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जीतेन्द्र सिन्हा, राजिम। छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध त्रिवेणी संगम राजिम में राजिम कुंभ कल्प मेला का भव्य शुभारंभ हुआ. राज्यपाल रमेन डेका ने इस ऐतिहासिक आयोजन का उद्घाटन करते हुए इसे छत्तीसगढ़ की समृद्ध सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर का प्रतीक बताया.
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राजिम बना आस्था का केंद्र, साधु-संतों का जमावड़ा
महानदी, पैरी और सोंढूर नदियों के पावन संगम पर आयोजित इस मेले में देशभर से साधु-संत, श्रद्धालु और पर्यटक बड़ी संख्या में पहुंचे. राज्यपाल डेका ने भगवान राजीव लोचन की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर प्रदेश की सुख-समृद्धि की कामना की.
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उन्होंने कहा, “राजिम सदियों से संतों और भक्तों का केंद्र रहा है. यह कुंभ केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि सामाजिक एकता और परंपरा के संरक्षण का संदेश देता है.” उन्होंने पंचकोशी यात्रा और छत्तीसगढ़ के अन्य प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों का भी उल्लेख किया.
महाकुंभ और राजिम कुंभ का अद्भुत संयोग
इस वर्ष का राजिम कुंभ कल्प और भी विशेष है क्योंकि यह प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ के समानांतर आयोजित हो रहा है. उन्होंने कहा, “प्रयागराज में गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम होता है, तो राजिम में महानदी, पैरी और सोंढूर का संगम. इसीलिए इसे छत्तीसगढ़ का प्रयागराज कहा जाता है.”
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आध्यात्मिकता और पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा
राज्यपाल ने कहा कि छत्तीसगढ़ धार्मिक पर्यटन का प्रमुख केंद्र बन रहा है. महामाया मंदिर, बम्लेश्वरी माता, दंतेश्वरी मंदिर और मडकू द्वीप जैसे स्थल राज्य की सांस्कृतिक विरासत को समृद्ध करते हैं.
उन्होंने कहा, “राजिम कुंभ केवल अध्यात्म का नहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक विकास का भी केंद्र है. यह मेला प्रदेश में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देगा और स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती देगा.”
संतों का आशीर्वाद, समरसता का संदेश
शुभारंभ कार्यक्रम में देशभर के संत-महात्मा और धार्मिक गुरु मौजूद रहे. दंडी स्वामी डॉ. इंदुभवानंद जी महाराज, महंत साध्वी प्रज्ञा भारती जी महाराज, बालयोगेश्वर बालयोगी रामबालक दास जी महाराज सहित कई साधु-संतों ने आयोजन को ऐतिहासिक बताया.
“जहां संतों के चरण पड़ते हैं, वह भूमि स्वयं पवित्र हो जाती है,” राज्यपाल ने कहा. उन्होंने श्रद्धालुओं से संस्कृति और परंपराओं को सहेजने और नई पीढ़ी को इससे जोड़ने का आह्वान किया.
भव्य आयोजन, करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र
इस आयोजन में छत्तीसगढ़ सरकार, धर्मस्व विभाग, पर्यटन मंडल और स्थानीय प्रशासन की महत्वपूर्ण भूमिका रही. आयोजन में लाखों श्रद्धालुओं के आने की संभावना है, जिससे यह मेला आस्था, संस्कृति और पर्यटन का अद्वितीय संगम बनेगा.
छत्तीसगढ़ की धार्मिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक एकता को सहेजते हुए राजिम कुंभ कल्प ने एक बार फिर प्रदेश को आध्यात्मिक धरोहर के नक्शे पर मजबूत किया है.
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