रायपुर- जीएसटी चोरी के आरोपी कारोबारी संतोष अग्रवाल और आयुष गर्ग को सोमवार को कोर्ट में पेश किया जाएगा. जहां आरोपी की बैल आवेदन पर सुनवाई होगी, लेकिन जीएसटी इंटेलिजेंस विभाग द्वारा न्यायिक रिमांड बढ़ाने की मांग किए जाने की जानकारी मिली है. जीएसटी इंटेलिजेंस विभाग के अधिकारियों ने बताया कि कानून के तहत 5 करोड़ से अधिक की जीएसटी चोरी होने पर यह गैर जमानती हैं.

सीजीएसटी एक्ट की धारा के अनुसार फेक बिल के माध्यम से आईटीसी  प्राप्त कर उसका दुरुपयोग करने वाले व्यापारियों पर भी सजा के तौर पर 6 महीने के कारावास का प्रावधान है. मेसर्स श्याम मेन्स कारपोरेशन द्वारा फर्जी बिल के आधार पर जिन व्यापारियों को आईटीसी  पारित किया गया है. उन पर भी विभाग द्वारा यह कार्यवाही कर सकती हैं

जानकारी के अनुसार ओडिशा की 12 फर्जी बोगस कंपनियों के नाम सामने आये हैं. उक्त फर्जी कंपनियों से ऐसे फर्जी बिल प्रदेश भर में करीब 100 से अधिक इस्पात व्यापारियों को जारी किए गए हैं. इस सम्बन्ध में पहले भी जीएसटी इंटेलिजेंस विभाग द्वारा रायपुर स्थित कई लोहा व्यापारियों के यहाँ छापामार कार्यवाही की जा चुकी है, जिसमें इस प्रकार का फर्जीवाड़ा सुनिश्चित किया गया. लोहा व्यापार से जुडी ऐसी कुछ कंपनियों के नाम उजागर हुए हैं जैसे समता आड स्थित मेसर्स हनुमान स्टील्स और मेसर्स कपीश्वर स्टील्स, श्री रिफ्रैक्टरी ओजस्वी कारपोरेशन इत्यादि. उक्त सभी कंपनियों के मालिकों ने उनके द्वारा किये गए इस जीएसटी अपवंचन को स्वीकारा भी है. इस सम्बन्ध में विभाग द्वारा कार्यवाही के चलते कुछ व्यापारियों ने चोरी किये गए जीएसटी को शासन को जमा करना भी शुरू कर दिया.

अब तक की जांच में विभाग को अंदाजा है कि प्रदेश भर में 1000 करोड़ रुपए के फर्जी बिल के घोटाले को अंजाम दिया गया है. ऐसे सभी लोहे कारोबारियों पर विभाग की पैनी नजर है. घोटाले से जुड़े दस्तावेजों की जांच जारी है. इस सन्दर्भ में आने वाले कुछ दिनों में विभाग द्वारा कई जगह ताबड़तोड़ छापेमारी होगी. इसमें कोई हर्ज नहींं. गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ प्रदेश में पहली बार आर्थिक अपराध जीएसटी प्रकरण में आरोपियों की गिरफ्तारी की गई है.

आपको बता दें कि जीएसटी इंटेलिजेंस विभाग ने शनिवार को 141 करोड़ रुपए के बिल में फर्जीवाड़ा करने के आरोप में श्याम सेल्स कार्पोरेशन के पार्टनर्स संतोष अग्रवाल और आयुष गर्ग को गिरफ्तार किया था. दोनों कारोबारियों ने फर्जी बिल के आधार पर 21 करोड़ रुपए का जीएसटी चोरी किया था. इस संबंध में केंद्रीय वस्तु एवं सेवाकर रायपुर के प्रधान अतिरिक्त महानिदेशक नवनीत गोयल के मार्गदर्शन एवं संयुक्त निदेशक नेम सिंह के नेतृत्व में समस्त अधिकारियों की टीम द्वारा विगत तीन माह से जांच की जा रही थी. इस टीम में कई अधिकारी शामिल थे. मुख्य रुप से जांच का संचालन वरिष्ठ अधिकारी केके घोष ने किया. इसके अतिरिक्त टीम में वरिष्ठ अधिकारी थॉमस जैविएर, पुनीत मिश्रा, हरप्रीत सिंह संधू, मानस दीक्षित, ब्रजेश सिंह, अजीत सिंह तथा सुश्री अपर्णा बाजपाई ने अहम भूमिका निभाई. इस क्रम में उचित कार्यवाही को अंजाम देते हुए आरोपियों को शनिवार तड़के 6 बजे गिरफ्तार किया गया. बाद में कोर्ट के निर्देशानुसार आरोपियों को दो दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा गया.