रायपुर। छत्तीसगढ़ी भाषा में जो मिठास है वह आपको आकर्षित करती है. उसे सुनने का बार-बार मन करता है. यहाँ की कला-संस्कृति को समृद्ध बनाने का काम मातृभाषा ने ही किया है. ऐसे में इतनी मीठी, गुरतुर भाषा छत्तीसगढ़ी को पढ़ाई-लिखाई का माध्यम बनाया जाना चाहिए. सरकारी काम-काज की भाषा जब मातृभाषा होगी तो उसे असानी यहां के लोग समझ पाएंगे, अपनी बात वह हर किसी के समक्ष कर पाएंगे. ऐसे में इस अभियान में मैं आपके साथ हूँ. मैं आपकी मांग को राष्ट्रपति के समक्ष रखूँगी. सरकार से भी कहूँगी कि वो इसे जल्द से जल्द पूरा करे. ये बातें राज्यपाल अनुसईया उइके ने मोर चिन्हारी छत्तीसगढ़ी समिति से कही.
28 नवंबर को राजभाषा दिवस समारोह के मौके पर राज्यपाल उइके बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुईं. उन्होंने यह भी कहा कि वे राज्यपाल तो हैं, लेकिन उससे पहले वे संरक्षक है. आपके साथ आपकी जरूरतों को पूरा कराने वह हर पल तत्पर हैंं. उनसे जो कुछ मदद हो सकता वह हमेशा करती रहेंगी. छत्तीसगढ़ियों में जो अपनापन और प्यार है वह मेरे लिए अमूल्य है. यहाँ की गीत-संगीत में जादू है. यहाँ के लोग अपनी जमीन और मिट्टी से जुड़े हुए हैं. मैं इस जुड़ाव को महसूस करती हूँ.
इस मौके पर उन्होंने छत्तीसगढ़ी राजभाषा मंच के संयोजक नंदकिशोर शुक्ल से कहा कि मातृभाषा को लेकर जो भी कार्य हुए हैं उसे लेकर वे राजभवन अवश्य आएं. वे इस विषय पर बैठकर चर्चा करेंगी. साथ ही उन्होंने छत्तीसगढ़िया महिला क्रांति सेना के महिला सेनानियों को भी राजभवन आमंत्रित किया. वहीं उन्होंने यह भी कहा कि सचमूच मोर चिन्हारी छत्तीसगढ़ी के इस कार्यक्रम में आकर बहुत खुशी हुई. वे उन सभी जगहों पर जाना चाहेंगी, जहाँ पर भी उन्हें सामाजिक जन-जागृति के कार्यों में आमंत्रित किया जाएगा.