पुरुषोत्तम पात्र, गरियाबंद. मैनपुर विकासखंड का अमली गांव कुछ दिनों से पलायन को लेकर चर्चा में बना हुआ है. अब तक 59 लोग पलायन कर चुके हैं. ग्रामीणों का कहना है कि सड़क बना देने से पलायन नहीं थमेगा.

जानकारी के अनुसार ग्रामीण बुनियादी सुविधाओं की कमी की वजह से गांव छोड़ने पर मजबूर हैं. पलायन का मामला सामने आने के बाद जब जमीनी हकीकत जानने ग्राउंड जीरो पहुंचे तो गांव में मौजूद कुल 72 परिवार में से 10 से ज्यादा मकानों में ताला लटका मिला. कुछ के बुजुर्ग परिवार सदस्य बांस के बर्तन बनाते दिखे, ऐसे लोगों के परिवार के अन्य सदस्य और बच्चे पलायन कर गए हैं. गांव में 3 साल से बन रहे कई पीएम आवास अधूरा दिखा, कहीं प्लास्टर पूरा नहीं, तो कइयों में दरवाजे तक नहीं लगे थे. गांव में मौजूद एक हैंडपंप बरसों से बंद पड़ा है. साथ ही गांव की गलियों में एक भी सीसी सड़क नहीं बनी है.

12वीं पास बेलमती भी कर गई पलायन

पलायन करने वालों में मनसाय नेताम की भाई बहू बेलमती भी पलायन कर गई है. मनसाय ने बताया कि मनसाय उसका छोटा भाई 5वीं पास है. पढ़ने की ललक देख कर बहू बेलमती को पढ़ा लिखाकर 12वीं पास कराया. जनजाति की महिला होने के नाते नौकरी की मांग की, लेकिन नहीं मिली. जनजाति विकास योजना का भी कोई काम नहीं मिला. बांस के बर्तन को बेंचकर दो परिवार का गुजारा संभव नहीं है, क्योंकि बांस के बर्तन की मांग भी कम हो गई और कोचिया सक्रिय हो गए हैं, इसलिए बहू को भाई के साथ मजदूरी करने आंध्रप्रदेश जाना पड़ा.

समस्याओं का अंबार, विस्थापन की उठी मांग

सरपंच राजमन नेताम, उपसरपंच रूपसिंह बस्तियां ने बताया कि यहां समस्याओं का अंबार है, गांव के अंदर सड़क बन भी गए तो पंचायत मुख्यालय तक आने-जाने की वर्षो पुरानी समस्या पहले जैसी ही रहेगी. सरपंच और उपसरपंच ने बताया कि भाजपा सरकार से कई बार मांग के बाद अब कांग्रेस सरकार से भी विस्थापन की मांग कर रहे हैं. पूरा गांव सहमत है, हमें पंचायत मुख्यालय इन्दागांव में विस्थापित करने के बाद ही समस्याएं खत्म होगी.

निरीक्षण करने पहुंचे अफसर

अमली गांव में मैनपुर जनपद सीईओ रूप कुमार ध्रुव और वन विभाग के अफसर भी पहुंचे. सीईओ ध्रुव ने बताया कि ग्रामीणों की मांग पर गांव की गलियों में सीसी सड़क बनाए जाएंगे. भवन  के लिए जगह का चयन कर लिया गया है. अमली को ब्लॉक मुख्यालय से जोड़ने कुल्हाड़ीघाट की ओर से प्रस्तावित सड़क का दोबारा मुआयना किया गया है. पंचायत मुख्यालय से कैसे जुड़ेंगे उसका अब भी प्रशासन के पास कोई जवाब नहीं है. सीईओ ने कहा कि निर्माण कार्य व रोजगार मूलक कार्यों को प्राथमिकता से कराया जाएगा.

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कच्ची सड़कों के रास्ते पहुंचना पड़ता है अमली

इंदागांव पंचायत मुख्यालय से अमली महज 3 किमी दूरी पर पहाड़ की ऊंचाई पर बसा है. इस रास्ते से पैदल जाने में बहुत दिक्कत होती है. बाइक से आने-जाने के लिए ओड़िशा नूवापडा जिला के तालाकोट, सिंदूर सील होते हुए 13 किमी का सफर तय करना पड़ता है. 6 किमी पक्की सड़क बाकी चट्टान ,पगडण्डी व नदी नालों को पार करके जाना होता है. बारिश के दिनों में इस रास्ते से जा पाना भी किसी चुनौती से कम नहीं होता है.