नई दिल्ली . GST काउंसिल की आज होने वाली 54वीं बैठक में दिल्ली सरकार 2 प्रमुख मुद्दों पर विरोध दर्ज कराएगी. वित्त मंत्री आतिशी ने बताया कि पहला मुद्दा विभिन्न शिक्षण संस्थानों को मिलने वाले रिसर्च ग्रांट (अनुसंधान अनुदान) पर GST लगाने का है, जबकि दूसरा मुद्दा डिजिटल पेमेंट में गेटवे (कार्ड के जरिए भुगतान) पर 2 हजार रुपये से कम के ट्रांजेक्शन पर GST लगाने का है. इन दोनों प्रस्तावों का दिल्ली सरकार पुरजोर विरोध करती है.
आतिशी ने बताया कि अगस्त में देश के प्रमुख शिक्षण संस्थानों को सरकार की तरफ से कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है. इसमें कहा गया है कि उन्हें जो अनुसंधान के लिए अनुदान मिला है, उस पर वर्ष 2017 से GST बकाया है. शिक्षण संस्थानों से 220 करोड़ रुपये GST के रूप में मांगे गए हैं.
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आतिशी ने बताया कि कई देश अपनी GDP से एक बड़ी राशि शिक्षण संस्थानों को रिसर्च के लिए देता है. इजरायल GDP का 4.94, जापान 3.82, अमेरिका 2.83, जर्मनी 3.13 और ब्राजील 1.16 फीसदी GDP का हिस्सा रिसर्च के लिए देता है. वहीं, भारत जहां वर्ष 2014 में GDP का .65 फीसदी रिसर्च के लिए देता था तो वहीं वर्ष 2024 में यह घटकर .41 फीसदी रह गया है. किसी भी देश में रिसर्च कारोबार के लिए नहीं बल्कि विकास के लिए होता है. वहां होने वाले अविष्कारों से देश आगे बढ़ता है. दुनिया के किसी भी देश में रिसर्च ग्रांट पर Tax नहीं है.
लोगों के कारोबार पर व्यापक असर होगा
वित्त मंत्री आतिशी ने बताया कि दूसरा मुद्दा ऑनलाइन पेमेंट के गेटवे पर 2000 से कम के ट्रांजेक्शन पर भी 18% GST लगाने का है. उन्होंने कहा कि एक तरफ सरकार डिजिटल पेमेंट को देश में बढ़ाने का दावा करती है और दूसरी तरफ पेमेंट गेटवे पर छोटे से छोटे ट्रांजेक्शन पर GST लगाया जा रहा है. इससे एक तरफ जहां लोगों का कारोबार प्रभावित होगा तो वहीं दूसरी तरफ आम लोगों पर इसका बोझ पड़ेगा.
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