आज की तेज़ रफ़्तार ज़िंदगी में लोग अनियमित दिनचर्या और गलत खानपान के चलते कई गंभीर बीमारियों का शिकार हो रहे हैं. ऐसे में सेहतमंद जीवनशैली अपनाना ज़रूरी हो गया है. विशेषज्ञों का मानना है कि हरी सब्ज़ियों और पोषक तत्वों से भरपूर आहार लेने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है.
इसी कड़ी में आजकल माइक्रोग्रीन्स का चलन तेजी से बढ़ रहा है. कम जगह, कम लागत और अधिक पोषण देने वाले माइक्रोग्रीन्स आधुनिक जीवनशैली में एक हेल्दी विकल्प बनकर उभर रहे हैं. इन्हें किचन गार्डन या घर के किसी कोने में आसानी से उगाया जा सकता है.
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क्या होते हैं माइक्रोग्रीन्स?
माइक्रोग्रीन्स किसी भी अनाज, बीज या दाल के अंकुरण के बाद की दूसरी अवस्था होते हैं. ये पौधों के छोटे-छोटे कोमल पत्ते होते हैं, जो स्वादिष्ट होने के साथ-साथ अत्यधिक पोषण से भरपूर होते हैं. इनमें विटामिन C, E, K, बीटा कैरोटीन और एंटीऑक्सिडेंट्स जैसे तत्व मौजूद होते हैं. इनका सेवन सलाद, सूप या स्मूदी में किया जा सकता है.
माइक्रोग्रीन्स के लिए उपयुक्त बीज कौन से हो सकते हैं?
Microgreens (माइक्रोग्रीन्स) उगाने के लिए आप कई तरह के अनाज और दालों का उपयोग कर सकते हैं, जैसे: गेहूं, मूंग, मेथी, सरसों, चना, सूरजमुखी, ब्रोकली, पालक, बेसिल आदि.
घर पर माइक्रोग्रीन्स कैसे उगाएं?
माइक्रोग्रीन्स को बिना मिट्टी के भी उगाया जा सकता है. इसके लिए एक ट्रे में टिशू पेपर या नारियल का बुरादा बिछाएं. चुने हुए बीजों को पानी में 6-8 घंटे भिगोकर टिशू पेपर पर फैला दें. ऊपर से हल्का पानी छिड़कें और ट्रे को ढंककर ठंडी जगह पर रखें. कुछ ही दिनों में बीज अंकुरित हो जाएंगे और 7-10 दिन में कटाई के लिए तैयार हो जाएंगे.
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