रायपुर. छत्तीसगढ़ के कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति पद पर नियुक्ति का मामला उलझ गया है. सूत्रों के मुताबिक इसकी वजह राज्यपाल का अपनी पंसद के नाम पर अड़ना है.
आमतौर पर यह माना जाता है कि कुलपति की नियुक्ति राज्य शासन ख़ासकर मुख्यमंत्री की पसंद से ही होती है. यह परंपरा भी रही है. लेकिन जानकार सूत्रों के मुताबिक राज्यपाल अनुसुइया उइके एक ऐसे वरिष्ठ पत्रकार के नाम पर अड़ गई हैं जो विशुद्ध रूप से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के स्वयंसेवक हैं. जबकि दूसरी ओर मुख्यमंत्री के सामने कई ऐसे नाम हैं जो मुखर आरएसएस विरोधी हैं.
मतलब यह कि केटीयू के कुलपति पद पर अब यह खींचतान चल रही है कि किस विचारधारा का प्रतिनिधि इस पद पर आसीन होगा.
गौरतलब है कि नवंबर में  कुलपति के लिए नाम का चयन करने के लिए छानबीन समिति की बैठक हुई थी. छानबीन कमेटी में वरिष्ठ पत्रकार और जयपुर में हरदेव जोशी पत्रकारिता विवि के कुलपति ओम थानवी, पूर्व आइएफ़एस और योजना आयोग के सदस्य के. सुब्रमण्यम और हिमाचल विवि के कुलपति कुलदीप चंद्र अग्निहोत्री सदस्य थे.
छानबीन समिति ने बैठक के बाद अपनी ओर से नाम शासन को सौंप दिए थे. लेकिन इसके बारे में अब तक कोई फ़ैसला नहीं हो सका है. आमतौर पर छानबीन समिति का नाम आने के बाद कुलपति की घोषणा होने में इतना समय नहीं लगता लेकिन सूत्रों का कहना है कि राज्यपाल के अड़े होने की वजह से यह घोषणा रुकी हुई है.
सूत्रों का कहना है कि राज्यपाल अनुसूइया उइके चाहती हैं कि संघ के मुखपत्रों पांचजन्य और ऑर्गेनाइज़र के प्रधान संपादक रह चुके जगदीश उपासने को कुलपति के पद पर नियुक्त किया जाए.
उल्लेखनीय है कि संघ के इन्हीं मुखपत्रों में दादरी में हुई मॉब लिंचिंग को सही ठहराया गया था और इन्हीं में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का वह बयान प्रकाशित हुआ था जिसमें उन्होंने आरक्षण का विरोध किया था. हालांकि जगदीश उपासने इंडिया टुडे हिंदी के संपादक के पद पर भी लंबे समय तक रहे हैं और उससे पहले जनसत्ता में काम कर चुके हैं. लेकिन इंडिया टुडे से सेवानिवृत्त होने के बाद से वे आरएसएस और भाजपा के पक्ष में लगातार लिख-बोल रहे हैं.
जगदीश उपासने इससे पहले भोपाल में माखन लाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विवि के कुलपति नियुक्त किए गए थे लेकिन पिछले दिसंबर में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया था.
हाल ही में जगदीश उपासने चर्चा में आए थे क्योंकि उन्होंने माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विवि के एसोसिएट प्रोफ़ेसर दिलीप मंडल और मुकेश कुमार को हटाने के लिए एक अभियान छेड़ दिया था. इसे लेकर व्हाट्सऐप से लेकर मीडिया तक लंबी बहस चलती रही. सूत्रों का कहना है कि जगदीश उपासने को यह भनक लग गई है कि छानबीन समिति ने कुलपति पद के लिए इन दोनों में से एक नाम को भी स्वीकृति दी है. इसे कुलपति पद पर उम्मीदवार कम करने के प्रयास के रूप में भी देखा गया था.
कुलपति के लिए जिन नामों पर चर्चा हो रही है, उनमें उर्मिलेश उर्मिल और बलदेव भाई शर्मा के साथ ही चंडीगढ़ की चितकारा यूनिवर्सिटी में मॉस कॉम के डीन डॉ. आशुतोष मिश्रा, माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विवि के एसोसिएट प्रोफेसर दिलीप मंडल, दूरदर्शन के पूर्व एंकर डॉ. मुकेश कुमार और पत्रकार निशीध त्यागी का नाम शामिल है.

 

10 मार्च को मानसिंह परमार ने विश्वविद्यालय के कुलपति पद से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद से नए कुलपति की तलाश शुरू हुई है. रायपुर संभाग के कमिश्नर जीआर चुरेंद्र फिलहाल कुलपति का अतिरिक्त प्रभार संभाल रहे हैं.

कुलपति की तलाश के लिए राज्यपाल द्वारा 12 सितंबर को तीन सदस्यीय कमेटी गठित की गई है. तय समय में नामों का पैनल तैयार नहीं होने के कारण 23 अक्टूबर को कमेटी को चार सप्ताह का अतिरिक्त समय दिया गया था. जिसके बाद कमेटी ने नामों की सिफारिश नवंबर महीने में कर दी थी.