परवेज खान, शिवपुरी। मध्य प्रदेश में यूं तो कई शादियां होती हैं। लेकिन कुछ अनोखी शादियां ऐसी होती हैं जो पूरे प्रदेश भर में चर्चा का विषय बन जाती है। ऐसी ही एक शादी आज गुरु पूर्णिमा के दिन शिवपुरी जिले में हुई। यहां विदेशी जोड़े ने सनातन संस्कृति के अनुसार विवाह किया और परिणय सूत्र में बंध गए।
स्विट्जरलैंड का दूल्हा, जर्मनी की दुल्हन
दरअसल शिवपुरी में स्विट्जरलैंड के रहने वाले मार्टिन और जर्मनी की उलरिके वैदिक सनातन परम्परा के पाणिग्रहण संस्कार से परिणय सूत्र में बंध गए। इस समारोह में बड़ी संख्या लोग शामिल हुए। यह शादी नक्षत्र गार्डन में संपन्न हुई। देश के जाने-माने आध्यात्मिक गुरु डॉक्टर रघुवीर सिंह गौर इस शादी के प्रेरणा स्त्रोत हैं।
स्पेन में हुई थी दोनों की मुलाकात
ज्यूरिख निवासी 45 साल के मार्टिन पेशे से लीगल ऑडिट कंपनी में अधिकारी हैं। वे गुरु रघुवीर सिंह जी से बीते पांच साल से संपर्क में सोशल साइट्स के माध्यम से आए थे। फिर वे गुरुजी के दर्शन करने भारत आने लगे। जर्मनी की म्यूनिख शहर की उलरिके 48 साल की हैं। वे पेशे से नर्स हैं। दोनों की पहली मुलाकात एक यात्रा के दौरान स्पेन में हुई थी। बाद में दोनों में फोन पर बातें होती रहीं और दिल मिल गए। मार्टिन गुरुजी के सानिध्य में शादी करना चाहता थे। उनकी यह इच्छा आज पूरी हो रही है।
दूल्हे मार्टिन का कहना है कि मेरी मुलाकात उलरिके से स्पेन में हुई। गुरुजी से पांच साल से जुड़ा हूं। भारत आकर उनसे मुलाकातें की हैं। शादी के समय तीसरी बार भारत आया हूं। मुझे चर्च में शादी उचित नहीं लगी। मेरे लिए सबसे ज्यादा जरूरी गुरुजी का आशीर्वाद था। उनसे मेरी शादी के लिए बातचीत हुई तो उन्होंने भारतीय संस्कृति के बारे में बताया, जिससे मैं प्रभावित हुआ और हिंदू परंपरा से शादी करने को तैयार हो गया। भारतीय संस्कृति को जानने के लिए गुरुजी ने मुझे मेहर बाबा की किताब दी।
वहीं दुल्हन उलरिके ने बताया कि मैं सोशल मीडिया के जरिए गुरुजी से जुड़ी। मुझे भारत के बारे में जाना। उनके आध्यात्मिक प्रवर्वचनों से प्रेरित हुई। भारतीय संस्कृति में रुचि बढ़ी। टीवी पर हिंदू रीति से हुई शादी देखी। गुरुजी के माध्यम से मार्टिन से स्पेन में छुट्टियों में मुलाकात हुई और प्रेम हो गया। गुरुजी ने शादी को अंजाम तक पहुंचाया।
शक्तिपात के विशेषज्ञ गुरुजी डॉक्टर रघुवीर सिंह गौर ने आगे बताया कि मार्टिन खुद योग गुरू हैं। ये मुझसे प्रभावित हुए। भारत आकर मुझसे मिले।लड़की भी मिलने आई। यहां के जीवन को चर्चा होती थी तो ये सोलह संस्कार से प्रभावित हुए। इनका ये प्रेम विवाह है। इन्हें परिणय संस्कार अच्छा लगा, क्योंकि इसकी साक्षी अग्नि होती है। चूंकि इन्होंने मुझे गुरु मान लिया था, इसलिए वैदिक हिंदू रीति से मेरे सानिध्य में शादी की।
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