सुशील सलाम, कांकेर. अनुसूचित क्षेत्र के 80 ग्राम पंचायतों को 27 नगर पंचायत में बदलने के फैसले पर राज्यपाल अनुसुईया उइके ने आपत्ति जताई है. उन्होंने कहा कि अनुसूचित क्षेत्र में बगैर राज्यपाल की अनुमति के सरकार द्वारा इस तरह का कार्य नहीं किया जा सकता है. इस संबंध में संशोधन विधेयक विधानसभा में लाना था. लेकिन नहीं लाया गया. जिसे लेकर मुख्यमंत्री को पत्र लिखा गया है कि आखिर कानून और संविधान में बदलाव कैसे किया गया है?
दरअसल, राज्यपाल अनुसुइया उइके शुक्रवार को आदिवासी समाज के भगवान के रूप में पूजे जाने वाले बिरसा मुंडा की जयंती के अवसर पर चारामा पहुंची. जिनका आदिवासी समाज ने भव्य स्वागत किया. यहां बिरसा मुंडा जयंती पर दो दिवसीय करियर गाइडेंस, रोजगार, संस्कृति एवं संवैधानिक जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया गया था. जिसके दूसरे दिन राज्यपाल अनुसुइया उइके पहुंची. इस दौरान उनके साथ सांसद मोहन मंडावी, विधायक शिशुपाल शोरी, विधायक मनोज मंडावी एवं आदिवासी समाज प्रमुख मौजूद रहे.
राज्यपाल ने सभी को बिरसमुंडा जयंती की बधाई देते हुए कहा कि बिरसमुंडा को आदिवासी समाज भगवान के रूप में पूजा जाता है. आजादी की लड़ाई में उनका भी योगदान रहा है. समाज ने अपनी समस्या से भी अवगत कराया है, जिसे दूर करने प्रयास करने की बात कही है. वहीं राज्यपाल ने प्रदेश सरकार को अनुसुचित क्षेत्र के ग्राम पंचायत को उनके बगेर नगर पंचायत बनाया गया, जिस पर सरकार से जवाब मांगा गया है.
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