रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य की शिक्षा व्यवस्था ऐसी की पढ़ाई पर कम रिकार्ड दुरुस्त करने पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है. आए दिन प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा पर नए नए प्रयोग से जहां एक ओर शिक्षक परेशान हैं. वही दूसरी ओर बच्चों को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा मिलना संभव नही दिख रहा है. स्कूल शिक्षा के नए-नए अधिकारी हर शिक्षण सत्र के लिए नित्य नए नए प्रयोग लेके आते हैं. जिससे पढ़ाई का स्तर गिरता जा रहा है. गरीब ग्रामीण अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ाते हैं जहां के शिक्षको को नए-नए प्रयोग कर उलझा दिया जाता है. जबकि प्राइवेट स्कूलों में सिर्फ पढ़ाई पर जोर दिया जाता है.

जब हम सरकारी स्कूलों पर नज़र डालेंगे तब छात्रों के भविष्य को लेकर हमारे माथे पर चिंता ज़रूर दिखेगी. इससे हम समझ पाएंगे कि किस प्रकार से स्कूलों में शिक्षकों से पढ़ाई की जगह दूसरे काम ज्यादा कराए जा रहे हैं. जिससे छात्रों की पढ़ाई सबसे ज्यादा प्रभावित हो रही है.

शिक्षक संघ छत्तीसगढ़  प्रांताध्यक्ष केदार जैन ने बताया कि राज्य के सरकारी स्कूलों में 14 अक्टूबर से 22 अक्टूबर तक सावधिक आकलन एवं फार्मेटिव आकलन चल रहा है जो ऑनलाइन प्रक्रिया के तहत होना है. ग्रामीण क्षेत्रों में मोबाइल सर्वर/नेटवर्क नहीं होने से पूरी प्रक्रिया पर प्रश्न चिन्ह लग रहा है. एक ही काम को चार से पांच बार अलग अलग तरीके से करने को लेकर इन दिनों शिक्षक पढ़ाने के बजाय इन कामो में व्यस्त हैं.

पूरा अक्टूबर माह में टीम्स टी एप, टेबलेट में जानकारी अपलोड करने, आकलन करने एवं दशहरा एवं दीपावली अवकाश के चलते पढ़ाई ढप हो गई है. आखिर शिक्षा के गुणवत्ता के गिरता स्तर का जिम्मेदार कौन?