चेन्नई। तमिलनाडु सरकार बंधुआ बाल मजदूरी के खिलाफ कार्रवाई करेगी। राज्य के तटीय जिलों में बच्चों से मजदूरी कराने की घटनाएं तेजी से बढ़ रही है, जिसके बाद सरकार ने यह फैसला लिया है। यह जानकारी क्षेत्र में काम कर रहे संगठनों की रिपोर्ट से सामने आई है। मुख्यमंत्री कार्यालय के सूत्रों ने आईएएनएस को बताया कि एम.के. स्टालिन ने इस मामले में सीधे तौर पर हस्तक्षेप किया है और राज्य के समाज कल्याण विभाग को इस मुद्दे पर विस्तृत अध्ययन करने का काम सौंपा गया है।

रामनाथपुरम में एक बकरी के खेत में चार बंधुआ मजदूर बच्चों को बचाए जाने के बाद राज्य सरकार को आलोचना का सामना करना पड़ा था।

तीनों बच्चों को वेत्रिवेल (नौ), वेलायुथन (आठ), शक्तिवेल (सात) और सुंदर (छह) को खेत के मालिक गोविंदराजन ने उनके गरीबी से जूझ रहे माता-पिता से 62,000 रुपये में खरीदा था।

जब बच्चों को तंजावुर में एक मल्टीटास्क डिपार्टमेंट फोर्स द्वारा बचाया गया, तो वे ठीक से संवाद करने में सक्षम नहीं थे क्योंकि वे 500 बकरियों के झुंड में बिना भोजन के साथ रह रहे थे।

कार्यकर्ता पथिमराज के अनुसार गोविंदराजन ने माता-पिता को मना लिया था और बड़े बच्चों को 50,000 रुपये और छोटे बच्चों को 12,000 रुपये में खरीदा था। खेत के मालिक ने बाद में छोटे भाई-बहनों को किसी और को बेच दिया।

पथिमराज ने मीडियाकर्मियों से कहा कि यह तो बस एक छोटी घटना है। प्रदेश के कई डेल्टा जिलों में बच्चों की खरीद-फरोख्त हो रही है। कार्यकर्ता ने कहा कि उनके एनजीओ, ‘शेड इंडिया’ ने 40 से ज्यादा बच्चों को बचाया था, जिन्होंने उन्हें बंधुआ मजदूरी के लिए खरीदा था।

चार बच्चों के माता-पिता, सुंदरराज और बापति ने मीडियाकर्मियों को बताया कि वे खेत में मजदूरी करते थे लेकिन कोरोना महामारी के बाद से उनकी आर्थिक हालत और ज्यादा खराब हो गई थी। तभी उन्होंने बच्चों को गोविंदराजन को मजदूरी करने के लिए दे दिया और इसके लिए उन्हें जो पैसा दिया गया वह उनके बच्चों का वेतन का था। देश में बाल श्रम के खिलाफ सख्त कानूनों के बावजूद, सभी बच्चे 10 साल से कम उम्र के थे और बीत दो सालों से अमानवीय जीवन के अधीन थे।

तंजावुर में मीडियाकर्मियों से बात करते हुए, वेट्रिवेल ने कहा, “हमें केवल खाने के लिए दिन में एक बार कांजी (दलिया) दिया जाता था और हम चावल और करी खाने का सपना देखते थे। जब उनकी बकरियां गायब हो जाती थीं तो वह हमें पीटते थे और उन्हें ढूंढने के लिए भटकना पड़ता था। हम बकरियों को चराने के लिए रोजाना 10 किमी पैदल चलते थे।”

दरअसल वेत्रिवेल और वेलायुथन खेत के मालिक के चंगुल से बच गए थे और उन्होंने इस मामले को जनता और पथिमराज के सामने प्रकट किया था।

पथिमराज के एनजीओ ने तुरंत मामले को उठाया और तंजावुर जिला बाल कल्याण समिति को इसकी जानकारी दी। बच्चे अब बाल कल्याण समिति की देखरेख में हैं और अपने संचार कौशल को वापस पाने की कोशिश कर रहे हैं। पथिमराज ने कहा कि तंजावुर जिला प्रशासन ने गोविंदराजन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का वादा किया है।

सीएमओ से मिली जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री ने तंजावुर, रामनाथपुरम और अन्य डेल्टा जिला प्रशासन को ऐसे पशुपालन फार्मो, चारकोल इकाइयों, ईट इकाइयों और अन्य क्षेत्रों में जहां बंधुआ मजदूरी की संभावना है, वहां तत्काल छापेमारी करने का निर्देश दिया है।