रायपुर. राज्यपाल अनुसुईया उइके ने मंगलवार को स्थानीय खालसा स्कूल में श्री गुरूसिंघ सभा, रायपुर द्वारा आयोजित गुरू नानक देव जी का 550वां प्रकाश पर्व में शामिल होकर उपस्थित लोगों को प्रकाश पर्व की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं दी. उन्होंने कहा कि इस बार प्रकाश पर्व कई मायनों में खास है. यह 550 वां प्रकाश पर्व है और इस अवसर पर सिक्ख धर्म के प्रमुख तीर्थ स्थल करतारपुर साहब जो कि पाकिस्तान में स्थित है वहां जाकर दर्शन की सुविधा भी भक्तों को उपलब्ध हो सकी है.

राज्यपाल उइके ने कहा कि गुरु नानक देव जी के उपदेश आज भी प्रासंगिक है अपितु आज तो इनकी आवश्यकता और भी अधिक है. यदि हम गुरु नानक देव को मानते हैं, तो यह समझना चाहिए कि इंसानियत से बड़ा कोई धर्म नही है. उनका संदेश है ‘अव्वल अल्लाह नूर उपाया कुदरत के सब बंदे एक नूर ते सब जग उपजेया कौन भले कौ मंदे’ अर्थात सभी इंसान एक दूसरे के भाई हैं. ईश्वर सबके पिता हैं फिर एक पिता की संतान होने के बावजूद हम ऊंच नीच कैसे हो सकते हैं. गुरू नानक जी ने सिक्ख धर्म में लंगर की प्रथा आरम्भ करवाई, जिसमें भेद भाव से परे अमीर गरीब सब एक स्थान पर बैठ कर लंगर छके यही संदेश था.

राज्यपाल ने कहा कि हमारे भारत देश में, हर युग में ऐसे संत एवं महापुरूषों ने जन्म लिया है, जिन्होंने समाज को नई राह दिखाई. जिस समय गुरू नानक देव जी प्रकट हुए थे, उस वक्त समाज में छुआछूत, ऊंच-नीच, असमानता, कुरीतियां जैसी अनेक बुराईयां व्याप्त थीं. गुरूनानक देव जी के उपदेशों से ज्ञान का उजाला फैला. उन्होंने विश्व शांति और मानव कल्याण के लिए प्रेम, सद्भावना और भाईचारे के पथ पर चलने की प्रेरणा दी. गुरूनानक देव जी ने नेकी और भलाई की राह दिखाई. मदद करने तथा आपसी सहयोग एवं सौहार्द्र को बढ़ाने की बात कही. उन्होंने जनमानस में सेवा की भावना के लिए प्रेरणा दी.

राज्यपाल ने कहा कि प्रकाश पर्व के इस अवसर पर हम यह संकल्प लें कि गुरू नानक देव जी के विचारों का हमेशा अनुसरण करेंगे। उन्होंने आग्रह किया कि आपसी सद्भाव, समरसता और प्रेम से समन्वय बनाकर रखें. सामंजस्य से साथ रहने पर हमारा देश मजबूत बनेगा और जनता सही तरीके से जीवन यापन करेगी, जिससे देश एवं प्रदेश में अमन-चैन एवं खुशहाली कायम रहेगी.
इस अवसर पर गुरूसिंघ सभा के पदाधिकारियों द्वारा राज्यपाल को शाल-श्रीफल और सरोपा भेंट किया गया. इस मौके पर गुरूसिंघ सभा के अध्यक्ष दिलीप सिंह होरा एवं अन्य जन प्रतिनिधि तथा बड़ी संख्या में सिख समाज के व्यक्ति उपस्थित थे.