अखिलेश बिल्लौरे, हरदा। मध्य प्रदेश के हरदा में 21 दिसंबर को करणी सेना की ओर से प्रस्तावित बड़े आंदोलन के विरोध में अब एससी/एसटी समाज, भीम आर्मी, जयस समेत अन्य सामाजिक संगठनों और राजनीतिक दलों ने मोर्चा खोल दिया है। इन संगठनों का कहना है कि करणी सेना के साथ यदि प्रशासन द्वारा लाठीचार्ज की घटना हुई थी, तो उसकी लड़ाई सीधे जिला प्रशासन से होनी चाहिए थी। लेकिन इसके बजाय “सर्व समाज” के नाम पर ढिंढोरा पीटकर आमजन को गुमराह किया जा रहा है, जो पूरी तरह अनुचित है। पत्रकार वार्ता में कहा गया कि हम भी आंदोलन जल्द ही करेंगे।

आरक्षण और एट्रोसिटी एक्ट पर आपत्ति

विरोध कर रहे संगठनों ने बताया कि करणी सेना की 21 सूत्री मांगों में आरक्षण से जुड़े कुछ बिंदु शामिल हैं, जिनका वे पुरजोर विरोध करते हैं। विशेष रूप से एससी/एसटी अत्याचार निवारण अधिनियम (एट्रोसिटी एक्ट) में बिना जांच के कार्रवाई नहीं होने की मांग को लेकर गहरी नाराजगी जताई गई है। संगठनों का कहना है कि यह कानून ऐतिहासिक रूप से पीड़ित वर्गों की सुरक्षा के लिए बना है और इसमें किसी भी तरह की ढील समाज के कमजोर वर्गों के लिए घातक साबित होगी।

क्रीमी लेयर पर गंभीर सवाल

संगठनों ने क्रीमी लेयर हटाने की मांग पर भी कड़ा रुख अपनाया है। उनका तर्क है कि जब वर्तमान में भी कई मामलों में न्यायालय की ओर से दोषी ठहराए जाने के बावजूद आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं हो पा रही है, तो क्रीमी लेयर जैसी व्यवस्था हटने के बाद स्थिति और भयावह हो सकती है। ऐसे में यह आंदोलन सामाजिक सौहार्द के लिए खतरा बन सकता है। भीम आर्मी के संभाग संयोजक महेंद्र काशिव मेहरा ने कहा कि 21 दिसंबर को करणी सेना आंदोलन करने जा रही है। हम इसका विरोध नहीं कर रहे है। लेकिन उसमें कुछ मांगे आरक्षण विरोधी है। एसटी-एससी एक्ट को कमजोर करने वाली मांगों का विरोध कर रहे है।

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