GST Increase On Popcorn: आप अपने बीबी-गर्लफ्रेंड या दोस्तों के साथ थिएटर में मूवी देखने जाते हैं, तो पॉपकॉर्न (Popcorn) के मजे तो लेते ही होंगे। हालांकि अब ये मजा महंगा होने वाला है। जी हां… पॉपकॉर्न अब GST के दायरे में आ गया है जैसा फ्लेवर वैसा टैक्स।
दरअसल शनिवार को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) की अध्यक्षता में राजस्थान के जैसलमेर में हुई जीएसटी काउंसिल की 55वीं बैठक (GST Council Meeting) हुई। GST काउंसिल की बैठक में कई अहम फैसले लिए गए। इन फैसलों में एक पॉपकॉर्न पर नए टैक्स रेट्स भी शामिल है। बैठक में काउंसिल ने फ्लेवर के हिसाब से पॉपकॉर्न को जीएसटी (GST On Popcorn) के अलग-अलग स्लैब में शामिल किया है। मतलब पॉपकॉर्न पर एक नहीं, बल्कि तीन तरह के टैक्स लगाए गए हैं। यानी अब इसे खरीदने पर ज्यादा पैसा खर्च करना होगा।
बैठक में Popcorn पर GST लगाने के प्रस्ताव पर सहमति बनी है और रेडी-टू-ईट पॉपकॉर्न पर भी टैक्स रेट्स को लेकर पूरी डिटेल सामने आ गई है। इस पर गौर करें, तो अगर आपके द्वारा खरीदा गया पॉपकॉर्न साधारण नमक और मसालों से तैयार किया गया है और ये पैकेज्ड और लेबल्ड नहीं है, तो फिर इस पर 5 फीसदी की दर से जीएसटी लागू होगा। वहीं दूसरी ओर अगर यही यही नमक और मसालों वाला पॉपकॉर्न पैकेज्ड और लेबल्ड होकर बेचा जाता है, जो फिर इस पर टैक्स की दर 5% की जगह बढ़कर 12% हो जाएगी।
यही नहीं अगर चीनी यानी Sugar फ्लेवर वाले पॉपकॉर्न की बात करें, तो फिर इसे खरीदने पर सबसे ज्यादा जेब कटेगी। दरअसल, जीएसटी काउंसिल की बैठक में जिस प्रस्ताव पर सहमति बनी है, उसके मुताबिक, चीनी जैसे कारमेल से तैयार पॉपकॉर्न को ‘चीनी कन्फेक्शनरी’ की कैटेगरी में रखा गया है और इस पर 18 फीसदी की दर से जीएसटी लगेगा।
भारत में पॉपकॉर्न का बिजनेस 1200 करोड़ के आसपास
बता दें कि भारत में ही नहीं, बल्कि पॉपकॉर्न का दुनियाभर में बड़ा कारोबार है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, बीते साल 2023 में भारत में पॉपकॉर्न का बिजनेस करीब 1200 करोड़ रुपये के आसपास का था और ये लगातार बढ़ रहा है। वहीं दूसरी ओर दुनिया भर में इस साल अब तक इसका मार्केट बढ़कर तकरीबन 8 अरब डॉलर से ज्यादा का हो गया है।
इस बैठक में लिए गए ये अहम फैसले
पॉपकॉर्न के अलावे जीएसटी की बैठक में कुछ अहम मुद्दों पर बड़े फैसले लिए गए। बैठक में GST काउंसिल ने व्यापारियों की ओर से बेचे जाने वाले इलेक्ट्रिक वाहनों के मार्जिन मूल्य पर 18 प्रतिशत कर को मंजूरी दे दी है। अब पुराने इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री पर पहले के 12% GST को बढ़ाकर 18% कर दिया गया है जैसा कि बाकी सामान्य वाहनों पर भी लागू है। साथ ही फोर्टिफाइड चावल की रेट्स घटाकर 5% कर दी गई है। जीन थेरेपी को पूरी तरह से छूट दे दी गई है। 50 फीसदी से अधिक फ्लाई ऐश वाले एसीसी ब्लॉकों पर अब 18 फीसदी से घटाकर 12 फीसदी जीएसटी लगेगा। इसके अलावा काउंसिल ने स्पष्ट किया कि काली मिर्च और किशमिश, जब किसी किसान द्वारा आपूर्ति की जाती है, तो उस पर जीएसटी नहीं लगेगा।
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