रायपुर. राज्य सरकार ने शासकीय अस्पतालों की नर्सों की विभिन्न मांगों पर शुरू से ही संवेदनशील और सहानुभूतिपूर्ण दृष्टिकोण अपनाया है। इसके बावजूद उनके द्वारा अनिश्चित कालीन हड़ताल समाप्त नहीं किया जाना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने उनसे मरीजों की सेवा के पवित्र कार्य को ध्यान में रखकर हड़ताल समाप्त करने की अपील की है। नर्सों की हड़ताल 18 मई से चल रही है। विभाग की प्रमुख सचिव श्रीमती ऋचा शर्मा ने आज बताया कि नर्सों की जायज मांगों पर सरकार पूरी गंभीरता और सहृदयता से विचार कर रही है। इसके बाद भी जब दस दिनों तक हड़ताल समाप्त नहीं हुई तो आम जनता और विशेष रूप से गरीब मरीजों के हितों को ध्यान में रखकर 28 मई को गृह विभाग द्वारा उनकी हड़ताल पर अत्यावश्यक सेवा अधिनियम (एस्मा) लागू किया गया।

उन्होंने बताया कि एस्मा लागू होने के बाद भी तीन दिन तक सरकार ने उदारता के साथ लचीला रूख अपनाया तथा कई दौर की बातचीत के जरिए नर्सों को समझाने का प्रयास किया और यह उम्मीद रखी कि नर्सें हड़ताल से वापस आ जाएंगी । लेकिन ऐसा नहीं होने पर विवश होकर अब तक 607 नर्सों को एस्मा के तहत गिरफ्तार करना पड़ा।  मेडिकल कॉलेजों से सम्बद्ध अस्पतालों की 450 और अन्य अस्पतालों की 257 नर्सें इनमें शामिल हैं। एस्मा लागू करने के पहले आंदोलनकारी नर्सों को स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने छह बार समझाने का प्रयास किया गया। इतना ही नहीं, प्रमुख सचिव ऋचा शर्मा ने उनकी मांगों पर तत्काल सकारात्मक पहल करते हुए अन्य राज्यों में नर्सों को मिल रहे ग्रेड-वेतन आदि की जानकारी लेने के लिए एक समिति का भी गठन किया।

समिति गठन का आदेश मंत्रालय (महानदी भवन) से जारी हो गया है। समिति द्वारा अपनी रिपोर्ट दो माह के भीतर प्रस्तुत की जाएगी। शासन द्वारा गठित इस समिति में नर्सों के संघ की दो प्रतिनिधियों- नीलिमा शर्मा, अध्यक्ष स्टाफ नर्स एसोसिएशन अम्बेडकर अस्पताल रायपुर और डॉ. रीना राजपूत, प्रांतीय उप सचिव, स्टाफ नर्स एसोसिएशन को भी शामिल किया गया है। स्वास्थ्य सेवाओं की संचालक रानू साहू ने एस्मा लागू होने के बाद भी शासन की ओर से स्वयं नर्सों के धरना स्थल के समीप कालीबाड़ी और पुराने स्वास्थ्य संचालनालय स्थित अपने कार्यालय में नर्स एसोसिएशन की अध्यक्ष, सचिव और उनके पदाधिकारियों से मिलकर उनसे हड़ताल समाप्त करने की अपील की।

उन्होंने नर्सों से कहा कि राजधानी रायपुर स्थित अम्बेडकर अस्पताल में हर दिन लगभग डेढ़ हजार मरीज पहुंचते हैं और उनमें से करीब 150 से 200 मरीजों को विभिन्न वार्डों में भर्ती किया जाता है, जिनमें कई कैंसर, हड्डी रोग और विभिन्न गंभीर बीमारियों से पीड़ित मरीज भी रहते हैं, जिन्हें आपातकालीन चिकित्सा सेवाओं की तत्काल जरूरत पड़ती है। कई ऐसे मरीज होते है, जिन्हें तत्काल ऑपरेशन की जरूरत होती है। इसके अलावा कैंसर पीड़ित मरीजों को किमोथैरेपी की भी आवश्यकता होती है। स्वास्थ्य संचालक श्रीमती साहू ने कहा कि गरीब मरीजों को किसी भी स्थिति में इलाज से वंचित नहीं किया जा सकता।

इस बात को ध्यान में रखकर डॉक्टरों और पैरामेडिकल कर्मचारियों तथा मेडिकल कॉलेजों के अस्पतालों में एमबीबीएस के विद्यार्थियों द्वारा अस्पताल में दी जा रही सेवाओं के कारण अब तक कोई मरीज इलाज के बिना नहीं लौटा है और मरीजों को बेहतर से बेहतर इलाज की सुविधा उनके द्वारा दी जा रही है। उन्होंने कहा-नर्सों को प्रशिक्षण के दौरान यह बताया जाता है कि मरीजों की सेवा करना सबसे बड़ा पुण्य का कार्य होता है। नर्सों को यह समझना चाहिए कि उनकी हड़ताल से मरीजों की सेवा भला कैसे हो सकती है ? राज्य सरकार और स्वास्थ्य विभाग ने एक बार फिर सभी हड़तालरत नर्सों से आंदोलन समाप्त करने और मरीजों की सेवा के पुण्य कार्य के लिए काम पर वापस आने की अपील की है।