फीचर स्टोरी। जिस दौर में देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के इरादे से कोल खनन को कमर्शियल किए जाने की नीति पर काम चल रहा है, ठीक उस वक्त आदिवासी बाहुल्य छत्तीसगढ़ जैसे छोटे से राज्य ने गांवों के रास्ते आर्थिक विकास का ढांचा तैयार किया है, जो बताता है कि प्राकृतिक संसाधनों को उजाड़कर ही अर्थ संकट की बहाली नहीं की जा सकती, दूसरे ऐसे रास्ते भी हैं, जिस पर चलकर विकास की दिशा में लंबी छलांग लगाई जा सकती है. यही नहीं छत्तीसगढ़ देश और दुनिया को यह भी बताने में अग्रणी रहा है कि कैसे अपनी सांस्कृतिक परंपरा, विरासत को आगे बढ़ाकर, तीज-त्यौहारों को प्रोत्साहित कर और सामाजिक और सांस्कृतिक क्षेत्र में उन्नति की जा सकती है.

अब आप ये सोच रहे होंगे कि आखिर छत्तीसगढ़ ने ऐसा कौन सा रास्ता अख्तियार किया, जिसकी वजह से अर्थ संकट के सबसे बुरे दौर में भी गांवों में बैठे किसानों के चेहरे पर खिलखिलाहट है? कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से देश के दूसरे हिस्सों में जिस वक्त बेरोजगारी के आंकड़े आसमान छू रहे हैं, ठीक उस वक्त आखिर कैसे छत्तीसगढ़ लोगों को रोजगार मुहैया करा रहा है? छत्तीसगढ़ की आखिर वह कौन सी नीति है, जो पीएम किसान योजना से ज्यादा फायदा राज्य के किसानों को दे रही है?

सामाजिक-सांस्कृति-आर्थिक मोर्चे पर नंबर वन

इन सारे सवालों का जवाब छत्तीसगढ़ में भूपेश सरकार की उन योजनाओं में छिपा है जिसके सरकार सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक मोर्चे पर नंबर वन साबित हुई है. संभव है कि कि आने वाले दिनों में छत्तीसगढ़ देश-दुनिया के बड़े अर्थशास्त्रियों के रिसर्च का एक बड़ा केंद्र बन जाए. जहां इस बात पर रिसर्च हो कि जब दुनिया विकास की रफ्तार में पिछड़ रही थी, उस वक्त छत्तीसगढ़ विकास की लहरों के साथ गोते लगा रहा था. जब विकसित और विकासशील देशों की आर्थिक रणनीतियां औंधे मुंह गिर रही थी, तब अपने अनूठे विकास माॅडल के जरिए छत्तीसगढ़ दुनिया को रास्ता दिखा रहा था.

दरअसल यह महज एक आंकलन की तस्वीर नहीं है. यह तस्वीर उन आंकड़ों की है, जो चौंकाती जरूर हैं, लेकिन यह भी बताती है कि अर्थव्यवस्था की बेहतरी का रास्ता सिर्फ अधोसरंचना के पैमाने पर ढले शहरों की ओर ही नहीं, बल्कि सभ्यता के अस्तित्व से जुड़े समृद्ध गांवों से होकर गुजरता है. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कहा था कि भारत की आत्मा गांवों में बसती है. गांवों के विकास से ही देश की उन्नति हो सकती है. गांधी का बताया यह रास्ता ही था जिस पर चलकर छत्तीसगढ़ ने दुनिया के सामने एक मिसाल बनने तक का सफर तय किया.


3 हजार ट्रैक्टर की खरीदी

आंकड़े बताते हैं कि कोरोना संकट के दौरान भूपेश सरकार की राजीव गांधी न्याय योजना कैसे किसानों की समृद्धि की वजह बनी है. दरअसल 2500 रूपए समर्थन मूल्य पर धान खरीदी का वादा पूरा करने में केंद्र की नीति आड़ें आई, तो भूपेश सरकार ने न्याय योजना के जरिए अंतर की राशि किसानों को दिए जाने का रास्ता चुना. यह योजना किसानों की बेहतरी का जरिया बनी. कोरोना से मुकाबला करते छत्तीसगढ़ के किसानों ने 21 मई से अब तक तीन हजार नए ट्रैक्टर खरीदे. यह योजना ही है जिसने राज्य की जीडीपी में 7 फीसदी की वृद्धि की है.

जीडीपी में 7 प्रतिशत की वृद्धि

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कहते हैं कि ‘राजीव गांधी किसान योजना के तहत जारी किये गए फंड से किसानों की क्रय क्षमता बढ़ी है. यह अन्य राज्यों और सरकारों के लिए एक नजीर है. इससे कोरोना काल में जहां देश और दुनिया की आर्थिकी कमजोर हुई है वहीं छत्तीसगढ़ में किसानों ने कोरोना के संकट काल में भी कृषि उपकरणों और अन्य सामानों में निवेश बढ़ाया है.’ अपनी सरकार द्वारा हितग्राहियों के खातों में सीधे पैसे डालने की योजनाओं की प्रशंसा करते हुए बघेल ने कहा, ‘इन योजनाओं से प्रदेश की आर्थिकी और मजबूत होगी और राज्य की जीडीपी में करीब 7 प्रतिशत की वृद्धि होगी. जब लोगों के पास धन होगा तो उनके द्वारा डिमांड बढ़ेगी. जब डिमांड बढ़ेगी तो मार्केट की सप्लाई में वृद्धि होगी जिसका सीधा अर्थ है जीडीपी में वृद्धि.

19 लाख किसानों को फायदा

राजीव गांधी न्याय योजना के तहत प्रदेश के 18.38 लाख किसानों के खातों में 1500 करोड़ रुपए की दूसरी किश्त ऑनलाइन जारी की गई है. बता दें की छत्तीसगढ़ सरकार की राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत किसानों से 2019 में की गई धान खरीदी के एवज में 5750 करोड़ की अतिरिक्त अनुदान राशि दी जानी है. सरकार ने इस राशि को ग्रांट के माध्यम जारी करने का प्रावधान इस वर्ष के बजट में रखा था जिसकी पहली किश्त 1500 करोड़ रुपए योजना के लांच वाले दिन 21 मई को दे दी गई थी. वहीं सरकार ने इसकी दूसरी किश्त 20 अगस्त की दी गई.


गोबर खरीदी और जैविक खाद

छत्तीसगढ़ के किसान सिर्फ न्याय योजना के तहत ही लाभ नहीं कमा रहे. गोबर बेचकर भी किसान 12 हजार रूपए तक की कमाई कर सकता है. ऐसा राज्य सरकार की ‘गोधन न्याय योजना’ के तहत मुमकिन हो पाया है. यह रकम केंद्र सरकार की पीएम किसान योजना के तहत मिलने वाली रकम से दोगुनी है. गोधन न्याय योजना’ के अंतर्गत राज्य सरकार गाय के गोबर को पशुपालक से 2 रुपये प्रति किलो की दर से खरीद कर रही है और इसका इस्तेमाल वर्मीकम्पोस्ट या जैविक खाद बनाया जाएगा.

स्थानीय लोगों को रोजगारमुख्यमंत्री भूपेश बघेल कहते हैं कि गोधन न्याय योजना से स्थानीय लोगों और किसानों के लिए रोजगार उपलब्ध होगा. पशुओं की भी अच्छी देखभाल सुनिश्चित हो सकेगी. यह किसानों और पशुपालकों दोनों के लिए बेहतर योजना साबित होगी. योजना के तहत पशु की पशुपालक की ओर से अच्छी देखभाल भी सुनिश्चित हो सकेगी. क्योंकि वे गोबर बेचकर आसानी से कमाई कर सकेंगे. इसके अलावा, इस स्कीम से पशुओं के खेतों में जाने पर भी लगाम लेगी. खेतों में पशुओं के चरने से भारी नुकसान उठाना पड़ता था. बघेल ने कहा कि इस योजना से गौशालाओं में बड़े पैमाने पर वर्मीकम्पोस्ट का उत्पादन हो सकेगा. इसे खेतों में नुकसानदायक उर्वरक के इस्तेमाल में कमी आएगी.


जनता की भागीदारी

ऐसा नहीं है कि राजीव गांधी न्याय योजना, गोबर खरीदी योजना ही राज्य की समृद्धि का कारण बनी हो. किसानों की कर्जमाफी, नरवा,गरवा, घुरवा, बाड़ी, गरीबों को 35 किलो चावल, भूमिहीनों को पट्टा, छोटे भूखंडों से रजिस्ट्री माफ, आदिवासियों की जमीन वापसी, 400 यूनिट बिजली माफ जैसी योजनाओं ने यह बताया कि कैसे जनता के हितों को साधते हुए भी सरकारें बखूबी चलाई जा सकती है.


योजनाएं ही नहीं छत्तीसगढ़ की अस्मिता, पहचान, परंपरा, भाषा की जड़ों को समृद्ध करते हुए राज्य की भूपेश बघेल सरकार ने यह भी साबित किया है कि नवा छत्तीसगढ़ गढ़ने के इस परिश्रम में सिर्फ सरकार ही नहीं है, बल्कि सरकार बनाने वाली जनता भी शामिल है.