे थे. लेकिन उसकी जनकरी नहीं दी गई.