रायपुर। शराबबंदी के वादे पर चौतरफा घिरी राज्य सरकार ने मास्टर स्ट्रोक खेला है. सरकार ने बजट के पहले एक बार फिर राजनीतिक दलों को शराबबंदी के लिए गठित समिति में अपने विधायकों को नामांकित करने के लिए रिमाइंडर लेटर लिखा है.
आबकारी विभाग के अवर सचिव मरियानुस तिग्गा ने नेता प्रतिपक्ष के साथ ही भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष और जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के अध्यक्ष को भी पत्र लिखा है. पत्र में उन्होंने नेता प्रतिपक्ष और भाजपा प्रदेशाध्यक्ष को 2 विधायकों को व जनता कांग्रेस से 1 विधायक को इस सर्वदलीय समिति में नामांकित करने का अनुरोध किया है. इसके साथ ही पत्र में कहा गया है कि शराबबंदी के लिए सरकार द्वारा गठित समिति में विधायकों को शीघ्रातिशीघ्र नामांकित करें जिससे समिति जल्द से जल्द अपना काम शुरु कर सके.
आपको बता दें वरिष्ठ विधायक सत्यनारायण शर्मा के अध्यक्षता में पूर्ण शराबबंदी लागू करने के लिए सर्वदलीय समिति गठित किया गया है. इस समिति में सभी दलों के विधायक सदस्य रहेंगे. यह समिति ऐसे राज्य जहां पूर्व में शराबबंदी लागू की गई की गई थी या वर्तमान में पूर्ण शराबबंदी लागू है. वहां शराबबंदी के बाद ऐसे राज्य में आए आर्थिक, सामाजिक एवं व्यावहारिक परिवर्तनों का अध्ययन करेगी.
साल भर के भीतर लिखा पांचवा पत्र
सरकार की तरफ से दोनों दलों को अपने विधायकों को नामांकित करने के लिए यह पहला पत्र नहीं लिखा है. इसके पहले चार बार और पत्र लिखा जा चुका है. सरकार की तरफ से पहला पत्र 18 मार्च 2019, दूसरा 19 जून 2019, तीसरा 16 अगस्त 2019 और चौथा पत्र 24 सितंबर 2019 को भेजा चुका है. लेकिन इन पत्रों के बावजूद विपक्षी दलों ने अभी तक किसी भी विधायक को नामांकित नहीं किया है.
हालांकि विपक्ष शराबबंदी को लेकर लगातार सरकार को घेरता रहा है और जनता के साथ वादाखिलाफी किये जाने का आरोप लगाते रहा है. लिहाजा सरकार ने बजट सत्र के पहले विपक्ष को पांचवा पत्र लिखकर सभी को यह संदेश देने की कवायद की है कि वह पूर्ण शराबबंदी के वादे को लेकर गंभीर है लेकिन विपक्ष ही गंभीरता नहीं दिखा रहा है और पत्र लिखते-लिखते 1 साल पूरा होने जा रहा है.