शिखिल ब्यौहार, भोपाल। मध्य प्रदेश सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की मनमानी पर सरकार सख्त हो गई है। सरकारी डॉक्टरों के बाद अब बांड भरने वाले डॉक्टरों के लिए भी “सार्थक एप” से उपस्थिति दर्ज करना अनिवार्य कर दिया गयाहै। इसके अतिरिक्त तीन माह के लिए जिला अस्पतालों में प्रशिक्षण के लिए आने वाले जूनियर डॉक्टरों के लिए भी अनिवार्यता का आदेश जारी कर दिया गया है। 

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दरअसल सरकार को लंबे समय से यह शिकायत मिल रही थी कि बांडेड डॉक्टर जिलों में सीएमएचओ से सांठगांठ कर अस्पताल नहीं जाते। इनकी पदस्थापना ग्रामीण क्षेत्र के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) या सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में की जाती है, इसलिए निगरानी भी नहीं हो पाती। इन डॉक्टरों के कभी-कभी ही अस्पताल आने की जानकारी विभाग को मिल रही थी, इसलिए अब इनसे सुचारू रूप से कार्य लेने के लिए “सार्थक एप” से उपस्थिति दर्ज कराने की सख्ती स्वास्थ्य विभाग ने जारी कर दी है। 

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सार्थक एप में उपस्थिति नहीं दर्ज करने पर उन्हें कार्रवाई का नोटिस जारी किया जाएगा। सार्थक एप से उपस्थित दर्ज करने की व्यवस्था लागू होने के बाद वह मुख्यालय भी नहीं छोड़ पाएंगे। एमबीबीएस डॉक्टरों को पीएचसी और सीएचसी में पदस्थ किया जाता है। लगभग 350 पीएचसी में रोगी बांडेड डॉक्टरों के भरोसे ही रहते हैं। ऐसे में डॉक्टर नहीं रहने पर मरीजों को उपचार नहीं मिल पाता। 

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