दिल्ली. गरीब सवर्णों के लिए आरक्षण की व्यवस्था लागू करने के लिए केंद्र सरकार आज मंगलवार को लोकसभा में संविधान संशोधन बिल पेश करेगी। हालांकि संसद का सत्र बुधवार को खत्म हो रहा है, इसलिए केंद्र सरकार ने राज्यसभा की कार्यवाही को एक दिन और बढ़ाने का फैसला लिया है। ताकि दोनों सदनों से विधेयक को तत्काल पारित कराया जा सके।
कांग्रेस ने आर्थिक रूप से कमजोर, सामान्य वर्ग के लोगों को सरकारी नौकरी और उच्च शिक्षा में 10 फीसदी आरक्षण देने के सरकार के फैसले का समर्थन किया है। पार्टी ने कहा कि वह हमेशा आर्थिक तौर पर गरीब लोगों को आरक्षण की हिमायती रही है इसलिए वह इस विधेयक का समर्थन करेगी।
कांग्रेस पार्टी प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने सोमवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा- कांग्रेस का मानना है कि दलितों, आदिवासियों और पिछड़ों के संवैधानिक आरक्षण से कोई छेड़छाड़ किए बगैर समाज के सभी गरीब लोगों को भी शिक्षा व रोजगार का मौका मिले। उन्होंने कहा कि चार साल आठ माह बीत जाने के बाद केंद्र सरकार को अब देश के गरीबों की याद आई है। ऐसा क्यों, यह अपने आप सरकार की नीयत पर प्रश्न खड़ा करता है।
कांग्रेस ने कुछ सवाल भी उठाए। पार्टी का कहना है कि लोकसभा चुनाव से ठीक कुछ माह पहले इस फैसले को लेकर सरकार की नीयत पर सवाल खड़े होते हैं। यह आशंका है कि कहीं दूसरी घोषणाओं की तरह यह ऐलान भी जुमला बनकर ना रह जाए। सरकार को नौकरियों में आरक्षण के साथ नौकरी भी देनी चाहिए क्योंकि नौकरियां घट रही हैं।
इससे पहले पार्टी के वरिष्ठ प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने ट्वीट कर कहा था कि सरकार ने चार साल आठ माह तक सोचा। निश्चित तौर पर चुनाव आचार संहिता लागू होने से पहले जुमलेबाजी के बारे में भी सोचा। उन्होंने कहा कि आरक्षण की सीमा को पचास फीसदी से अधिक नहीं कर सकते। ऐसे में आप यह दिखाना चाहते हैं कि आपने प्रयास किया, पर हो नहीं पाया।
कांग्रेस के सवर्णों को आरक्षण पर समर्थन देने के ऐलान के बाद विधेयक के राज्यसभा में पारित होने की राह आसान हो गई है। कई दूसरे विपक्षी दल भी चुनाव से ठीक पहले सवर्णो की नाराजगी मोल नहीं लेंगे। ऐसे में यह माना जा रहा है कि नौकरियों और उच्च शिक्षा में सामान्य वर्ग को दस फीसदी आरक्षण देने वाले विधेयक पर संसद मुहर लगा देगी।