रायपुर। छत्तीसगढ़ नदियों की धरती है. यहां महानदी से लेकर शिवनाथ, इंद्रावती और हसदो से जैसी बड़ी नदियां है. लेकिन वर्तमान में इन नदियों की स्थिति दयनीय है. राजधानी रायपुर की खारुन और न्यायधानी बिलासपुर की जीवनदायिनी अरपा भी संकट में है. इसके साथ ही कई छोटी-छोटी नदियां मृतप्राय स्थिति में पहुँच गई है. बारिश के दिनों को छोड़ दे तो गर्मी के दिनों में नदियों का प्रवाह रुक जाता है. धराए टूट जाती हैं. सूखी नदियों में रेत उत्तखनन भी एक बड़ी वजह नदियों के लिए बनी है.
सरकार ने नदियों की इन स्थितियों को देखते हुए इसे बचाने के लिए अभियान की शुरुआत कर दी है.मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह इसके लिये ईशा फाउंडेशन के सहयोग से राज्य में अभियान शुुरु करने जा रहें हैं.मुख्यमंत्री ने इस अभियान के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी जलसंसाधन विभाग को सौंपी है.सीएम डॉ रमन सिंह और जलसंसाधन मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के लगातार मार्गदर्शन में जलसंसाधन विभाग के सचिव सोनमणि बोरा ने इस दिशा में गंभीरता से प्रयास शुरु किया है. मुख्यमंत्री से सहमति मिलने के बाद सोनमणि बोरा ने इस अभियान के बारे में सद्गुरु जग्गी वासुदेव को रायपुर आमंत्रित करने के लिये ई-मेल किया था,जिसके जवाब में सद्गुरु की ओर से ई-मेल आया है. ई-मेल में नदी बचाने के प्रस्तावित मुहिम की तारीफ करते हुए सद्गुरु जग्गी वासुदेव की सहमति जताई गई है और कहा गया है कि सदगुरु 28 नवंबर को रायपुर आयेंगे. इस दिन मंत्रालय में सरकार और ईशा फाउंडेशन के बीच नदी बचाने को लेकर एमओयू होगा.
नदी बचाओ अभियान की जानकारी देते हुए सोनमणि बोरा ने कहा कि छत्तीसगढ़ में प्रमुख नदियों और जलस्त्रोतों को अविरल और निर्मलधारा के रुप में स्थायित्व के लिये जल संवर्धन,जल संरक्षण,जल स्वच्छता एवं पुनर्जीवन कार्यक्रम के तहत नदी व जल स्त्रोतों के किनारे व्यापक हरितकरण,एग्रोफारेस्ट्री एवं उद्यानिकी को बढ़ावा देते हुए एक वृहद नदी अभियान की रुपरेखा तैयार की जा रही है.इस कार्ययोजना के तहत छत्तीसगढ़ की प्रमुख नदियों एवं जल स्त्रोतों के दोनों किनारों पर अधिकतम 1 किलोमीटर तक उपलब्ध शासकीय भूमि में से कुछ भूमि को सघन वृक्षारोपण के लिये विकसित किया जायेगा.ऐसे ही नदियों के किनारे उपलब्ध निजी जमीनों में बागवानी, उद्यानिकी एवं एग्रोफारेस्ट्री के लिये किसानों को प्रोत्साहित करने का प्रयास किया जायेगा.नदियों के संवर्धन का कार्य अन्य शासकीय विभागों यथा वन विभाग,कृषि एवं उद्यानिकी विभाग सहित अन्य महत्वपूर्ण विभागों के समन्वित प्रयास से प्रस्तावित है.
सोनमणि बोरा ने बताया कि प्रमुख नदियों एवं जल स्त्रोतों को बचाने के अभियान के तहत तीन तरह के कार्यक्रम प्रस्तावित हैं,जो इस प्रकार हैं.
1.प्रदेश की प्रमुख नदियों के किनारे एवं जल संरचनाओं के निकट बसे ग्रामीणों को जल जागृत करते हुए उनको इन कार्यों में सहभागिता सुनिश्चित की जायेगी.
2.नदियों को स्वच्छ रखने हेतु जनभागीदारी कार्यक्रम से स्वच्छता अभियान चलाया जाकर नदियों एवं जल स्त्रोतों को स्वच्छ बनाये रखने हेतु प्रोत्साहित किया जायेगा.
3.कार्यक्रमों के वृहद प्रचार-प्रसार व युवाओं एवं कृषकों को सम्मिलित कर बौद्धिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों से जनजागरण अभियान चलाकर कार्यक्रम में जनभागीदारी सुनिश्चित की जायेगी.नदी तट और जल स्त्रोत के आसपास के गांवों को विशेष रुप से जनभागीदारी में जोड़ा जायेगा.
जल संसाधन विभाग को नोडल विभाग की जिम्मेदारी दी गई है.इस संयुक्त अभियान हेतु तकनीकी और परामर्श संबंधी सेवाओं के लिये ईशा फाउंडेशन ,कोयम्बटूर के साथ जल संसाधन विभाग द्वारा MOU आगामी 28 नवंबर 2017 को मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ,ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरु जग्गी वासुदेव,जल संसाधन मंत्री बृजमोहन अग्रवाल,मंत्रिमंडल के अन्य सदस्य और मुख्य सचिव सहित वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में सम्पन्न होगा.