शिखिल ब्यौहार, भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार अब राज्य में जल प्रबंधन और वितरण की व्यवस्था को केंद्रीकृत करने की तैयारी कर रही है। इसके तहत प्रदेशभर में जल वितरण का जिम्मा एक एजेंसी को सौंपने की तैयारी है, जिसे जल्द ही कैबिनेट की मंजूरी के लिए पेश किया जा सकता है। संबंधित एजेंसी को अपनी पाइपलाइन व्यवस्था और जल आपूर्ति क्षमता को जनसंख्या और क्षेत्रीय जरूरतों के अनुसार विकसित करना होगा। भविष्य की योजनाएं जल मांग के अनुमान और दीर्घकालिक जरूरतों के आधार पर तैयार की जाएंगी। पुरानी परियोजनाओं की क्षमता भी बढ़ाई जाएंगी, ताकि आपातकालीन स्थितियों में निर्बाध जल आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके।

अभी कई विभागों में बंटी है जिम्मेदारी

फिलहाल अभी राज्य में जल आपूर्ति का काम नगर निगम, ग्रामीण विकास विभाग, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी (पीएचई) जल निगम और जल संसाधन विभाग जैसे कई अलग-अलग विभागों द्वारा किया जा रहा है। इससे जल वितरण में तालमेल की कमी, अनावश्यक देरी और संसाधनों की बर्बादी जैसी समस्याएं सामने आ रही हैं। सरकार द्वारा गठित एक विशेषज्ञ समिति ने इस व्यवस्था में व्यापक बदलाव की सिफारिश करते हुए सुझाव दिया कि जल वितरण की जिम्मेदारी पूरे प्रदेश में एक एकीकृत एजेंसी को सौंपी जाए। 

 गुजरात मॉडल से मिली प्रेरणा 

लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के प्रमुख सचिव पी नरहरि ने बताया कि समिति की सिफारिशों के आधार पर इस नए मॉडल को लागू करने की योजना बनाई गई है। यह व्यवस्था गुजरात राज्य के मॉडल पर आधारित है, जहां एकल एजेंसी ही समूचे राज्य में जल वितरण का काम करती है।  

Lalluram.Com के व्हाट्सएप चैनल को Follow करना न भूलें.
https://whatsapp.com/channel/0029Va9ikmL6RGJ8hkYEFC2H