पुरषोत्तम पात्र, गरियाबंद। छत्तीसगढ़ के गरियाबंद से एक लालची भाई की हैरान करने वाली कहानी सामने आई है. एक लालची भाई खुद को कागजों में मृत बताकर अपने नाबालिग बेटे के नाम बहन के हिस्से की जमीन करा ली. जमीन हाथ से निकलते ही घर जमाई बने पति तलाक देने समाजिक बैठक में बात रख दी. सुनवाई शुरू हुई तो पक्ष सुना जा रहा था, तभी दबंग भाई ने भरी बैठक में हंगामा कर दिया. महिलाओं से धक्कामुक्की और गाली गलौज भी किया. ऐसे में सैकड़ों की तादाद में महिलाएं थाने पहुंची. जहां कार्रवाई की मांग पर अड़ गई हैं.

मामला जिले के देवभोग थाने क्षेत्र का है. शनिवार को ढोर्रा ग्राम में कलार समाज का वार्षिक अधिवेशन चल रहा था. इसी बैठक में छैल डोंगरी निवासी मुक्ता पति द्वारा तलाक देने दिए जा रहे धमकी की सुनवाई की अर्जी लगाई थी. तलाक की वजह मुक्ता बाई के पैतृक संपत्ति में हिस्सा नहीं मिलने के कारण बताया गया. मुक्ता का विवाह 1990 में ओडिशा निवासी पुस्तम सिन्हा से हुई थी. पिता ने घर और जमीन देने की शर्त पर पुस्तम को घर जमाई बनाया था.

मुक्ता के हिस्से में 3 एकड़ जमीन आ रहा था, जिसे उसके भाई गजेंद्र सिन्हा ने जबरदस्ती रख लिया. हक पाने 2011 से कोर्ट में अर्जी लगाई. फैसला मुक्ता के पक्ष में भी आया. तहसील से मुक्ता के हक की जमीन का पट्टा भी बन गया, लेकिन गजेंद्र जमीन छोड़ा नहीं. जमीन नही मिलने के कारण पति पुस्तम मुक्ता का त्याग करना चाह रहा है.

इसी विषय पर समाज सुनवाई कर रहा था, तभी गजेंद्र सिन्हा भरी बैठक में भारी हंगामा कर दिया. महिलाओं से धक्का मुक्की कर उनके साथ गाली गलौज किया. इस घटना से आहत समाज के सभी पदाधिकारी और महिलाएं देवभोग थाना पहुंच गजेंद्र की गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं.

लिखित शिकायत देने के अलावा महिलाएं थाने के मुख्य सड़क पर बैठ गई हैं. दोषी को गिरफ्तार नहीं किए जाने तक थाने में ही बैठे रहने की मांग कर रहे हैं. थाना प्रभारी गौतम गावड़े ने कहा कि गजेंद्र सिन्हा के विरूद्ध शिकायत पत्र मिली है. जांच कर मामले पर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी.

फर्जी फौतीनामा से नाबालिग के नाम जमीन कर लिया

कोर्ट प्रक्रिया शुरू होते ही गजेंद्र ने जालसाजी कर मुक्ता बाई के हिस्से की जमीन 1.03 हेक्टेयर को अपने नाबालिग बेटे बेद प्रकाश के नाम से करवा लिया था. मुक्ता बाई ने कहा कि तहसील न्यायालय में सुनवाई के दरम्यान उसे बताया गया कि गजेंद्र सिन्हा की मौत हो गई है.

उसकी बेवा पत्नी रमा बाई व नाबालिग बेटे बेदप्रकाश के नाम जमीन दर्ज है, लेकिन उसे दस्तावेज नहीं दिया गया. व्यवहार न्यायालय की शरण में जाने के बाद 2017 में उसके हक में जमीन आ तो गई, लेकिन फर्जीवाड़े पर कार्रवाई नहीं हुई, न ही उसके हक की जमीन भाई गजेंद्र ने उसे दिया. फर्जीवाड़े की जमीन से वह हर साल लोन निकाल रहा है.

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