सत्यपाल राजपूत, रायपुर. छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के सूपेबेड़ा गांव में शुद्ध पेयजल ना मिलने की वजह से किडनी की बीमारी से लोगों की मौत हो रही है. इस मुद्दे को लल्लूराम डॉट कॉम ने प्राथमिकता से उठाया. जिसके बाद अब राज्य सरकार ने सूपेबेड़ा में किडनी की गंभीर बीमारी के रोकथाम के लिए एक विशेष टीम का गठन किया गया है.

बता दें, स्वास्थ्य मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि सूपेबेड़ा क्षेत्र में कई सालों से किडनी की बीमारी के कारण लोगों की जानें जा रही हैं. इस समस्या का समाधान निकालने के लिए अब ठोस कदम उठाए जा रहे हैं.

स्वास्थ्य मंत्री जायसवाल ने बताया कि इस दिशा में तीन प्रमुख कार्य किए जा रहे हैं:

  • शोध टीम का गठन: सूपेबेड़ा में बीमारी के कारणों का पता लगाने के लिए 7 विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम बनाई गई है, जिसकी अध्यक्षता MD NHM कर रहे हैं. यह टीम स्थानीय पानी, मिट्टी, वातावरण और जलवायु का गहन अध्ययन करेगी.
  • तत्कालीन चिकित्सा सुविधाएं: डायलिसिस की सुविधा को तत्काल प्रभाव से लागू किया गया है, जिसमें 5 नेफ्रोलॉजिस्ट डॉक्टरों की तैनाती की गई है. इसके साथ ही, 4 एंबुलेंस भी तैनात की गई हैं.
  • पानी सप्लाई व्यवस्था: स्थानीय लोगों के लिए शुद्ध पेयजल आपूर्ति के लिए भी व्यवस्थाएं की जा रही हैं, जिससे लोगों बीमारी पर नियंत्रण लगाया जा सके.

जानकारी के अनुसार, सूपेबेड़ा में किडनी की बीमारी से अब तक 140 लोगों की मौत हो चुकी है और 70 लोग पॉजिटिव पाए गए हैं, जिनका इलाज जारी है. पूर्व में, मरीजों को 200 किलोमीटर दूर रायपुर जाना पड़ता था, जिससे कई मरीजों की रास्ते में ही मौत हो जाती थी.

स्वास्थ्य मंत्री ने इस स्थिति से निपटने के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ ही शुद्ध पेयजल की सुविधाएं भी उपलब्ध कराने के लिए यह पहल की है. इस प्रयास से क्षेत्र के लोगों को बीमारी से राहत मिलने की उम्मीद है. इसे भी पढ़ें : Lalluram Special : सुपेबेड़ा बनने की कगार पर गरियाबंद जिले का एक और गांव, फ्लोराइड युक्त पानी का बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक दिख रहा असर…