सत्यपाल राजपूत, रायपुर. छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के सूपेबेड़ा गांव में शुद्ध पेयजल ना मिलने की वजह से किडनी की बीमारी से लोगों की मौत हो रही है. किडनी की बीमारी से अब तक 140 लोगों की मौत हो चुकी है और 70 लोग पॉजिटिव पाए गए हैं, जिनका इलाज जारी है. इस मुद्दे को लल्लूराम डॉट कॉम ने प्राथमिकता से उठाया. जिसके बाद अब राज्य सरकार ने सूपेबेड़ा में किडनी की गंभीर बीमारी के रोकथाम के लिए एक विशेष टीम का गठन किया गया है.
स्वास्थ्य मंत्री जायसवाल ने बताया कि इस दिशा में तीन प्रमुख कार्य किए जा रहे हैं:
- शोध टीम का गठन: सूपेबेड़ा में बीमारी के कारणों का पता लगाने के लिए 7 विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम बनाई गई है, जिसकी अध्यक्षता MD NHM कर रहे हैं. यह टीम स्थानीय पानी, मिट्टी, वातावरण और जलवायु का गहन अध्ययन करेगी.
- तत्कालीन चिकित्सा सुविधाएं: डायलिसिस की सुविधा को तत्काल प्रभाव से लागू किया गया है, जिसमें 5 नेफ्रोलॉजिस्ट डॉक्टरों की तैनाती की गई है. इसके साथ ही, 4 एंबुलेंस भी तैनात की गई हैं.
- पानी सप्लाई व्यवस्था: स्थानीय लोगों के लिए शुद्ध पेयजल आपूर्ति के लिए भी व्यवस्थाएं की जा रही हैं, जिससे लोगों बीमारी पर नियंत्रण लगाया जा सके.
स्वास्थ्य मंत्री जायसवाल ने कहा कि सुपेबेड़ा की समस्या बहुत लंबी समय से चली आ रही है, जिस पर पिछले भी समय में कुछ हद तक काम हुआ है. जैसा हमने कहा था, हम तीन स्तर में काम करेंगे। प्रारंभिक रूप से वहां लोगों को सुविधाएं देने के लिए हमने चार एंबुलेंस दो गरियाबंद ,एक देवभोग और एक सुपेबेड़ा में हमने दे दिए हैं. इसके साथ ही जो जिला मुख्यालय गरियाबंद है, वहां किडनी का क्रिटिकल केयर यूनिट स्थापित करके डायलिसिस यूनिट का विस्तार किया गया है. इसके अलावा देवभोग में दो नया डायलिसिस मशीन सेटअप तैयार करके डायलिसिस करना शुरू कर दिया है. वहीं सुपेबेड़ा में फिलहाल 2 डायलिसिस यूनिट है, उसे बढ़ाकर 10 डायलिसिस यूनिट करने की प्रक्रिया तेजी से जारी है. इसके साथ ही डॉक्टरों की समस्या को भी हल करते हुए हमने पांच मेडिकल ऑफिसर और दो एमडी मेडिसिन की भी नियुक्ति की गई है.
मंत्री जायसवाल ने आगे बताया कि पांच नेफ्रोलॉजिस्ट (किडनी संबंधित डॉक्टर) को हमने इंपैनल्ड किया है. यह टीम गरियाबंद में सप्ताह में 2 दिन बैठेंगे. इस तरह से महीने में सप्ताह में 8 दिन गरियाबंद और देवभोग में सप्ताह में एक दिन जाएंगे. वहीं सुपेबेड़ा में ये डॉक्टर अल्टरनेट सप्ताह में बैठेंगे तो इस प्रकार से 12 दिन उस क्षेत्र में विशेषज्ञ डॉक्टरों की आपूर्ति होगी.
स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि यहां की समस्या बहुत पुरानी है और कई स्तरों में इसकी जांच की जाएगी. इसलिए बीमारी के कारणों को जानने के लिए वहां एक शोध टीम का भी गठन किया गया है. जिसके अध्यक्ष एमडी एनएचएम डॉक्टर जगदीश सोनकर हैं और उनके नेतृत्व में टीम पूरे हर पहलू को अध्ययन प्रारंभ कर दी है. आने वाले समय में जो भी कारण और परेशानी सामने आएगी उसका हर स्तर पर हम निदान करेंगे.
उन्होंने कहा- एक आशंका है कि पानी में कमी हो सकती है. हम हड़बड़ी में ऐसा कोई भी कदम नहीं उठाने वाले हैं, जब तक की पूरे कारणों का जांच ना हो जाए. वहां की मिट्टी की जांच हो रही है, अभी पानी और जलवायु सहित लोगों के अनुवांशिक टेस्ट भी किये जाएंगे. इसके साथ ही वहां के लोगों का जो खान-पान है उसे पर भी अध्ययन की जाएगी.
उन्होंने कहा कि इन सभी प्रक्रियाओं में थोड़ा समय जरूर लगेगा. अगर पानी में अशुद्धता होगी तो अमृत जल मिशन योजना के माध्यम से गांव-गांव में जो पानी पहुंच रहा रहा है, उसके सरफेस वाटर को हम प्रोजेक्ट करेंगे. वहां एक तेल नदी बहती है, वहां से पानी देने का भी प्लान कर सकते हैं. इसके साथ ही अन्य कारणों के सामने आ जाने के बाद इस पर तेजी से काम करेंगे. थोड़ा समय जरूर लगेगा, लेकिन हमेशा के लिए स्थानीय हल निकालने की हमारी कोशिश है. इसे भी पढ़ें : Lalluram Special : सुपेबेड़ा बनने की कगार पर गरियाबंद जिले का एक और गांव, फ्लोराइड युक्त पानी का बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक दिख रहा असर…
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