नई दिल्ली. केंद्र सरकार गुड्स एण्ड सर्विस टैक्स की चोरी रोकने के लिए नई व्यवस्था बनाने जा रही है, एक सितंबर से निर्धारित सीमा से ऊपर का कारोबार करने वाली इकाई के बीच खरीद-फरोख्त के सभी चालान एक केंद्रीयकृत सरकारी पोर्टल से निकालने का नियम लागू किया जाएगा. व्यवस्था को लागू करने केंद्र, राज्य और जीएसटी नेटवर्क के 13 अधिकारियों की एक समिति बनाई जा चुकी है.
इस संबंध में जानकारी देते हुए अधिकारी ने बताया कि कि बिजनेस टू बिजनेस (B2B) सौदों के लिए ई-चालान की व्यवस्था चरणबद्ध तरीके से तीन-चार महीने में लागू कर दी जाएगी. सभी चालान सरकारी पोर्टल से निकालने होंगे. उम्मीद जताई जा रही है कि इससे जीएसटी की चोरी रोकने में काफी मदद मिलेगी और फर्जी चालान के इस्तेमाल पर अंकुश लगेगा. वहीं कारोबारी इकाइयों के लिए जीएसटी रिटर्न दाखिल करना भी और असान हो जाएगा क्योंकि उनके कारोबार में माल के चालान का आंकड़ा केंद्रीयकृत पोर्टल में पहले से दर्ज होगा.
अधिकारी ने बताया कि इसके लिए सालाना एक न्यूनतम सीमा से अधिक का कारोबार करने वाली इकाइयों को ऐसा सॉफ्टवेयर उपलब्ध कराया जाएगा जो जीएसटीएन नेटवर्क से जुड़ा होगा. इसकी मदद से से वे दूसरी कारोबारी इकाई को बेचे गए माल या सेवा के संबंध में ई-चालान निकाल सकेंगी. माल की खेप के मूल्य के आधार पर ई-चालान का नियम लागू किया जा सकता है.
अधिकारी ने कहा कि यह व्यवस्था लागू होने पर कारोबारी इकाइयां जरूरत होने पर माल के चालान के साथ ई-वे बिल भी निकाल सकेंगी. ई-वे बिल 50,000 रुपये से ऊपर की खेप दूर के ठिकानों पर भेजने के लिए जरूरी होती है. यह व्यवस्था सुचारु रूप से लागू होने के बाद सरकार इसे ऐसे क्षेत्रों में कारोबारी इकाई और उपभोक्ता (बी2सी) के बीच के लेन-देन पर भी लागू कर सकती है, जहां कर चोरी की आशंका ज्यादा दिखती हो.